Kumbh Mela, विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक समागम है। इसकी अनोखी परंपराएँ इसे दुनिया भर में प्रसिद्ध बनाती हैं। आइए जानते हैं कुंभ मेले की कुछ खास परंपराओं के बारे में:
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Kumbh Mela की 8 अनोखी परंपराएँ
नागा साधुओं का शाही स्नान: कुंभ मेले में सबसे पहले नागा साधु पवित्र नदी में डुबकी लगाते हैं। उनकी तपस्या और साधना का यह एक अनूठा प्रदर्शन होता है।
अखाड़ों की शोभायात्रा: विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत अपनी पारंपरिक वेशभूषा और झंडों के साथ शोभायात्रा निकालते हैं। यह दृश्य बेहद मनमोहक होता है।
पवित्र नदी में स्नान: कुंभ मेले का मुख्य आकर्षण पवित्र नदी में स्नान करना है। मान्यता है कि इस स्नान से पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
धार्मिक अनुष्ठान: कुंभ मेले में विभिन्न प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। यज्ञ, हवन और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है।
संतों के प्रवचन: देश-विदेश से आए हुए संत अपने अनुभव और ज्ञान का प्रचार करते हैं।
लोक कला और संस्कृति: कुंभ मेले में देश की विभिन्न संस्कृतियों का प्रदर्शन होता है। लोक नृत्य, संगीत और हस्तशिल्प देखने को मिलते हैं।
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव: कुंभ मेला स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लाखों लोग यहां आते हैं और खरीदारी करते हैं।
सांस्कृतिक आदान-प्रदान: कुंभ मेला विभिन्न संस्कृतियों के लोगों को एक साथ लाता है, जिससे सांस्कृतिक आदान-प्रदान होता है।
कुछ अन्य रोचक तथ्य:
कुंभ मेला हर 12 साल में चार स्थानों पर आयोजित किया जाता है: प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन।
कुंभ मेले की शुरुआत समुद्र मंथन की पौराणिक कथा से जुड़ी हुई है।
कुंभ मेले में लाखों लोग भाग लेते हैं, जो इसे विश्व का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण समागम बनाता है।
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कुंभ मेला सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का एक जीवंत उदाहरण है।