Hanuman ji को भगवान राम के परम भक्त, ब्रह्मचारी और बल-पराक्रम के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। लेकिन आपने अक्सर सुना होगा कि महिलाएं हनुमान जी का व्रत या उनकी विशेष साधना नहीं करतीं। इसके पीछे धार्मिक, पौराणिक और सामाजिक दृष्टिकोण से कई कारण बताए जाते हैं। आइए, इन कारणों को विस्तार से समझते हैं।
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सामग्री की तालिका
धार्मिक दृष्टिकोण
(i) Hanuman ji का ब्रह्मचर्य व्रत
हनुमान जी को एक आदर्श ब्रह्मचारी माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, वे आजीवन ब्रह्मचारी रहे और अपने तपस्वी स्वभाव के कारण स्त्रियों से एक निश्चित दूरी बनाए रखते थे। इस कारण से, कई परंपराओं में महिलाओं को हनुमान जी की विशेष साधना और व्रत करने से रोका जाता है।
(ii) पवित्रता और शुद्धता का महत्व
Hanuman ji की पूजा में शुद्धता और संयम का अत्यधिक महत्व बताया गया है। पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार, मासिक धर्म के दौरान महिलाएं पूजा और उपवास से बचती हैं, जिससे हनुमान जी के व्रत को उनके लिए कठिन माना जाता है।
पौराणिक दृष्टिकोण
(i) सीता माता का आशीर्वाद
रामायण के अनुसार, हनुमान जी ने माता सीता को लंका में खोजा और उनकी सेवा की। जब सीता माता ने उन्हें अजर-अमर होने का वरदान दिया, तो उन्होंने यह भी कहा कि वे मुख्य रूप से पुरुष भक्तों को आशीर्वाद देंगे। इसी वजह से यह धारणा बनी कि महिलाएं उनकी कठोर तपस्या या व्रत नहीं रखतीं।
(ii) हनुमान जी और स्त्रियों की भक्ति
हालांकि Hanuman ji के प्रति महिलाओं की श्रद्धा और भक्ति में कोई कमी नहीं होती, लेकिन उनकी पूजा का तरीका पुरुषों से थोड़ा अलग होता है। महिलाएं अक्सर सुंदरकांड का पाठ करती हैं या केवल हनुमान चालीसा का पाठ करके हनुमान जी को स्मरण करती हैं।
सामाजिक दृष्टिकोण
(i) पारंपरिक नियम और मान्यताएं
पुरानी सामाजिक मान्यताओं के अनुसार, महिलाओं का व्रत रखना हनुमान जी के ब्रह्मचर्य व्रत के विपरीत माना गया। इसलिए, पारंपरिक समाज में यह नियम प्रचलित हुआ कि महिलाएं हनुमान जी के कठिन व्रत न रखें।
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(ii) कुछ अपवाद भी मौजूद हैं
हालांकि, कई क्षेत्रों में महिलाएं Hanuman ji की पूजा करती हैं, विशेष रूप से संकटमोचन मंदिरों में। कई महिलाएं मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी को प्रसाद चढ़ाती हैं और उनका आशीर्वाद लेती हैं, लेकिन वे कठोर उपवास और अनुष्ठान नहीं करतीं।
हालांकि कुछ परंपराओं के कारण महिलाएं हनुमान जी का व्रत नहीं रखतीं, लेकिन उनकी भक्ति में कोई कमी नहीं होती। वे हनुमान चालीसा का पाठ करती हैं, मंदिरों में दर्शन करती हैं और संकटमोचन हनुमान से अपनी मनोकामनाएं मांगती हैं। यह पूरी तरह से व्यक्ति की आस्था पर निर्भर करता है कि वह किस प्रकार हनुमान जी की आराधना करना चाहता है।
🙏 जय हनुमान 🙏