यह कहानी एक ऐसे छात्र की है जिसने अपनी मेहनत और समर्पण से न केवल 10वीं और 12वीं में टॉप किया, बल्कि अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए UPSC परीक्षा भी दी। यह एक प्रेरणादायक यात्रा है जो न केवल आत्म-विश्वास को बढ़ाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे एक व्यक्ति अपने परिवार के सपनों को साकार कर सकता है।
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प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
इस छात्र का जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था, जहाँ शिक्षा को बहुत महत्व दिया जाता था। उसके पिता, जो एक शिक्षक थे, हमेशा अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने का सपना देखते थे। उन्होंने अपने बच्चों को शिक्षा के महत्व का एहसास कराते हुए उन्हें पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया। इस छात्र ने भी अपने पिता की उम्मीदों को समझा और शिक्षा के प्रति गंभीरता से ध्यान दिया।
10वीं कक्षा में, उसने बहुत मेहनत की। रात-रात भर पढ़ाई करना और सभी विषयों में उत्कृष्टता हासिल करना उसकी दिनचर्या बन गई। उसे यह समझ में आया कि अगर उसे अपने पिता का सपना पूरा करना है, तो उसे सभी परीक्षाओं में अच्छे अंक लाने होंगे।
10वीं में सफलता
जब 10वीं के परिणाम आए, तो उसका नाम सूची में सबसे ऊपर था। उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने अपने पिता को यह खुशखबरी सुनाई, और उनके चेहरे पर गर्व की चमक देखी। यह न केवल उसकी सफलता थी, बल्कि यह उसके पिता के सपने की शुरुआत थी।
12वीं की तैयारी
12वीं कक्षा में, उसने और भी अधिक मेहनत करने का निर्णय लिया। उसने विज्ञान और गणित जैसे कठिन विषयों को चुनकर खुद को चुनौती दी। उसे पता था कि उसे इंजीनियरिंग या चिकित्सा की पढ़ाई करनी होगी, लेकिन उसने यह भी ठान लिया कि अगर उसे UPSC की तैयारी करनी है, तो उसे पहले 12वीं में भी टॉप करना होगा।
12वीं के समय, उसने अपने समय को सही तरीके से प्रबंधित किया। स्कूल के बाद, वह कोचिंग में जाती थी और फिर घर पर अपनी किताबों में खो जाती थी। उसे कई बार थकान महसूस होती, लेकिन अपने पिता की उम्मीदों ने उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
12वीं में टॉप करना
जब 12वीं के परिणाम आए, तो उसने फिर से सफलता प्राप्त की। उसने टॉप किया और पूरे स्कूल में सबसे अच्छे अंक प्राप्त किए। इस बार उसके पिता ने उसे गले लगाया और कहा, “तूने मेरा सपना पूरा किया है। अब तुझे जो भी करना है, कर।”
UPSC की तैयारी
12वीं के बाद, उसने UPSC की तैयारी करने का निर्णय लिया। यह उसके पिता का सपना था कि उनका बेटा एक प्रशासनिक अधिकारी बने। उसने पहले से ही कई किताबें इकट्ठा कर ली थीं और तैयारी शुरू कर दी थी।
वह दिन-रात पढ़ाई करने में व्यस्त हो गई। उसने संकल्प लिया कि वह हर विषय को अच्छी तरह से समझेगी। उसने प्रीलिम्स, मेंस और इंटरव्यू के लिए एक ठोस योजना बनाई। उसने नियमित रूप से टेस्ट सीरीज में भाग लिया और अपने कमजोर बिंदुओं पर काम किया।
UPSC कठिनाइयों का सामना
हालांकि UPSC की तैयारी बहुत कठिन थी, लेकिन उसने हर चुनौती का सामना किया। कभी-कभी उसे लगता कि वह थक गई है, लेकिन वह अपने पिता की उम्मीदों के बारे में सोचती थी और फिर से जुट जाती थी। उसने अपने मित्रों से भी मदद ली और समूह अध्ययन किया, जिससे उसे कई विषयों में मदद मिली।
परीक्षा का दिन
आखिरकार, परीक्षा का दिन आ गया। वह बहुत नर्वस थी, लेकिन उसने अपने आप को संयमित रखा। उसने अपने ज्ञान पर भरोसा किया और परीक्षा दी।
परिणाम और सफलता
कुछ महीनों बाद, जब परिणाम आया, तो उसे यह जानकर खुशी हुई कि वह सफल हुई है। हालांकि, उसे अभी आगे की चुनौतियों का सामना करना था। मेन्स परीक्षा और इंटरव्यू की तैयारी में भी उसने इसी तरह से मेहनत की।
इंटरव्यू और अंतिम चयन
इंटरव्यू के दिन, उसने आत्मविश्वास के साथ प्रश्नों का सामना किया। उसे अपने उत्तरों पर पूरा विश्वास था। अंत में, जब चयन की सूची में उसका नाम आया, तो उसके पिता की आंखों में आंसू थे। यह न केवल एक परीक्षा की जीत थी, बल्कि यह एक सपने की साकार होने की कहानी थी।
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निष्कर्ष
इस कहानी ने यह सिद्ध किया कि अगर किसी के पास दृढ़ संकल्प और मेहनत है, तो वह किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। यह छात्र आज एक सफल प्रशासनिक अधिकारी है, और उसका हर कदम उसके पिता के सपने को पूरा करने की दिशा में है। उसकी कहानी सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है कि वे अपने सपनों का पीछा करें और अपने परिवार के सपनों को पूरा करने के लिए हमेशा मेहनत करें।
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