नई दिल्ली ने बुधवार को चीन द्वारा Arunachal Pradesh में कुछ स्थानों के नाम बदलने की निंदा करते हुए इस कदम को “बेतुका” करार दिया और स्पष्ट किया कि इससे इस निर्विवाद तथ्य में कोई बदलाव नहीं आता कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत चीन के इस व्यर्थ और अस्वीकार्य प्रयास को सिरे से खारिज करता है।
भारत ने China को Arunachal Pradesh की “अविश्वसनीय वास्तविकता” की याद दिलाई

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसे “रचनात्मक नामकरण” से क्षेत्रीय वास्तविकता नहीं बदल सकती। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा मानते हुए समय-समय पर इसके स्थानों के नाम बदलने की सूची जारी करता रहा है, जिसे भारत लगातार खारिज करता आया है।
Arunachal का नाम बदलने की चीन की तीसरी कोशिश भी नाकाम
बीजिंग द्वारा यह तीसरी बार है जब उसने अरुणाचल प्रदेश के स्थानों के चीनी नाम जारी किए हैं — इससे पहले 2017 और 2021 में भी ऐसे प्रयास किए गए थे। चीन अरुणाचल को “दक्षिण तिब्बत” बताकर इसपर दावा जताता रहा है, जबकि भारत लगातार इस दावे को खारिज करता आया है।

भारत की संसद और संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार अरुणाचल प्रदेश एक पूर्ण राज्य है और उसका प्रशासनिक तथा भौगोलिक अधिकार पूरी तरह भारत के अधीन है। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन द्वारा यह नाम बदलने की नीति उसके ‘वस्तुस्थिति बदलो’ रणनीति का हिस्सा है, जो वह दक्षिण चीन सागर से लेकर भारत की सीमा तक अपनाता रहा है। भारत का दोटूक रुख इस बात का संकेत है कि वह न केवल कूटनीतिक स्तर पर बल्कि सामरिक दृष्टिकोण से भी ऐसे प्रयासों का विरोध करता रहेगा।
अन्य ख़बरों के लिए यहाँ क्लिक करें