मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) की नागपुर पीठ ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार को नागपुर जिले में सोमवार रात तक Remdesivir की 10,000 शीशियों को तुरंत जारी करने का निर्देश दिया और कहा कि इस मुद्दे को “युद्धस्तर” पर हल करने की आवश्यकता है।
पीठ ने राज्य और केंद्र को यह भी निर्देश दिया कि 21 अप्रैल तक हलफनामे दाखिल करें कि विभिन्न राज्यों और जिलों को Remdesivir वितरित करने और आवंटित करने के लिए किन मापदंडों का पालन किया गया था।
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जस्टिस सुनील शुकरे और एसएम मोदक की एक खंडपीठ दवाओं, चिकित्सा बुनियादी ढांचे के उपयोग और महामारी से निपटने के लिए इसके अभाव की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि Remdesivir का नागपुर में आवंटन बहुत कम था।
अदालत ने तब कहा, नागपुर जिले को रेमेडिसविर (Remdesivir) शीशियों के वितरण में असमानता और कुछ मनमानी प्रतीत होती है। Remdesivir आवश्यकता के अनुपात में जारी नहीं की जा रही है।
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पीठ ने टिप्पणी की, यदि Covid-19 मामलों में महाराष्ट्र से 40% का योगदान है, तो यह कहना सही है कि इस राज्य को 40% रेमेडिसविर (Remdesivir) इंजेक्शन आवंटित किए गए हैं। आवंटन को जरूरत आधारित होना चाहिए, न कि किसी अन्य कारक पर जो प्रासंगिक नहीं है।
अदालत ने कहा कि 13 अप्रैल और 18 अप्रैल को, Remdesivir की एक भी शीशी नागपुर को आवंटित नहीं की गई थी और 17 अप्रैल को केवल 500 शीशियों का आवंटित किया गया था।
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पीठ ने कहा, इससे नागपुर प्रशासन पर Covid-19 रोगियों के स्वास्थ्य देखभाल करने पर गंभीर असर पड़ा है। Remdesivir की कमी के कारण मृत्यु दर की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। प्रत्येक बहुमूल्य जीवन को बचाना और संरक्षित करना राज्य का एकमात्र कर्तव्य है।
अदालत ने कहा, नागपुर में Covid-19 परिदृश्य सबसे खराब हो गया है। कोई बेड उपलब्ध नहीं है, जीवन रक्षक उपाय उपलब्ध नहीं हैं, ऑक्सीजन की कमी है और मेडिकल और पैरा मेडिकल स्टाफ की भी कमी है। नागपुर में Covid-19 मामलों में बहुत तेजी देखी जा रही है और पिछले साल महामारी के पहले चरण में भी स्थिति इतनी खराब नहीं थी।