भारत का दक्षिणी राज्य कर्नाटक अपनी सांस्कृतिक विरासत और अद्वितीय स्थापत्य कला के लिए विश्व प्रसिद्ध है। इसी कड़ी में Somnathpur Temple का केशव मंदिर एक अद्वितीय और ऐतिहासिक धरोहर है। Somnathpur Temple होयसल स्थापत्य शैली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है और अपनी सुंदरता व बारीकी से तराशे गए शिल्प के लिए जाना जाता है। यह मंदिर लगभग 750 वर्षों से अधिक पुराना है और भारतीय इतिहास और संस्कृति का अनमोल खजाना है।
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सोमनाथपुर मंदिर (कर्नाटक) का विस्तृत विवरण
स्थान और इतिहास
Somnathpur Temple कर्नाटक के मैसूर जिले में स्थित है। यह मैसूर शहर से लगभग 35 किलोमीटर दूर कावेरी नदी के किनारे स्थित एक छोटे से गांव सोमनाथपुर में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में होयसल साम्राज्य के एक प्रभावशाली सेनापति सोमनाथ दंडनायक ने करवाया था। इसे 1268 ईस्वी में राजा नरसिंह तृतीय के शासनकाल में बनवाया गया था। मंदिर का नाम इसके निर्माता सोमनाथ के नाम पर रखा गया है।
स्थापत्य कला
Somnathpur Temple का केशव मंदिर होयसल वास्तुकला की उत्कृष्टता को प्रदर्शित करता है। यह मंदिर तारे के आकार की संरचना में बनाया गया है और ग्रेनाइट पत्थरों का उपयोग कर इसे निर्मित किया गया है। मंदिर के बाहरी और भीतरी भागों पर की गई नक्काशी इतनी बारीक और जटिल है कि यह देखने वालों को मंत्रमुग्ध कर देती है।
मंदिर का लेआउट
Somnathpur Temple मुख्यतः तीन गर्भगृहों (संयुक्त त्रिकूट शैली) में विभाजित है, जिनमें भगवान केशव, वेंकटेश्वर और जनार्दन की मूर्तियां स्थापित की गई थीं। हालांकि, वर्तमान में केशव की मूर्ति यहां से गायब है। गर्भगृहों को जोड़ने के लिए एक साझा मंडप (नवरंग मंडप) है। मंडप के स्तंभों और छतों पर असाधारण नक्काशी की गई है।
बाहरी दीवारों की नक्काशी
Somnathpur Temple की बाहरी दीवारें विभिन्न देवी-देवताओं, पौराणिक कथाओं, युद्ध के दृश्यों और नृत्य मुद्राओं को दर्शाती हैं। इन मूर्तियों में रामायण, महाभारत और भागवत पुराण की कहानियों का चित्रण किया गया है। हर आकृति में इतनी सजीवता है कि यह कला प्रेमियों और इतिहासकारों के लिए एक प्रेरणा है।
विशेषताएँ
- त्रिकूट शैली: Somnathpur Temple की यह शैली अद्वितीय है, जिसमें तीन गर्भगृह बनाए गए हैं। प्रत्येक गर्भगृह में अलग-अलग देवताओं की मूर्तियां स्थापित थीं।
- तारकीय आधार: Somnathpur Temple की नींव तारे के आकार की है, जो इसे एक विशिष्ट रूप प्रदान करती है।
- बारीक नक्काशी: दीवारों, स्तंभों, और छतों पर अत्यधिक बारीक और जटिल नक्काशी की गई है।
- मधुशाला स्तंभ: Somnathpur Temple के मंडप में स्थित स्तंभ अपनी चमक और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध हैं। इन पर की गई नक्काशी इतनी सटीक है कि यह होयसल काल की तकनीकी उन्नति को दर्शाती है।
होयसल स्थापत्य शैली की विशेषताएँ
होयसल स्थापत्य कला 11वीं से 14वीं शताब्दी के बीच फली-फूली। यह शैली मंदिरों की जटिलता और भव्यता के लिए जानी जाती है। इसकी मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
- तारकीय आधार: Somnathpur Temple का नींव डिजाइन जटिल तारे या बहुभुज के रूप में होता है।
- विशिष्ट नक्काशी: Somnathpur Temple में पौराणिक कहानियों और देवी-देवताओं के चित्रण के लिए जटिल नक्काशी की जाती थी।
- लघु मूर्तिकला: हर मूर्ति का चेहरा, वेशभूषा, गहने और अभिव्यक्ति बहुत ही सजीव लगती है।
- द्रविड़ शैली का प्रभाव: होयसल वास्तुकला में द्रविड़ शैली के तत्व भी देखने को मिलते हैं, जैसे ऊंचे गोपुरम और सुंदर मीनारें।
मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
केशव मंदिर धार्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह भगवान विष्णु के तीन स्वरूपों को समर्पित है, जो वैष्णव संप्रदाय के अनुयायियों के लिए पवित्र स्थान है। यह मंदिर न केवल एक पूजा स्थल है बल्कि भारतीय स्थापत्य और शिल्पकला का भी उत्कृष्ट उदाहरण है।
वर्तमान स्थिति
Somnathpur Temple भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संरक्षण में है। यह मंदिर अब एक गैर-कार्यात्मक धार्मिक स्थल है, जिसका मतलब है कि यहां पूजा नहीं की जाती। इसे मुख्यतः एक ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संरक्षित किया गया है। 1987 में इसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के लिए नामांकित किया गया था।
मंदिर के आकर्षण
Dilwara Temple: स्थापत्य कला और धार्मिक आस्था का अद्भुत संगम
- नवरंग मंडप: यह मंडप 16 खंभों पर टिका हुआ है, जिनकी नक्काशी बेहद आकर्षक है।
- छत की डिज़ाइन: मंदिर की छत पर कमल और अन्य ज्यामितीय आकृतियों को दर्शाया गया है।
- मूर्ति कला: भगवान विष्णु, गणेश, शिव, दुर्गा और अन्य देवताओं की मूर्तियां इस मंदिर की शोभा बढ़ाती हैं।
- रामायण और महाभारत के दृश्य: मंदिर की दीवारों पर रामायण और महाभारत की कहानियों का चित्रण किया गया है।
कैसे पहुँचे
Somnathpur Temple पहुंचने के लिए कई विकल्प उपलब्ध हैं:
- सड़क मार्ग: मैसूर से सोमनाथपुर के लिए नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं।
- रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन मैसूर है, जो भारत के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
- वायु मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा मैसूर या बैंगलोर है। बैंगलोर से यहां तक पहुंचने के लिए लगभग 3 घंटे लगते हैं।
प्रवेश शुल्क और समय
मंदिर का समय सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक है। भारतीय पर्यटकों के लिए प्रवेश शुल्क सामान्य है, जबकि विदेशी पर्यटकों के लिए थोड़ा अधिक है।
निष्कर्ष
सोमनाथपुर का केशव मंदिर भारतीय स्थापत्य कला और सांस्कृतिक धरोहर का अद्वितीय उदाहरण है। यह मंदिर न केवल भारत के अतीत की समृद्धि को दर्शाता है, बल्कि आज भी इतिहास, कला और संस्कृति के प्रेमियों को आकर्षित करता है। अगर आप कर्नाटक की यात्रा पर हैं, तो इस मंदिर का भ्रमण अवश्य करें। यह स्थान आपको भारतीय शिल्पकला की उत्कृष्टता और आध्यात्मिकता का अनूठा अनुभव देगा।
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