बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने अपनी हालिया चार दिवसीय China यात्रा के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की और चीन से बांग्लादेश में आर्थिक प्रभाव बढ़ाने का आग्रह किया। उन्होंने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों, जिन्हें ‘सात बहनें’ कहा जाता है, का उल्लेख करते हुए कहा कि ये राज्य चारों ओर से भूमि से घिरे हुए हैं और समुद्र तक उनकी सीधी पहुंच नहीं है। यूनुस ने बांग्लादेश को इस क्षेत्र में महासागर का एकमात्र संरक्षक बताते हुए इसे एक बड़ा अवसर माना, जिससे चीनी अर्थव्यवस्था का विस्तार हो सकता है।
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मुहम्मद यूनुस ने China को दिया निवेश का न्योता
इस यात्रा के दौरान, बांग्लादेश और China के बीच नौ समझौतों पर हस्ताक्षर हुए, जिनमें आर्थिक और तकनीकी सहयोग, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, मीडिया सहयोग और स्वास्थ्य क्षेत्र की साझेदारी शामिल हैं। यूनुस ने चीनी कंपनियों को बांग्लादेश में निर्माण कार्यों को बढ़ावा देने का निमंत्रण दिया और चीनी ऋणों पर ब्याज दरों को कम करने का अनुरोध किया।
यूनुस की इन टिप्पणियों और कार्यों ने भारत में चिंता उत्पन्न की है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने सवाल उठाया कि यूनुस ने भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र का उल्लेख क्यों किया। बांग्लादेश में भारत की पूर्व उच्चायुक्त वीना सीकरी ने यूनुस की टिप्पणियों को चौंकाने वाला बताया और कहा कि उन्हें ऐसा बयान देने का कोई अधिकार नहीं है। कांग्रेस पार्टी ने भी इस कदम को पूर्वोत्तर क्षेत्र की सुरक्षा के लिए खतरनाक बताया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि बांग्लादेश का China से भारी-भरकम ऋण लेना देश को चीन की ‘कर्ज कूटनीति’ के जाल में फंसा सकता है, जैसा कि श्रीलंका के साथ हुआ था। इसलिए, बांग्लादेश को अपने आर्थिक निर्णयों में सतर्कता बरतनी चाहिए।
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