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Uttarakhand में UCC 27 जनवरी को लागू होगा, सीएम धामी करेंगे पोर्टल लॉन्च

समान नागरिक संहिता का मतलब है कि देश में सभी नागरिकों पर एक ही कानून लागू होगा, चाहे वे किसी भी धर्म, जाति या समुदाय से संबंधित हों। वर्तमान में, भारत में व्यक्तिगत कानून धर्म के आधार पर अलग-अलग होते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देहरादून आगमन से एक दिन पहले, 27 जनवरी को उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू होने जा रही है। उसी दिन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी यूसीसी पोर्टल भी लॉन्च करेंगे। गौरतलब है कि इससे उत्तराखंड यूसीसी लागू करने वाला पहला राज्य बन जाएगा, मुख्यमंत्री के सचिव शैलेश बगोली ने शनिवार को कहा।

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यूसीसी पोर्टल 27 जनवरी को दोपहर 12:30 बजे सचिवालय में लॉन्च किया जाएगा।

समान नागरिक संहिता (UCC) के बारे में


UCC will be implemented in Uttarakhand on January 27, CM Dhami will launch the portal

समान नागरिक संहिता, जिसे संक्षेप में UCC भी कहा जाता है, भारत में एक महत्वपूर्ण कानूनी और सामाजिक मुद्दा है। यह एक ऐसा कानून है जो देश के सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, गोद लेने, उत्तराधिकार आदि जैसे व्यक्तिगत मामलों में समान कानून लागू करने का प्रावधान करता है।

UCC का मतलब क्या है?

समान नागरिक संहिता का मतलब है कि देश में सभी नागरिकों पर एक ही कानून लागू होगा, चाहे वे किसी भी धर्म, जाति या समुदाय से संबंधित हों। वर्तमान में, भारत में व्यक्तिगत कानून धर्म के आधार पर अलग-अलग होते हैं। UCC का उद्देश्य इस विविधता को कम करके एक समान कानूनी ढांचा स्थापित करना है।

UCC के फायदे

UCC will be implemented in Uttarakhand on January 27, CM Dhami will launch the portal
  • समानता: यूसीसी सभी नागरिकों के लिए समानता लाएगा और धर्म के आधार पर भेदभाव को खत्म करेगा।
  • सरलीकरण: अलग-अलग व्यक्तिगत कानूनों की जगह एक ही कानून होने से कानूनी प्रक्रिया सरल हो जाएगी।
  • आधुनिकीकरण: यूसीसी व्यक्तिगत कानूनों को आधुनिक बनाने में मदद करेगा और उन्हें बदलते हुए समाज की जरूरतों के अनुरूप बनाएगा।
  • राष्ट्रीय एकता: यूसीसी राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने में मदद करेगा और विभिन्न समुदायों के बीच सामंजस्य बढ़ाएगा।

UCC के विरोध

  • धार्मिक स्वतंत्रता: कुछ लोग मानते हैं कि यूसीसी धार्मिक स्वतंत्रता का हनन करता है और व्यक्तिगत मामलों में सरकार का हस्तक्षेप है।
  • सांस्कृतिक विविधता: कुछ लोग मानते हैं कि यूसीसी भारत की सांस्कृतिक विविधता को कम करेगा और विभिन्न समुदायों की पहचान को खत्म करेगा।
  • कानूनी जटिलताएं: यूसीसी को लागू करने में कई कानूनी जटिलताएं हो सकती हैं।

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