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अमेरिकी सीनेटर के तर्क पर S. Jaishankar का करारा जवाब-“लोकतंत्र भोजन की व्यवस्था नहीं करता”

जयशंकर का यह बयान भारत में लोकतंत्र की प्रभावशीलता को रेखांकित करता है और पश्चिमी दृष्टिकोण को चुनौती देता है कि लोकतंत्र केवल राजनीतिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है, जबकि भारत जैसे देश इसे व्यापक सामाजिक कल्याण से भी जोड़ते हैं।

म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन के दौरान जब अमेरिकी सीनेटर एलिसा स्लॉटकिन ने कहा कि “लोकतंत्र आपकी मेज पर भोजन नहीं रखता”, तो भारतीय विदेश मंत्री S. Jaishankar ने उनका तर्क खारिज करते हुए जवाब दिया कि भारत में लोकतंत्र वास्तव में लोगों को भोजन उपलब्ध कराता है।

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जयशंकर का जवाब:

उन्होंने कहा,

“वास्तव में, दुनिया के मेरे हिस्से में, लोकतंत्र भोजन की व्यवस्था करता है। क्योंकि हम एक लोकतांत्रिक समाज हैं, हम 800 मिलियन (80 करोड़) लोगों को पोषण सहायता और भोजन देते हैं। उनके स्वास्थ्य और भरे हुए पेट का संबंध इस बात से है कि हम कैसे शासन करते हैं।”

उन्होंने यह स्पष्ट किया कि भारत में लोकतंत्र के माध्यम से कल्याणकारी योजनाएं चलाई जाती हैं, जिससे करोड़ों लोगों को खाद्य सुरक्षा और अन्य सहायता मिलती है।

S. Jaishankar का संदेश:

S. Jaishankar's befitting reply to US Senator's argument

उनके जवाब का एक निहितार्थ यह भी था कि लोकतांत्रिक व्यवस्था को केवल पश्चिमी चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए, क्योंकि विभिन्न देशों में इसके अलग-अलग कार्यान्वयन और प्रभाव हो सकते हैं।

S. Jaishankar ने यह दिखाने की कोशिश की कि लोकतंत्र सिर्फ चुनाव और राजनीतिक प्रक्रिया तक सीमित नहीं है, बल्कि यह शासन की एक प्रणाली है जो आर्थिक और सामाजिक कल्याण सुनिश्चित कर सकती है।

उन्होंने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) जैसी भारतीय योजनाओं का अप्रत्यक्ष रूप से संदर्भ दिया, जो गरीबों को सब्सिडी वाला या मुफ्त राशन प्रदान करती हैं।

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