अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति Donald Trump द्वारा घोषित नए मेगा टैरिफ्स ने वैश्विक बाजारों में हलचल मचा दी है। ट्रंप ने इन टैरिफ्स को अमेरिका की अर्थव्यवस्था के लिए “जरूरी दवा” बताते हुए कहा है कि इसका असर दिखने लगा है और यह अमेरिकी हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम है।
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ट्रंप की योजना के अनुसार, अमेरिका अब चीन सहित कई देशों से आयातित वस्तुओं पर भारी शुल्क लगाएगा, जिससे अमेरिकी उद्योगों को प्रतिस्पर्धा में बढ़त मिलेगी। इस नीति का सीधा असर एशियाई शेयर बाजारों पर पड़ा है – जापान, दक्षिण कोरिया, और भारत जैसे देशों के बाजारों में गिरावट दर्ज की गई है। वहीं, अमेरिकी शेयर फ्यूचर्स में भी तेज़ गिरावट देखी गई।
ट्रंप का कहना है कि इस टैरिफ नीति के लागू होने के बाद से 50 से अधिक देशों ने अमेरिका से व्यापार वार्ता शुरू करने की इच्छा जताई है। इनमें भारत, इज़राइल और ताइवान जैसे देश शामिल हैं। ताइवान ने अमेरिका को शून्य टैरिफ की पेशकश की है, जबकि भारत ने फिलहाल शांतिपूर्ण रुख अपनाते हुए कोई प्रतिशोधी कार्रवाई नहीं की है।
Donald Trump की नीति पर उठने लगे सवाल
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि इन टैरिफ्स से वैश्विक मंदी की आशंका बढ़ सकती है। उपभोक्ताओं पर महंगाई का असर पड़ेगा और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो सकती है। अमेरिकी GDP में गिरावट और बेरोजगारी दर में वृद्धि की आशंका भी जताई जा रही है।
Donald Trump समर्थकों का तर्क है कि यह नीति अमेरिकी उत्पादन और नौकरियों को बढ़ावा देगी, जबकि आलोचक इसे एक खतरनाक खेल बता रहे हैं जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रणाली को नुकसान पहुँचा सकता है।
फिलहाल, यह देखना दिलचस्प होगा कि यह “टैरिफ की दवा” दुनिया की अर्थव्यवस्था को स्वस्थ करती है या वैश्विक वित्तीय तनाव को और बढ़ा देती है।
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