Parkinson: जरा कल्पना कीजिए—आप सुबह उठते हैं और देखते हैं कि आपके हाथ में थोड़ी कंपन हो रही है। आप सोचते हैं शायद थकान या तनाव की वजह से हो रहा है। लेकिन कुछ हफ्तों में आपकी चाल धीमी हो जाती है, हाथों का कंपन बढ़ जाता है, और रोजमर्रा के छोटे-छोटे काम भी मुश्किल लगने लगते हैं। ये बढ़ती उम्र नहीं, Parkinson रोग का संकेत हो सकता है। पर आखिर ये बीमारी होती क्या है? कौन लोग इसके ज्यादा शिकार होते हैं? क्या इसे रोका जा सकता है? आइए जानते हैं विशेषज्ञ की राय से इस जटिल बीमारी को पूरी तरह समझें।
सामग्री की तालिका
Parkinson रोग क्या है?
Parkinson रोग एक न्यूरोडीजेनेरेटिव (तंत्रिका क्षयकारी) बीमारी है जो हमारे मस्तिष्क की गतिशीलता को नियंत्रित करने वाली कोशिकाओं को प्रभावित करती है। मस्तिष्क में एक खास रसायन होता है जिसे डोपामिन कहते हैं। जब यह रसायन कम बनने लगता है, तो शरीर की गति, संतुलन और समन्वय में दिक्कत आने लगती है।
डॉ. राकेश कुमार, वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट, AIIMS दिल्ली बताते हैं,
“Parkinson सिर्फ हाथ कांपने की बीमारी नहीं है। यह शरीर की हर गतिविधि को प्रभावित कर सकता है, बोलने, चलने और भावनात्मक स्थिति तक को।”

शुरुआती लक्षण जिनसे सावधान रहें
Parkinson के लक्षण धीरे-धीरे शुरू होते हैं और समय के साथ गंभीर होते जाते हैं। इसके शुरुआती संकेतों में शामिल हैं:
- हाथों में कंपन: विशेषकर आराम की स्थिति में।
- धीमी चाल (ब्रैडीकाइनेशिया): कपड़े पहनना, दांत ब्रश करना जैसे कामों में समय लगने लगता है।
- मांसपेशियों में जकड़न: हाथ-पैर भारी और सख्त लगते हैं।
- संतुलन में गड़बड़ी: बार-बार गिरना या लड़खड़ाना।
- हस्तलेखन में बदलाव: अक्षर छोटे और जमे-जमे दिखते हैं।
- आवाज़ में बदलाव: आवाज धीमी या सपाट हो जाती है।
- चेहरे के भावों में कमी: व्यक्ति का चेहरा भावहीन लगता है।
हर व्यक्ति में लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। शुरू में इसे सामान्य उम्र बढ़ने से जोड़कर नजरअंदाज करना आम बात है।
किन लोगों को होता है ज्यादा खतरा?
1. उम्र
सबसे बड़ा खतरा 60 वर्ष से ऊपर की उम्र में होता है। हालांकि कुछ मामलों में 40 की उम्र के बाद भी Parkinson हो सकता है, जिसे यंग-ऑनसेट Parkinson कहा जाता है।
2. लिंग
पुरुषों को यह रोग महिलाओं की तुलना में डेढ़ गुना अधिक होता है।
3. वंशानुगत कारण
करीब 10-15% मामलों में यह रोग परिवार से जुड़ा होता है। कुछ जीन (जैसे LRRK2, PINK1, SNCA) इसके लिए जिम्मेदार माने जाते हैं।
“अगर किसी के माता-पिता या भाई-बहन को यह रोग है, तो आपके लिए खतरा थोड़ा बढ़ जाता है, लेकिन यह निश्चित नहीं है कि आपको भी होगा,” कहते हैं डॉ. राकेश।
4. पर्यावरणीय कारण
कीटनाशकों, औद्योगिक रसायनों और प्रदूषण के संपर्क में आने से Parkinson का खतरा बढ़ता है।
5. सिर की चोट
खिलाड़ियों या दुर्घटनाग्रस्त लोगों को जिनके सिर पर गंभीर चोट लगी हो, उनमें यह बीमारी विकसित होने का खतरा अधिक होता है।
6. गांवों में रहना और कुएं का पानी पीना
रिसर्च बताती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने और कुएं का पानी पीने वालों में कीटनाशकों के कारण जोखिम ज्यादा हो सकता है।
इसका कारण क्या है?
Parkinson रोग का एकमात्र कारण अब तक पूरी तरह ज्ञात नहीं है, लेकिन प्रमुख कारण हैं:
- डोपामिन उत्पादक कोशिकाओं की मौत
- ल्यूवी बॉडीज नामक असामान्य प्रोटीन का जमाव
- ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस, माइटोकॉन्ड्रियल डिसफंक्शन और सूजन
यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें मस्तिष्क धीरे-धीरे अपना नियंत्रण खोने लगता है।
Neurological Disorders: कारण, लक्षण, उपचार और बचाव के सम्पूर्ण उपाय
यह कैसे पता चलता है?
Parkinson की कोई निश्चित जांच नहीं होती। डॉक्टर इसका पता मरीज के लक्षणों और जांच के आधार पर लगाते हैं:
- न्यूरोलॉजिकल जांच
- मेडिकल हिस्ट्री
- ब्रेन स्कैन (MRI या PET) अन्य बीमारियों को बाहर करने के लिए
- डोपामिन दवाओं की प्रतिक्रिया पर नजर
शुरुआती अवस्था में इसकी पहचान मुश्किल हो सकती है, इसलिए विशेषज्ञ से सलाह जरूरी है।
क्या इसका इलाज संभव है?
फिलहाल Parkinson का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन सही दवाएं और थेरेपी के जरिए इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
1. दवाएं
- लेवोडोपा-कार्बिडोपा: सबसे प्रभावी दवा जो डोपामिन की कमी पूरी करती है।
- डोपामिन एगोनिस्ट्स: डोपामिन का काम करने वाले रसायन।
- MAO-B इन्हिबिटर्स: डोपामिन टूटने से रोकते हैं।
- अमैन्टाडीन: कंपकंपी और जकड़न कम करने में सहायक।
2. सर्जरी (Deep Brain Stimulation)
जब दवाएं असर करना बंद कर देती हैं, तब मस्तिष्क में इलेक्ट्रोड्स लगाकर लक्षणों को नियंत्रित किया जाता है।
3. फिजिकल थेरेपी
- चलने, संतुलन बनाने और लचीलापन बढ़ाने में मदद करती है।
4. स्पीच व ऑक्यूपेशनल थेरेपी
- बोलने में सुधार और रोजमर्रा के काम आसान करने में मददगार।
Parkinson रोग: लक्षण, कारण, उपचार और बचाव की सम्पूर्ण जानकारी
जीवनशैली में बदलाव से राहत
नियमित व्यायाम
योग, साइकलिंग, ताई ची जैसे व्यायाम से संतुलन और मूड में सुधार होता है।
पौष्टिक आहार
- मेडिटेरेनियन डाइट अपनाएं – हरी सब्जियां, फल, मछली, साबुत अनाज और ओमेगा-3।
- कब्ज से बचने के लिए फाइबर और पानी की मात्रा बढ़ाएं।
नींद पूरी करें
Parkinson में नींद की समस्या आम है। सही रूटीन अपनाएं।
तनाव से दूरी
ध्यान, प्राणायाम और काउंसलिंग से मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।
क्या इसे रोका जा सकता है?
हालांकि इसे पूरी तरह रोकना मुश्किल है, लेकिन खतरे को कम किया जा सकता है:
- कीटनाशकों से दूर रहें
- सिर की चोट से बचें
- नियमित व्यायाम करें
- कॉफी पीने से कुछ रिसर्च में खतरे में कमी देखी गई है।
- दिमाग को सक्रिय रखें – पढ़ाई, पहेलियां हल करना, सामाजिक गतिविधियों में भाग लें।
प्रेरणादायक कहानी
62 वर्षीय सुनील मेहरा, जिन्हें 5 साल पहले Parkinson हुआ था, आज साइकलिंग, पेंटिंग और समाज सेवा में सक्रिय हैं।
“मैं बीमारी को नहीं, खुद को नियंत्रित करता हूं,” कहते हैं सुनील।
सही सपोर्ट और इच्छाशक्ति से Parkinson के साथ भी बेहतर जीवन जिया जा सकता है।
भविष्य क्या है?
रिसर्च तेजी से बढ़ रही है:
- स्टेम सेल थेरेपी से डोपामिन कोशिकाओं को फिर से बनाया जा रहा है।
- जीन थेरेपी से आनुवांशिक कारणों को ठीक करने की कोशिश।
- AI तकनीक से लक्षणों की पहचान और इलाज में सुधार।
“आने वाले 5-10 सालों में हम और बेहतर इलाज या संभवतः इलाज की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं,” कहते हैं डॉ. राकेश।
निष्कर्ष: जानकारी ही बचाव है
Parkinson एक लंबी चलने वाली बीमारी है, लेकिन अगर इसे समय रहते पहचाना जाए, तो जीवन की गुणवत्ता को बरकरार रखा जा सकता है। अगर आप या आपके किसी प्रियजन को इसके लक्षण नजर आएं, तो जल्द से जल्द किसी विशेषज्ञ से संपर्क करें। इलाज की शुरुआत जितनी जल्दी होगी, परिणाम उतने बेहतर होंगे।
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