Lucknow: यूपी की सियासत में कब क्या हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता है। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले साथ आए ‘बुआ’ और ‘भतीजे’ अब एक-दूसरे के कट्टर विरोधी हो गए हैं। आलम यह है कि बीएसपी सु्प्रीमो मायावती ने गुरुवार को एसपी प्रमुख अखिलेश यादव की स्थिति मुलायम सिंह यादव जैसी करने की धमकी दी है। दरअसल मायावती राज्यसभा चुनाव से ऐन पहले बीएसपी के विधायकों के एसपी के खेमे में जाने से गुस्सा गई हैं। उनका कहना है कि 2003 में मुलायम ने बीएसपी तोड़ी तो उनकी बुरी गति हुई, अब अखिलेश ने यह काम किया है, उनकी बुरी गति होगी।
इस दौरान बीएसपी सुप्रीमो ने ऐलान किया कि अब बहुजन समाज पार्टी, अखिलेश यादव की अगुवाई वाली समाजवादी पार्टी को सत्ता से दूर रखने के लिए किसी से भी हाथ मिला सकती है, चाहे वो बीजेपी ही क्यों ना हो।
यह पहला मौका नहीं है जब बीएसपी में विधायकों की बगावत हुई है। पार्टी के संस्थापक सदस्यों में एक राजबहादुर ने बीएसपी के कई विधायकों को तोड़कर अपनी नई पार्टी बनाई। 20 से ज्यादा विधायकों को तोड़कर उन्होंने अपनी नई पार्टी बनाई थी। टांडा के मसूद अहमद भी कांशीराम के जमाने से बसपा में थे। 1985 से 1993 तक पूर्वी उत्तरप्रदेश के प्रभारी तक रहे हैं। इन्हें भी कुछ मतभेद के चलते पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया। उनके अलावा आरके चौधरी, शाकिर अली, राशिद अल्वी, जंग बहादुर पटेल, बरखू राम वर्मा, सोने लाल पटेल, राम लखन वर्मा, भगवत पाल, राजाराम पाल, राम खेलावन पासी, कालीचरण सोनकर समेत कई ऐसे नेता हैं जिन्हें बीएसपी से बाहर का रास्ता दिखाया गया।