Newsnowसंस्कृतिKanpur का दशानन मंदिर, विजय दशमी पर लंकापति रावण की पूजा

Kanpur का दशानन मंदिर, विजय दशमी पर लंकापति रावण की पूजा

विजय दशमी के दिन 'सियापति राम चंद्र की जय' के नारों के बीच कानपुर के शिवला इलाके को छोड़कर देश भर में रावण दहन किया जाता है। कानपुर में रावण को समर्पित एक बड़ा प्रसिद्ध मंदिर है।

कानपुर/यूपी: उत्तर प्रदेश के Kanpur में दशानन मंदिर के रूप में लोकप्रिय मंदिर, विजय दशमी पर सिर्फ एक दिन के लिए खुलता है।

भारत के अधिकतर राज्यों में दशहरा में दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता है। कहीं-कहीं लंकापति रावण के साथ उसके भाई कुंभकरण और बेटे मेघनाद का भी पुतला जलाया जाता है। लेकिन उत्तर प्रदेश में एक ऐसा मंदिर है जहां पर रावण की पूजा की जाती है। 

Kanpur के शिवला इलाके में मंदिर 

Kanpur Dashanan Temple worship of Ravana
Kanpur का दशानन मंदिर, विजय दशमी पर लंकापति रावण की पूजा

जीं हां विजय दशमी के दिन ‘सियापति राम चंद्र की जय’ के नारों के बीच कानपुर के शिवला इलाके को छोड़कर देश भर में रावण दहन किया जाता है। कानपुर में रावण को समर्पित एक बड़ा प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर में इस अवसर पर ‘जय लंकेश’ और ‘लंकापति नरेश की जय हो’ के नारे लगाए जाते हैं।

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यूपी के कानपुर में दशानन मंदिर के रूप में लोकप्रिय मंदिर, विजय दशमी पर सिर्फ एक दिन के लिए खुलता है। इस दिन जब लोग रावण दहन के लिए खुशियां मनाते हैं, वहीं कुछ लोग दशानन मंदिर में सुबह से ही रावण के सौ साल पुराने मंदिर में विशेष पूजा अराधना करने पहुंच जाते हैं।

लंकापति रावण की पूजा

Kanpur Dashanan Temple worship of Ravana

बताया जाता है कि कानपुर के दशानन मंदिर में शक्ति के प्रतीक के रूप में लंकापति रावण की पूजा अर्चना होती है। इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालु तेल के दीपक जलाकर मनोकामना मांगते हैं।

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रावण शक्तिशाली होने के साथ प्रकांड विद्वान पंडित होने के साथ शिव और शक्ति का साधक था। दशहरा के दिन रावण के मंदिर के पट खुलते हैं और लोग बल, बुद्धि, दीर्घायु और अरोग्यता का वरदान पाने के लिए जुटते हैं। सुहागिनें शक्ति के साधक तरोई का पुष्प अर्पित करके अखंड सौभाग्य और संतान के लिए बल, बुद्धि और आरोग्य की कामना करती हैं।

Kanpur Dashanan Temple worship of Ravana

साथ ही ये भी परंपरा है कि दशहरे वाली सुबह आठ बजे दशानन मंदिर के कपाट खोल दिए जाते हैं। फिर रावण की प्रतिमा का साज श्रृंगार किया जाता है। इसके बाद रावण की आरती होती है। फिर शाम को मंदिर के दरवाजे एक साल के लिये बंद कर दिए जाते हैं।

कानपुर से सुनील कुमार की रिपोर्ट

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