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NewsnowमनोरंजनKorean Films की कॉपी हैं ये बॉलीवुड की 9 फिल्में!

Korean Films की कॉपी हैं ये बॉलीवुड की 9 फिल्में!

कोरियाई सिनेमा का बॉलीवुड पर प्रभाव विचारशीलता, विषयों और कथाओं के आदान-प्रदान का एक दिलचस्प उदाहरण प्रस्तुत करता है।

Korean Films: बॉलीवुड ने अक्सर विभिन्न अंतरराष्ट्रीय सिनेमा से प्रेरणा ली है, और दक्षिण कोरियाई फिल्में हाल के वर्षों में अनुकूलन और प्रेरणा का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गई हैं। इस लेख में नौ बॉलीवुड फिल्मों का उल्लेख किया गया है, जिन्होंने लोकप्रिय कोरियाई फिल्मों से संकेत लिए हैं, उनके प्लॉट, विषय और अनुकूलन के बारीकियों की जांच की गई है।

1. “ओक्काडु” (2003) और “ग़ज़नी” (2008)

मूल कोरियाई फिल्म: “द चेजर” (2008)

Korean Films: “ओक्काडु,” एक तेलुगु फिल्म, अनुकूलनों के लिए एक मानक बन गई जब बॉलीवुड की “ग़ज़नी,” जिसमें आमिर खान थे, रिलीज़ हुई। जबकि कहानी एक आदमी पर केंद्रित है जिसकी प्रेमिका का अपहरण हो जाता है, दोनों फिल्मों की आत्मा प्रतिशोध और व्यक्तिगत हानि के विषयों से जुड़ी हुई है। दोनों कहानियों में नायक उन अन्यायों का प्रतिशोध लेने के लिए प्रेरित हैं जो उनके साथ हुए हैं, हालाँकि विभिन्न कथानक तकनीकों के साथ। जबकि “ग़ज़नी” में एक अनोखी याददाश्त-हानि का कोण शामिल है, यह कोरियाई समकक्ष की तीव्र भावनात्मकता और एक्शन दृश्यों को बनाए रखता है।

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2. “मर्डर 2” (2011)

मूल कोरियाई फिल्म: “द चेजर” (2008)

Korean Films: बॉलीवुड फिल्म “मर्डर 2,” जिसमें इमरान हाशमी हैं, कोरियाई थ्रिलर “द चेजर” का ढीला अनुकूलन है। दोनों फिल्में सीरियल किलरों की अंधेरी और उलझी हुई दुनिया और इन भयानक अपराधों की जांच करने वालों पर पड़ने वाले भावनात्मक प्रभाव को तलाशती हैं। जबकि “मर्डर 2” एक अधिक संवेदनशील रास्ता अपनाता है, यह न्याय की खोज के मुख्य विषय को बनाए रखता है। दोनों कहानियों में चरित्रों के विकास में निराशा और नैतिक दुविधाओं से प्रेरित होते हैं, जो मानवता के मूलभूत विषयों को उजागर करते हैं।

3. Korean Films: “ज़िंदगी ना मिलेगी दोबारा” (2011)

मूल कोरियाई फिल्म: “द मैन फ्रॉम नाउहेयर” (2010)

हालांकि “ज़िंदगी ना मिलेगी दोबारा” और “द मैन फ्रॉम नाउहेयर” की थीम संबंधी सामग्री में महत्वपूर्ण भिन्नताएँ हैं, व्यक्तिगत परिवर्तन और दोस्ती की भावना दोनों कथाओं का केंद्र है। “ज़िंदगी ना मिलेगी दोबारा” तीन दोस्तों की यात्रा को दर्शाती है जो उनके जीवन और संबंधों पर नया दृष्टिकोण डालती है। दूसरी ओर, कोरियाई फिल्म एक आदमी के द्वारा एक छोटी लड़की की सुरक्षा के लिए उसकी यात्रा को मिलाती है। दोनों फिल्में मानव संबंधों के महत्व को दर्शाती हैं, हालाँकि विभिन्न दृष्टिकोणों के माध्यम से—एक दोस्ती और आत्म-खोज पर ध्यान केंद्रित करता है, जबकि दूसरा सुरक्षा और बलिदान पर जोर देता है।

4. Korean Films: “कहानी” (2012)

मूल कोरियाई फिल्म: “द चेजर” (2008)

Korean Films: “कहानी,” जिसमें विद्या बालन हैं, कोरियाई फिल्म “द चेजर” से काफी प्रेरित है। प्लॉट एक गर्भवती महिला के बारे में है जो कोलकाता में अपने लापता पति की तलाश कर रही है, जो कोरियाई फिल्म में मिली बेबसी और तात्कालिकता को दर्शाता है। दोनों कहानियाँ पहचान, हानि और सत्य की खोज के विषयों का अन्वेषण करती हैं। “कहानी” में नाटकीय मोड़ और भावनात्मक गहराई “द चेजर” की जटिलताओं के साथ मेल खाती है, जो मातृ प्रेम और सहनशीलता की भावना को उजागर करती है।

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5. “बजरंगी भाईजान” (2015)

मूल कोरियाई फिल्म: “माई अनॉइंग ब्रदर” (2016)

“बजरंगी भाईजान,” जिसमें सलमान खान हैं, एक ऐसे आदमी की कहानी बताता है जो एक गूंगी लड़की को पाकिस्तान में उसके परिवार से मिलाने के लिए यात्रा करता है। हालांकि यह एक सीधा रीमेक नहीं है, यह “माई अनॉइंग ब्रदर” के साथ थीम संबंधी समानताएँ साझा करता है। दोनों फिल्में पारिवारिक बंधनों और आत्म-खोज की यात्रा पर केंद्रित हैं। दोनों कथाओं के गर्मजोशी और भावनात्मक केंद्र में सहानुभूति, समझ और सीमाओं के पार प्रेम की शक्ति पर जोर दिया गया है।

6. “अंधाधुन” (2018)

मूल कोरियाई फिल्म: “द क्वाइट फैमिली” (1998)

Korean Films: “अंधाधुन,” जिसमें आयुष्मान खुराना हैं, एक अजीब थ्रिलर है जो “द क्वाइट फैमिली” के साथ कथा समानताएँ साझा करता है। दोनों फिल्में अकल्पनीय हत्याओं के माध्यम से काले हास्य का अन्वेषण करती हैं और इसके बाद के परिणामों को दर्शाती हैं। दोनों कथाओं के नायक ऐसी परिस्थितियों में फंस जाते हैं जो नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं, जिससे हास्य और त्रासदी की घटनाओं की एक श्रृंखला बनती है। जबकि “अंधाधुन” अधिक मनोवैज्ञानिक थ्रिलर दृष्टिकोण की ओर बढ़ता है, यह अंधेरे हास्य और सस्पेंस के मुख्य तत्वों को बनाए रखता है।

7. “बदला” (2019)

मूल कोरियाई फिल्म: “द इनविटेशन” (2015)

“बदला,” जिसमें अमिताभ बच्चन और तापसी पन्नू हैं, एक प्रभावशाली थ्रिलर है जो “द इनविटेशन” में पाए जाने वाले मनोवैज्ञानिक गहराई के साथ मेल खाता है। दोनों फिल्में धोखे, विश्वासघात और प्रतिशोध के विषयों पर ध्यान केंद्रित करती हैं। “बदला” की कथा संरचना एक महिला के हत्याकांड के पीछे सच उजागर करने के संघर्ष के चारों ओर घूमती है, जो “द इनविटेशन” के पात्रों की जटिलताओं को दर्शाती है। तीव्र प्रदर्शन और जटिल कथानक में नाटकीय मोड़ दोनों फिल्मों में मानव संबंधों के अंधेरे पहलुओं में गहराई से उतरते हैं।

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8. “काबिल” (2017)

मूल कोरियाई फिल्म: “द मैन फ्रॉम नाउहेयर” (2010)

Korean Films: “काबिल,” जिसमें Hrithik Roshan हैं, एक अंधे आदमी की कहानी बताता है जो अपनी पत्नी की दुखद हानि के लिए प्रतिशोध की तलाश में है। फिल्म कोरियाई थ्रिलर “द मैन फ्रॉम नाउहेयर” से प्रेरणा लेती है, जिसमें एक समान कथानक है जो एक आदमी के प्रतिशोध की यात्रा को दर्शाता है। दोनों नायक, जो प्रेम और हानि द्वारा प्रेरित होते हैं, एक खतरनाक दुनिया को नेविगेट करते हैं ताकि वे अपनी प्रियजनों की रक्षा कर सकें। “काबिल” में भावनात्मक दांव को उच्चारित किया गया है, जो अंधेपन को एक अद्वितीय चुनौती के रूप में दर्शाता है, जिससे मानव आत्मा की सहनशीलता की भावना उजागर होती है।

9. “लूडो” (2020)

मूल कोरियाई फिल्म: “द आउटलॉज” (2017)

Korean Films: “लूडो,” जो अनुराग बसु द्वारा निर्देशित है, एक श्रृंखला की बुनाई वाली कहानियों को प्रदर्शित करता है, जो जीवन की अराजकता को उजागर करता है। हालांकि यह एक सीधा अनुकूलन नहीं है, यह कोरियाई सिनेमा की एंसाम्बल कहानी कहने की शैली से प्रेरित है, जो “द आउटलॉज” के समान है। दोनों फिल्में हास्य, नाटक और एक्शन को जोड़ती हैं, जो इंटरकनेक्टेड कहानियों के माध्यम से जीवन की हास्यास्पदताओं को प्रकट करती हैं। विविध चरित्रों की यात्रा और उनके चौराहे एक समृद्ध टेपेस्ट्री बनाते हैं जो दर्शकों के साथ गूंजती है, यह दर्शाते हुए कि कोरियाई फिल्म निर्माण का बॉलीवुड की कहानी कहने के दृष्टिकोण पर कितना प्रभाव है।

निष्कर्ष

Korean Films: कोरियाई सिनेमा का बॉलीवुड पर प्रभाव विचारशीलता, विषयों और कथाओं के आदान-प्रदान का एक दिलचस्प उदाहरण प्रस्तुत करता है। ये नौ फिल्में इस बात को दर्शाती हैं कि बॉलीवुड फिल्म निर्माता कोरियाई कहानी कहने के तत्वों को अपनाते हुए अपने अनोखे सांस्कृतिक संदर्भ को कैसे सम्मिलित करते हैं। भावनात्मक गहराई से लेकर थ्रिलिंग कथाओं तक, अनुकूलन सार्वभौमिक विषयों को उजागर करते हैं जो सीमाओं को पार करते हैं, यह साबित करते हुए कि कहानी कहने की कला में कोई सीमाएँ नहीं होतीं। इन फिल्मों का स्थायी प्रभाव सिनेमा की हमेशा विकसित होती प्रकृति को दर्शाता है, जहां प्रेरणा नई कहानी कहने की ओर ले जाती है जो सांस्कृतिक भिन्नताओं को पार करती है।

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