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Newsnowसंस्कृतिमाघ गुप्त Navratri कब शुरू होती है?

माघ गुप्त Navratri कब शुरू होती है?

माघ गुप्त Navratri 2025 एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है जो खासतौर पर तांत्रिक साधनाओं और देवी-देवताओं की पूजा के लिए जाना जाता है।

माघ गुप्त Navratri या गुप्त नवमी हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखती है और यह माघ माह के शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है। इसे ‘गुप्त’ नवमी कहा जाता है क्योंकि इस अवधि में देवी दुर्गा और अन्य शक्तियों की पूजा गुप्त और रहस्यमयी रूप से की जाती है। इस वर्ष, 2025 में माघ गुप्त नवमी 30 जनवरी से शुरू होकर 7 फरवरी तक रहेगी।

गुप्त नवमी का महत्व

गुप्त Navratri का महत्व खासतौर पर तांत्रिक साधनाओं और गुप्त पूजा पद्धतियों में निहित है। यह एक ऐसा समय होता है जब विशेष रूप से तांत्रिक साधक देवी-देवताओं की पूजा करते हैं और अपने जीवन में सुख, समृद्धि, और शक्ति की प्राप्ति के लिए विशेष साधनाएँ करते हैं। गुप्त नवमी के दौरान, विशेष रूप से देवी के दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है, जिन्हें तंत्र-साधना में अत्यधिक प्रभावशाली माना जाता है।

गुप्त Navratri और दस महाविद्याएँ

गुप्त Navratri के दौरान जिन दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है, वे हैं:

  • माँ काली
  • तारा देवी
  • त्रिपुरा सुंदरी
  • भुवनेश्वरी
  • चिन्नमस्ता
  • त्रिपुरा भैरवी
  • धूमावती
  • बगला मुखी
  • मतंगी
  • कमला देवी

यह दस महाविद्याएँ देवी के विभिन्न रूपों का प्रतीक हैं और इनकी पूजा से व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक शक्ति मिलती है।

माघ गुप्त Navratri 2025 की तिथियाँ

2025 में माघ गुप्त Navratri 30 जनवरी से शुरू होगी और 7 फरवरी तक चलेगी। इस दौरान श्रद्धालु हर दिन विशिष्ट तांत्रिक पूजा करते हैं। गुप्त नवमी के नौ दिन देवी के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है, जिसमें पहले दिन से लेकर नौवें दिन तक विशेष अनुष्ठान होते हैं। पहले दिन को ‘प्रथम दिवस’ कहा जाता है, जिसमें कलश स्थापना और अन्य पूजा विधियों का पालन किया जाता है।

पूजा विधि

  • गुप्त Navratri की पूजा के दौरान श्रद्धालु विशेष रूप से तंत्र-मंत्र और शक्ति साधनाओं का पालन करते हैं। इन दिनों में विशेष तंत्र साधना, पूजा और उपासना होती है जो केवल उन लोगों द्वारा की जाती है जो इस क्षेत्र में अनुभव रखते हैं या जिनके पास एक योग्य गुरु का मार्गदर्शन होता है। इस दौरान व्रत, उपवासी रहकर साधना की जाती है और देवी-देवताओं की आराधना की जाती है।

कलश स्थापना और मुहूर्त

  • कलश स्थापना गुप्त नवमी के प्रमुख अनुष्ठान में से एक है, और यह पूजा का प्रारंभिक कार्य है। इस वर्ष, 2025 में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 30 जनवरी को प्रातः 9:25 से 10:46 तक रहेगा। इस मुहूर्त के दौरान श्रद्धालु कलश स्थापित करते हैं और पूजा आरंभ करते हैं। इसके अलावा, अभिजीत मुहूर्त भी पूजा के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है, जो 12:13 से 12:56 तक रहेगा।

गुप्त Navratri के दौरान की जाने वाली साधनाएँ

गुप्त नवमी के दौरान, श्रद्धालु विशेष तंत्र साधना, हवन, पूजा और मंत्र जप करते हैं। यह समय आत्मिक उन्नति और देवी के आशीर्वाद प्राप्त करने का होता है। पूजा की विधि में विशेष मंत्रोच्चारण, हवन सामग्री का प्रयोग और तंत्र-मंत्र के उच्चारण का महत्व होता है।

तांत्रिक साधना और गुरु का महत्व

  • गुप्त नवमी के समय तांत्रिक साधनाएँ और विधियाँ अत्यंत महत्वपूर्ण होती हैं। इस दौरान, गुरु के मार्गदर्शन में साधक विशेष रूप से देवी के दस महाविद्याओं की पूजा करते हैं। यह पूजा गुप्त रूप से की जाती है, जिससे साधक मानसिक और भौतिक शक्ति प्राप्त कर सकता है।

गुप्त Navratri की पूजा के लाभ

  • गुप्त नवमी के दौरान की जाने वाली पूजा से भक्तों को मानसिक शांति, शारीरिक बल, धन और सुख-संपत्ति की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, यह समय आत्म-सुधार और आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी उपयुक्त माना जाता है। जिन लोगों की जिंदगी में कोई विशेष परेशानी या समस्या हो, वे गुप्त नवमी के अवसर पर विशेष साधनाएँ करके उसे दूर कर सकते हैं।

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निष्कर्ष

माघ गुप्त Navratri 2025 एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है जो खासतौर पर तांत्रिक साधनाओं और देवी-देवताओं की पूजा के लिए जाना जाता है। यह समय देवी की शक्तियों से जुड़ने और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का उत्तम अवसर है। श्रद्धालु इस समय का सदुपयोग करके अपने जीवन को आध्यात्मिक रूप से समृद्ध कर सकते हैं और समग्र रूप से सुख-शांति का अनुभव कर सकते हैं।

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