होम सेहत Ophthalmia नियोनेटोरम क्या है? परिभाषा और व्यापकता

Ophthalmia नियोनेटोरम क्या है? परिभाषा और व्यापकता

ओफ्थैल्मिया का निदान आमतौर पर एक नेत्र रोग विशेषज्ञ द्वारा किया जाता है, जो एक विस्तृत आंखों की जांच करेगा, जिसमें दृश्य तीक्ष्णता परीक्षण, आंखों की संरचना की जांच, और किसी भी सूजन या क्षति की जांच शामिल है।

Ophthalmia नियोनेटोरम एक प्रकार का आंखों का संक्रमण है जो नवजात शिशुओं में होता है। यह संक्रमण आमतौर पर जन्म के बाद पहले महीने में होता है और इसके कारण आंखों में सूजन, लालिमा, और पुस हो सकता है। Ophthalmia नियोनेटोरम के कारणों में शामिल हैं| जन्म के समय माता के गर्भ में मौजूद बैक्टीरिया या वायरस के संपर्क में आना,जन्म के समय अस्पताल में मौजूद बैक्टीरिया या वायरस के संपर्क में आना, माता के गर्भ में मौजूद क्लैमाइडिया या गोनोरिया जैसे संक्रमण के कारण|

Ophthalmia नियोनेटोरम क्या है?

What is Ophthalmia neonatorum?

Ophthalmia neonatorum एक चिकित्सकीय स्थिति है जो नवजात शिशुओं में होती है। इसे “नवजात का नेत्र संक्रमण” भी कहा जाता है। यह स्थिति मुख्यतः जन्म के समय या जन्म के कुछ दिनों के भीतर विकसित होती है। इसके पीछे मुख्य कारण मां द्वारा नवजात को संक्रमण का हस्तांतरण होता है, विशेषकर गर्भावस्था के दौरान। यह संक्रमण आंखों में जलन, लालिमा, और मवाद के रूप में प्रकट होता है।

कारण

Ophthalmia neonatorum के विभिन्न कारण हो सकते हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

  1. गोनोरिया (Neisseria gonorrhoeae): यह सबसे गंभीर संक्रमण है, जो आमतौर पर गर्भवती महिलाओं में होता है। अगर मां को गोनोरिया होता है, तो यह संक्रमण नवजात में तेजी से फैल सकता है।
  2. क्लैमाइडिया (Chlamydia trachomatis): यह भी एक सामान्य कारण है, और इसके लक्षण गोनोरिया की तुलना में कम गंभीर हो सकते हैं। लेकिन यह भी नवजात की आंखों को प्रभावित कर सकता है।
  3. स्ट्रेप्टोकोकस और स्टैफाइलोकॉकस: ये बैक्टीरिया भी इस स्थिति के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं, खासकर जब मां की स्थिति ठीक न हो।
  4. वायरल संक्रमण: हर्पीस सिंप्लेक्स वायरस, जो जन्म के समय संक्रमण के रूप में कार्य कर सकता है, नवजात के लिए गंभीर हो सकता है।
  5. फंगल संक्रमण: बहुत कम मामलों में, फंगस भी इस स्थिति का कारण बन सकता है।

लक्षण

Ophthalmia neonatorum के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:

  • आंखों में जलन: नवजात की आंखों में जलन महसूस होती है, जिससे शिशु परेशान होता है।
  • लालिमा: आंखों की सतह पर लालिमा आ जाती है।
  • मवाद का स्राव: आंखों से मवाद निकलना, जो संक्रमण की पुष्टि करता है।
  • सूजन और पफीनेस: आंखों के चारों ओर सूजन होना।
  • आंखें बंद करने में कठिनाई: शिशु को अपनी आंखें खुली रखने में कठिनाई होती है।

व्यापकता

Ophthalmia neonatorum की व्यापकता विभिन्न जनसंख्या समूहों में भिन्न होती है। इसकी दर मुख्यतः मातृ स्वास्थ्य, गर्भावस्था की देखभाल, और स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता पर निर्भर करती है।

  1. विकसित देशों में: यहाँ पर ओफ्थाल्मिया नियोनेटोरम की दर कम होती है। प्रेग्नेंसी के दौरान नियमित स्वास्थ्य जांच और आवश्यक टीकाकरण के कारण यह स्थिति कम देखी जाती है। यहाँ, प्रति 1000 जीवित जन्मों में ओफ्थाल्मिया नियोनेटोरम के मामले लगभग 0.5 से 2 तक होते हैं।
  2. विकासशील देशों में: यहाँ इस स्थिति की दर अधिक होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, प्रति 1000 जीवित जन्मों में 1 से 5 मामलों की रिपोर्ट होती है। इसके पीछे मुख्य कारण स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, यौन संचारित रोगों की उच्च दर, और मातृ स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव है।

रोकथाम

Ophthalmia neonatorum की रोकथाम के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  1. प्रेग्नेंसी के दौरान जांच: गर्भवती महिलाओं को यौन संचारित रोगों की नियमित जांच करानी चाहिए। यह संक्रमण की पहचान और उपचार में मदद करता है।
  2. प्राकृतिक जन्म के बाद शिशु की देखभाल: जन्म के समय नवजात की आंखों में एंटीसेप्टिक या एंटीबायोटिक समाधान डालना एक प्रभावी उपाय है। यह संक्रमण के खतरे को कम करता है।
  3. टीकाकरण: शिशु को हर्पीस और अन्य वायरल संक्रमणों के लिए टीका लगवाना आवश्यक है। इससे संक्रमण के खतरे को कम किया जा सकता है।
  4. स्वास्थ्य शिक्षा: माताओं को स्वास्थ्य शिक्षा देना, ताकि वे गर्भावस्था के दौरान सुरक्षित रह सकें।

यहाँ भी पढें: Eyesight कमजोर होने के क्या करण होते हैं? इसकी सुरक्षा के लिए हम क्या उपाय कर सकते हैं?

उपचार

Ophthalmia neonatorum के उपचार के लिए निम्नलिखित विधियाँ अपनाई जाती हैं:

  1. एंटीबायोटिक उपचार: संक्रमण के कारण के अनुसार एंटीबायोटिक्स का उपयोग किया जाता है। गोनोरिया और क्लैमाइडिया के लिए प्रभावी एंटीबायोटिक्स निर्धारित किए जाते हैं।
  2. नेत्र की देखभाल: आंखों की सफाई के लिए हल्के सोडियम क्लोराइड या अन्य एंटीसेप्टिक समाधान का उपयोग किया जाता है।
  3. स्पेशलिस्ट की सलाह: यदि लक्षण गंभीर हैं या सुधार नहीं हो रहा है, तो नेत्र विशेषज्ञ से परामर्श करना आवश्यक है।

सामाजिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव

Ophthalmia neonatorum केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर ही नहीं, बल्कि मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव डालता है। एक नवजात बच्चे के लिए आंखों की समस्याएँ जीवनभर की दृष्टि संबंधी समस्याओं का कारण बन सकती हैं। इससे परिवार पर भी तनाव बढ़ सकता है।

  1. पारिवारिक तनाव: बच्चे की आंखों की समस्या परिवार के सदस्यों के लिए चिंता का कारण बन सकती है, जिससे पारिवारिक तनाव बढ़ सकता है।
  2. आर्थिक प्रभाव: चिकित्सा देखभाल के लिए वित्तीय बोझ बढ़ सकता है, विशेषकर विकासशील देशों में, जहाँ स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सीमित है।
  3. सामाजिक कलंक: कुछ क्षेत्रों में, नवजात के आंखों की समस्या को सामाजिक कलंक माना जा सकता है, जिससे परिवार को सामाजिक स्तर पर समस्या हो सकती है।

निष्कर्ष

Ophthalmia neonatorum एक गंभीर स्थिति है जो नवजात शिशुओं को प्रभावित कर सकती है। इसके लक्षण और प्रभाव गंभीर हो सकते हैं, लेकिन उचित रोकथाम और उपचार के माध्यम से इससे बचा जा सकता है।

समाज में जागरूकता बढ़ाना, मातृ स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करना, और नवजात शिशुओं के लिए उचित देखभाल सुनिश्चित करना इस स्थिति को कम करने के लिए आवश्यक हैं। चिकित्सकों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और परिवारों को इस स्थिति के प्रति जागरूक रहना चाहिए ताकि नवजात की आंखों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए उचित कदम उठाए जा सकें।

अंततः, नवजात की आंखों की सुरक्षा केवल चिकित्सा दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि सामुदायिक स्वास्थ्य और कल्याण के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

अन्य ख़बरों के लिए यहाँ क्लिक करें

Exit mobile version