“भारत में Water Conservation” विषय पर आधारित है, जिसमें जल संकट की वर्तमान स्थिति, इसके मुख्य कारण, सामाजिक-आर्थिक प्रभाव, पारंपरिक एवं आधुनिक जल संरक्षण तकनीकों, सरकारी नीतियों और योजनाओं, साथ ही नागरिकों की भूमिका का विस्तृत विश्लेषण किया गया है। लेख में यह भी बताया गया है कि कैसे जल संरक्षण हमारे पर्यावरण, कृषि, और भविष्य की पीढ़ियों के लिए अत्यंत आवश्यक है।
सामग्री की तालिका
भारत में जल संरक्षण: चुनौतियाँ, प्रयास और समाधान

Water Conservation पृथ्वी पर जीवन के लिए सबसे आवश्यक तत्वों में से एक है। यह न केवल मानव जीवन के लिए, बल्कि समस्त पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी अनिवार्य है। भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में जल संरक्षण का महत्व और भी बढ़ जाता है। कृषि, उद्योग, घरेलू उपयोग और ऊर्जा उत्पादन में जल की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। किंतु जल संसाधनों का अत्यधिक दोहन, प्रदूषण और असमान वितरण भारत को एक गंभीर जल संकट की ओर धकेल रहा है।
भारत में जल संकट की वर्तमान स्थिति
Water Conservation भारत में उपलब्ध ताजे पानी का 80% से अधिक भाग कृषि में उपयोग होता है। इसके अलावा, बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण और औद्योगीकरण ने Water Conservation की मांग को अत्यधिक बढ़ा दिया है। कई क्षेत्रों में भूजल स्तर अत्यधिक नीचे चला गया है, और नदियाँ भी प्रदूषण से प्रभावित हो रही हैं।
- नीति आयोग की रिपोर्ट (2018) के अनुसार, भारत की लगभग 600 मिलियन आबादी को तीव्र जल संकट का सामना करना पड़ता है।
- 21 प्रमुख भारतीय शहर, जैसे दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद, और चेन्नई 2030 तक भूजल से पूरी तरह खाली हो सकते हैं।
जल संकट के प्रमुख कारण
- भूजल का अत्यधिक दोहन
Water Conservation खेती और पीने के पानी के लिए अंधाधुंध बोरिंग के कारण भूजल तेजी से समाप्त हो रहा है। - असमान वर्षा वितरण
मानसून पर निर्भरता अधिक होने के कारण बारिश के असमान वितरण से जल भंडारण प्रभावित होता है। - जल प्रदूषण
Water Conservation औद्योगिक अपशिष्ट, सीवेज और रासायनिक उर्वरकों के कारण जल स्रोत प्रदूषित हो रहे हैं। - असंतुलित शहरीकरण
अनियोजित विकास और जल निकासी प्रणालियों की कमी से वर्षा जल बहकर नष्ट हो जाता है। - जल संचयन की पारंपरिक प्रणालियों की उपेक्षा
Water Conservation पुराने जल स्रोतों जैसे तालाब, बावड़ी, झीलें आदि उपेक्षित हो गए हैं।
भारत में जल संरक्षण के पारंपरिक
- बावड़ियाँ और कुएँ
प्राचीन भारत में जल संचयन के लिए बावड़ियाँ और कुएँ बनाए जाते थे। - झीलें और तालाब
गांवों और नगरों में वर्षा जल को संग्रहीत करने के लिए तालाब बनाए जाते थे। - घरों में वर्षा जल संग्रहण
घर की छतों से वर्षा जल को एकत्र कर उपयोग में लाया जाता था। - जलसंवेदनशील कृषि प्रणाली
कम पानी में अधिक उत्पादन देने वाली फसलें और सिंचाई तकनीकों का प्रयोग किया जाता था।
आधुनिक जल संरक्षण उपाय
- वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting)
घरों, स्कूलों और सरकारी भवनों में वर्षा जल एकत्र कर भूजल पुनर्भरण किया जाता है। - ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई
आधुनिक सिंचाई प्रणालियाँ जैसे ड्रिप और स्प्रिंकलर, पानी की बचत करती हैं। - वाटर रीसाइक्लिंग
घरेलू और औद्योगिक अपशिष्ट जल को पुनः उपयोग योग्य बनाया जा सकता है। - वनीकरण और हरियाली
अधिक पेड़ लगाने से वर्षा बढ़ती है और जल संरक्षण में मदद मिलती है। - जल नीति और योजनाएँ
Water Conservation सरकार द्वारा जल संरक्षण के लिए योजनाएँ जैसे ‘जल शक्ति अभियान’, ‘अटल भूजल योजना’ चलाई जा रही हैं।
सरकारी प्रयास
- जल शक्ति अभियान
वर्ष 2019 में शुरू किया गया यह अभियान जल संकट वाले जिलों में जल संरक्षण को बढ़ावा देता है। - अटल भूजल योजना
भूजल के सतत प्रबंधन हेतु केंद्र सरकार द्वारा चलाई गई योजना। - नमामि गंगे मिशन
गंगा नदी के संरक्षण और सफाई हेतु एक बहुआयामी प्रयास। - मनरेगा के तहत जल संरक्षण
मनरेगा योजना के तहत जलाशयों का निर्माण, तालाब गहरीकरण, चेक डैम आदि कार्य किए जाते हैं।
भारत के प्रमुख जल संरक्षण नायक

- राजेंद्र सिंह – ‘जलपुरुष’ के नाम से प्रसिद्ध, राजस्थान में जल संरक्षण के क्षेत्र में उनका अभूतपूर्व योगदान है।
- अनिल अग्रवाल – पर्यावरण कार्यकर्ता और सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) के संस्थापक।
- साना फातिमा – हैदराबाद में वर्षा जल संचयन को प्रोत्साहित करने वाली युवा सामाजिक कार्यकर्ता।
समाज की भूमिका
- जन जागरूकता
Water Conservation के लिए लोगों में जागरूकता फैलाना अति आवश्यक है। - विद्यालयों और कॉलेजों में जल शिक्षा
विद्यार्थियों को जल संरक्षण की शिक्षा देना भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है। - सामुदायिक भागीदारी
गांवों और शहरों में सामूहिक रूप से जल स्रोतों की रक्षा करनी चाहिए।
चुनौतियाँ
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- जनसंख्या वृद्धि और बढ़ती जल मांग
- राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी
- वित्तीय संसाधनों की कमी
- जल संरचनाओं की देखभाल का अभाव
- ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में भिन्न समस्याएँ
भविष्य की रणनीतियाँ
- प्रौद्योगिकी का उपयोग
सेंसर आधारित सिंचाई, GIS मैपिंग और AI आधारित जल प्रबंधन प्रणाली अपनाई जाए। - एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन (IWRM)
एक ऐसा दृष्टिकोण जो सतही और भूजल को एक इकाई के रूप में देखता है। - पानी के मूल्य निर्धारण
पानी के दुरुपयोग को रोकने के लिए ‘पेयजल’ का मूल्य निर्धारण किया जा सकता है। - वर्षा जल की अनिवार्यता
भवन निर्माण की मंजूरी के साथ वर्षा जल संचयन अनिवार्य किया जाए।
निष्कर्ष
Water Conservation जीवन है और इसके संरक्षण की जिम्मेदारी हम सभी की है। भारत में जल संकट एक गंभीर समस्या है, जिसे केवल सरकारी प्रयासों से नहीं, बल्कि जनसहयोग से ही सुलझाया जा सकता है। हमें पारंपरिक ज्ञान के साथ-साथ आधुनिक तकनीक का समावेश करते हुए जल संसाधनों का समुचित प्रबंधन करना होगा। यही भारत को जल संकट से बचाने का एकमात्र मार्ग है।
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