राज्यसभा में मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष Mallikarjun Kharge के बयान पर जमकर हंगामा हुआ। खड़गे ने सदन में अपने अपमानजनक बयान पर माफी मांगी और स्पष्ट किया कि उनकी टिप्पणी किसी व्यक्ति विशेष के लिए नहीं, बल्कि सरकार की “विभाजनकारी नीतियों” के खिलाफ थी।
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दिन के एजेंडे के अनुसार, राज्यसभा में शिक्षा मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा हो रही थी। इस दौरान कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह को बोलने के लिए बुलाया गया, लेकिन तभी डीएमके सांसदों ने विरोध जताते हुए शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से माफी मांगने की मांग की। डीएमके सांसदों ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत तीन-भाषा नीति पर प्रधान की टिप्पणी तमिलनाडु के छात्रों के खिलाफ थी।
इस बीच खड़गे ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि सरकार विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा, “यह तानाशाही है। विपक्ष सरकार को घेरने के लिए पूरी तरह तैयार है।”
खड़गे के बयान पर विवाद क्यों हुआ?
Mallikarjun Kharge ने हिंदी में एक ऐसा शब्द इस्तेमाल किया, जिसे सत्ता पक्ष ने “असंसदीय” बताते हुए आपत्ति जताई। इसके बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया। सत्ता पक्ष ने खड़गे के बयान को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी और इसे सदन की गरिमा के खिलाफ बताया।
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जेपी नड्डा ने किया विरोध
सदन के नेता जेपी नड्डा ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि खड़गे द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा निंदनीय है। उन्होंने कहा, “खड़गे ने जो भाषा इस्तेमाल की है, वह सदन की गरिमा के खिलाफ है। इसकी निंदा होनी चाहिए। उन्हें माफी मांगनी चाहिए और इस टिप्पणी को सदन की कार्यवाही से हटाया जाना चाहिए।”
Mallikarjun Kharge खड़गे ने माफी मांगी
विवाद बढ़ता देख मल्लिकार्जुन खड़गे ने माफी मांगी और सफाई देते हुए कहा कि उनकी टिप्पणी आसन या किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं थी। उन्होंने कहा, “मुझे खेद है कि मेरी टिप्पणी से अगर किसी को ठेस पहुंची हो तो मैं माफी मांगता हूं। मेरी टिप्पणी का मकसद सरकार की नीतियों पर सवाल उठाना था, न कि किसी व्यक्ति पर।”
धर्मेंद्र प्रधान की टिप्पणी पर भी विवाद
इस पूरे विवाद की शुरुआत शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की टिप्पणी से हुई थी। प्रधान ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत तीन-भाषा नीति पर तमिलनाडु सरकार की आलोचना की थी। प्रधान ने कहा था कि तमिलनाडु सरकार राजनीति के लिए छात्रों का भविष्य बर्बाद कर रही है। विपक्ष ने प्रधान की इस टिप्पणी पर नाराजगी जताई और उनके इस्तीफे की मांग की।
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