’Operation Brahma’ भारत सरकार द्वारा म्यांमार में आए विनाशकारी भूकंप के पीड़ितों की सहायता के लिए शुरू किया गया एक मानवीय सहायता अभियान है। इस अभियान के तहत, भारत ने लगभग 15 टन राहत सामग्री म्यांमार के यांगून शहर भेजी है, जिसमें टेंट, कंबल, स्लीपिंग बैग, खाद्य पैकेट, स्वच्छता किट, जनरेटर और आवश्यक दवाएं शामिल हैं।
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विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी कि ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ के तहत भारत से मानवीय सहायता की पहली खेप यांगून हवाई अड्डे पर पहुंच गई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने भी बताया कि भारत भूकंप से प्रभावित म्यांमार के लोगों की सहायता के लिए प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता के रूप में कार्य कर रहा है।
भारत ने ‘Operation Brahma’ नाम क्यों चुना?
‘ब्रह्मा’ हिंदू धर्म में सृष्टि के निर्माता देवता माने जाते हैं। इस अभियान का नाम ‘Operation Brahma’ रखने का उद्देश्य संभवतः यह संकेत देना है कि भारत म्यांमार में पुनर्निर्माण और राहत कार्यों में सक्रिय भूमिका निभा रहा है, जिससे प्रभावित लोगों को नया जीवन और आशा मिल सके।
यह पहली बार नहीं है जब भारत ने संकट के समय अपने पड़ोसी देशों की सहायता की है। पूर्व में भी भारत ने ‘ऑपरेशन दोस्त’ (तुर्की और सीरिया में भूकंप राहत, 2023), ‘ऑपरेशन कावेरी’ (सूडान में संघर्ष के दौरान, 2023), ‘वैक्सीन मैत्री’ (कोविड-19 वैक्सीन आपूर्ति, 2021) और ‘ऑपरेशन मैत्री’ (नेपाल भूकंप राहत, 2015) जैसे अभियानों के माध्यम से मानवीय सहायता प्रदान की है।
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म्यांमार में आए इस भूकंप में सैकड़ों लोगों की जान गई है और हजारों लोग प्रभावित हुए हैं। भारत का यह कदम दर्शाता है कि वह क्षेत्रीय सहयोग और मानवीय सहायता में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध है।
म्यांमार में आया भूकंप
28 मार्च 2025 को म्यांमार के सागाइंग क्षेत्र में दोपहर 12:50 बजे एक शक्तिशाली 7.7 तीव्रता का भूकंप आया, जिसका केंद्र मंडाले के निकट था। इस भूकंप के परिणामस्वरूप म्यांमार में कम से कम 1,002 लोगों की मृत्यु हुई और लगभग 2,376 लोग घायल हुए।
भूकंप से म्यांमार और थाईलैंड में व्यापक क्षति हुई। म्यांमार के मंडाले क्षेत्र में इमारतें ढह गईं, सड़कें टूट गईं, और पुलों को नुकसान पहुंचा। थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में भी, जो केंद्र से लगभग 1,000 किमी दूर है, एक निर्माणाधीन गगनचुंबी इमारत गिर गई, जिससे कम से कम 10 लोगों की मौत हुई।
इस भूकंप का कारण सागाइंग फॉल्ट के साथ स्ट्राइक-स्लिप फॉल्टिंग था। यह क्षेत्र पहले भी विनाशकारी भूकंपों का सामना कर चुका है, लेकिन यह 1912 के बाद से म्यांमार में आया सबसे शक्तिशाली भूकंप था।
भूकंप के बाद कई आफ्टरशॉक्स दर्ज किए गए, जिनमें से सबसे शक्तिशाली 6.7 तीव्रता का था। इन आफ्टरशॉक्स ने बचाव और राहत कार्यों को और भी चुनौतीपूर्ण बना दिया। म्यांमार सरकार ने प्रभावित क्षेत्रों में आपातकाल घोषित किया है और बचाव कार्य जारी हैं। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से भी सहायता की अपील की गई है।
यह भूकंप म्यांमार और पड़ोसी देशों के लिए एक गंभीर आपदा है, और प्रभावित लोगों की सहायता के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है।
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