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Periods की दिक्कतें दूर करें ये योगासन

periods कोई अभिशाप नहीं, बल्कि आपके शरीर की शक्ति और स्वास्थ्य का संकेत है। यदि हम अपने शरीर को समझें, तो यह समय भी आत्म-देखभाल और आत्म-सम्मान का हो सकता है।

ये 3 योगासन कम कर सकते हैं पीरियड्स के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव, दर्द और ऐंठन से भी मिलेगी राहत periods – यह जीवन का एक सामान्य हिस्सा है, लेकिन यह दर्दनाक नहीं होना चाहिए। यदि आप हर महीने अत्यधिक रक्तस्राव, पेट में तेज ऐंठन या थकावट जैसी समस्याओं का सामना करती हैं, तो आप अकेली नहीं हैं। लाखों महिलाएं इस अनुभव से गुजरती हैं। लेकिन क्या हो अगर एक प्राकृतिक, शांतिपूर्ण और सशक्त तरीका हो जिससे इन लक्षणों से राहत मिल सके?

यह तरीका है – योग।

योग न केवल शरीर को लचीला बनाता है या मानसिक शांति देता है, बल्कि यह हार्मोन को संतुलित करने, गर्भाशय की मांसपेशियों को शांत करने और periods के दौरान रक्तस्राव को नियंत्रित करने में भी मदद कर सकता है।

यहां हम तीन बेहद प्रभावी योगासनों के बारे में बताएंगे, जो periods के समय अपनाकर न केवल भारी रक्तस्राव को कम किया जा सकता है, बल्कि दर्द और तनाव से भी राहत मिलती है।

अत्यधिक मासिक रक्तस्राव क्यों होता है – और योग कैसे मदद करता है

These yogasanas will remove the problems of periods
These yogasanas will remove the problems of periods

periods के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव (menorrhagia) कई कारणों से हो सकता है – जैसे हार्मोनल असंतुलन, यूटेराइन फाइब्रॉइड्स, एंडोमेट्रियोसिस, तनाव, अनुचित खानपान या गतिहीन जीवनशैली। जब गर्भाशय की मांसपेशियां अत्यधिक सिकुड़ती हैं या हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं, तो गर्भाशय की परत अधिक मात्रा में निकलती है, जिससे अधिक रक्तस्राव और दर्द होता है।

योग एक कोमल लेकिन प्रभावशाली समाधान के रूप में सामने आता है। कुछ विशेष योगासन:

  • पेल्विक क्षेत्र में रक्त प्रवाह को बढ़ाते हैं
  • सूजन और जकड़न को कम करते हैं
  • तंत्रिका तंत्र को शांत करते हैं
  • हार्मोन को संतुलित करने में मदद करते हैं
  • पेट व पीठ के निचले हिस्से के दर्द को कम करते हैं
  • मानसिक तनाव और मूड स्विंग्स को नियंत्रित करते हैं

आइए जानें वे तीन योगासन जो हर महिला को periods के दौरान अपनाने चाहिए।

बद्ध कोणासन (Butterfly Pose)

बद्ध कोणासन एक आसान और प्रभावशाली योग मुद्रा है, जो कूल्हों और पेल्विक क्षेत्र को खोलती है और प्रजनन अंगों में रक्त संचार को बेहतर बनाती है।

लाभ:

  • periods की ऐंठन में राहत
  • गर्भाशय की मांसपेशियों को शांत करके अत्यधिक रक्तस्राव को कम करता है
  • जांघ, कूल्हे और ग्रोइन की मांसपेशियों को खोलता है
  • थकान और सूजन को कम करता है
  • भावनात्मक रूप से भी राहत प्रदान करता है

कैसे करें:

  • चटाई पर बैठ जाएं और दोनों पैरों को सामने की ओर फैलाएं
  • घुटनों को मोड़ें और दोनों पैरों के तलवों को आपस में जोड़ें
  • हाथों से पैरों को पकड़ें और घुटनों को धीरे-धीरे ऊपर-नीचे करें (जैसे तितली के पंख)
  • फिर घुटनों को नीचे रखें और इस स्थिति में 3–5 मिनट तक गहरी सांस लेते हुए बने रहें

सुझाव: अगर घुटनों में खिंचाव हो, तो उनके नीचे तकिया रखें। अगर चाहें तो हल्का सा आगे झुककर इसे और गहराई दे सकते हैं।

यह कैसे मदद करता है: यह आसन पेल्विक क्षेत्र में रक्त संचार को बढ़ाता है, जिससे गर्भाशय में जमा तनाव और जकड़न कम होती है। यह गर्भाशय की मांसपेशियों को शांत करता है और ऐंठन में राहत देता है।

सुप्त बद्ध कोणासन (Reclining Bound Angle Pose)

यह बद्ध कोणासन का ही विश्रामकारी रूप है, जिसे लेट कर किया जाता है। यह पूरा आसन शरीर और मन को गहराई से आराम देता है।

लाभ:

  • पेट के अंगों को विश्राम देता है
  • पीठ के निचले हिस्से और पेल्विक दर्द में राहत
  • चिंता और थकान को कम करता है
  • periods की नियमितता बनाए रखने में सहायक
  • हार्मोनल संतुलन में सहायक

कैसे करें:

  • पीठ के बल लेट जाएं
  • पैरों को बद्ध कोणासन की स्थिति में लाएं (तलवे जुड़े हुए और घुटने खुले)
  • घुटनों के नीचे तकिया रखें
  • एक हाथ सीने पर और एक पेट पर रखें
  • आंखें बंद करके 5–10 मिनट तक धीरे-धीरे सांस लें

सुझाव: अगर चाहें तो रीढ़ के नीचे एक bolster रखें, जिससे यह आसन और अधिक आरामदायक हो जाएगा।

यह कैसे मदद करता है: यह मुद्रा शरीर को परासंवेदनात्मक अवस्था (parasympathetic mode) में ले जाती है, जिससे तनाव के हार्मोन कम होते हैं। यह गर्भाशय के दबाव को कम करती है और पेट के अंगों की हल्की मालिश करती है।

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मार्जरीआसन-बिटिलासन (Cat-Cow Pose)

यह एक गतिशील योग अभ्यास है, जिसमें दो मुद्राएं (बिल्ली और गाय) मिलाकर की जाती हैं। यह रीढ़, पेट और पेल्विक क्षेत्र को सक्रिय करती है और periods के समय होने वाले पीठ दर्द से राहत दिलाती है।

लाभ:

  • रीढ़ और कूल्हों में लचीलापन लाता है
  • पेट के अंगों की मालिश करता है
  • लसीका प्रवाह और रक्त संचार को बढ़ाता है
  • गर्भाशय के आसपास की मांसपेशियों को आराम देता है
  • मुद्रा और मनोदशा में सुधार करता है

कैसे करें:

  • हाथ और घुटनों के बल टेबलटॉप पोजीशन में आएं
  • सांस भरते हुए पीठ को नीचे करें और सिर ऊपर उठाएं (गाय मुद्रा)
  • सांस छोड़ते हुए पीठ को गोल करें और ठुड्डी को छाती की ओर लाएं (बिल्ली मुद्रा)
  • इस क्रिया को 1–2 मिनट तक सांस के साथ धीरे-धीरे दोहराएं

सुझाव: तेजी से न करें। यह आसन ध्यान और शरीर के बीच संबंध बनाने के लिए किया जाता है।

यह कैसे मदद करता है: यह क्रमिक गति पेल्विक और पेट के क्षेत्र में रक्त प्रवाह को बढ़ाती है और मांसपेशियों के तनाव को कम करती है, जिससे भारी रक्तस्राव और ऐंठन से राहत मिलती है।

periods को और आरामदायक बनाने के लिए अतिरिक्त सुझाव

इन योगासनों के साथ निम्नलिखित आदतें अपनाकर पीरियड्स को और सहज बना सकते हैं:

  • अदरक या दालचीनी वाली गर्म चाय पिएं – सूजन को कम करती है
  • गर्म पानी से स्नान करें – मांसपेशियों को आराम मिलता है
  • प्रतिदिन ध्यान या गहरी श्वास का अभ्यास करें – तनाव कम होता है
  • आयरन युक्त भोजन लें – जैसे पालक, चना, खजूर
  • खूब पानी पिएं – दर्द पैदा करने वाले तत्व बाहर निकलते हैं

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पीरियड्स के दौरान किन आसनों से बचें

हालांकि योग लाभकारी है, पर periods के दौरान कुछ आसनों से बचना चाहिए – जैसे शीर्षासन, सर्वांगासन आदि। ये आसन रक्त प्रवाह की दिशा को उलटते हैं और पेल्विक क्षेत्र में ऊर्जा का संचार बाधित कर सकते हैं।

निष्कर्ष

periods कोई अभिशाप नहीं, बल्कि आपके शरीर की शक्ति और स्वास्थ्य का संकेत है। यदि हम अपने शरीर को समझें, तो यह समय भी आत्म-देखभाल और आत्म-सम्मान का हो सकता है। बद्ध कोणासन, सुप्त बद्ध कोणासन और मार्जरीआसन-बिटिलासन जैसे योगासनों को अपनी दिनचर्या में शामिल करें, विशेष रूप से periods के दिनों में, और देखें कि कैसे आपके शरीर और मन में परिवर्तन आता है।

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