Coronavirus: ऐसे सबूत बराबर सामने आ रहे हैं कि जिनसे संकेत मिलता है कि कोविड-19 के मरीजों को ब्रेन फॉग और थकान का सामना होता है. ब्रेन फ्रॉग ऐसी बीमारी है जिसमें आपके सोचने की क्षमता प्रभावित होती है. शोधकर्ता इसकी वजह बताते हैं कि आखिर ऐसा क्यों होता है. SARS-CoV-2 वायरस (Corona Virus) बहुत सारे वायरस की तरह दिमाग के लिए बुरी खबर है.
16 दिसंबर को ‘नेचर न्यूरोसाइंस’ पत्रिका में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, चूहों पर परीक्षण के दौरान पता चला कि स्पाइक प्रोटीन, खून और दिमाग के बीच रुकावट को पार कर सकता है. इससे अंदाजा होता है कि कोविड-19 की बीमारी का कारण बननेवाला कोरोना वायरस (Corona Virus) दिमाग में दाखिल हो सकता है.
SARS-CoV-2 वायरस दिमाग में दाखिल हो सकता है
स्पाइक प्रोटीन या S1 प्रोटीन बताता है कि वायरस (Corona Virus) कौन सी कोशिकाओं में प्रवेश कर सकता है. वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन और पुगेट साउंड वेटेरन्स अफेयर्स हेल्थ केयर सिस्टम की साझा रिसर्च की अगुवाई करनेवाले विलियम ए बैंक्स ने बताया कि आम तौर से स्पाइक प्रोटीन कोशिकाओं में दाखिले का रास्ता बताता है और खुद भी वायरस से अलग होते वक्त नुकसान पहुंचाता है और सूजन भी बढ़ाता है.
उन्होंने कहा कि S1 प्रोटीन संभावित तौर पर दिमाग को साइटोकिन्स और सूजन बढ़ानेवाले अणुओं के स्राव पर मजबूर करता है. कोविड-19 संक्रमण के नतीजे में तीव्र सूजन को साइटोकिन स्ट्रोम कहा जाता है. वायरस को देखकर इम्यून सिस्टम और उसका प्रोटीन हमलावर वायरस को मारने की कोशिश में प्रतिक्रिया करता है. उस वक्त संक्रमित शख्स को ब्रेन फॉग, थकान और अन्य दिमागी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
‘नेचर न्यूरोसाइंस’ पत्रिका में प्रकाशित रिसर्च का दावा
शोधकर्ताओं ने बताया कि इस तरह की प्रतिक्रिया एचआईवी वायरस में देखा गया था और पता लगाना चाहते थे कि क्या नए कोरोना वायरस (Corona Virus) के साथ भी यही मामला होता है या नहीं. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस (Corona Virus) का स्पाइक प्रोटीन और एचआईवी का जीपी120 प्रोटीन के काम एक जैसे पाए गए. ये दोनों प्रोटीन रिसेप्टर को जकड़ लेते हैं और अपने वायरस को फैलने का मौका देते हैं. इसके अलावा ये दोनों खून-दिमाग की रुकावट को पार कर लेते हैं और संभावित तौर पर S1 प्रोटीन, जीपी120 की तरह दिमागी ऊत्तकों के लिए नुकसानदेह साबित होता है.