नईदिल्ली-इंडियन नेवल एकेडमी (INA) से निकाले जाने के बाद एक महिला ऑफिसर कैडेट ने आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल (AFT) का दरवाजा खटखटाया है। कैडेट के मुताबिक, उसे सख्त और भेदभावपूर्ण सजा दी गई जबकि पुरुष कैडेट को सस्ते में छोड़ दिया गया। मामला इसी साल मार्च का है। महिला कैडेट की वकील के अनुसार, पुरुष कैडेट उसके केबिन में आया था और महिला कैडेट को किस किया। महिला कैडेट का कहना है कि पुरुष कैडेट को इसकी हल्की सजा दी गई, जबकि उसे सख्त सजा मिली। यह महिला कैडेट नेवल एकेडमी में शॉर्ट सर्विस कमिशन के लिए ‘नेवल ओरियंटेशन कोर्स’ कर रही थी।
महिला कैडेट की वकील के अनुसार, 29 मार्च को पुरुष कैडेट उनकी क्लाइंट के केबिन में आया था और किस किया था। उनके मुताबिक, उसे ‘अपेक्षाकृत हल्की सजा मिली, उसका रेलिगेशन (पदावनति) नहीं हुआ।’ वकील ने ऐसे और मामलों का हवाला दिया जहां अन्य कैडेट्स के साथ नरमी बरती गई थी। उन्होंने कहा कि महिला को बहाल किया जाना चाहिए और उसे ग्रैजुएट होने की अनुमति मिलनी चाहिए क्योंकि उसके एकेडमिक्स, फिजिकल ट्रेनिंग और स्विमिंग टेस्ट्स में ‘बेहतरीन’ प्रदर्शन किया है।
17 मार्च को मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सशस्त्र बलों में लैंगिक समानता नहीं देने के 101 बहाने नहीं हो सकते। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की यह दलील खारिज कर दी कि रूसी जहाजों में उनके लिए शौचालय ना होने की वजह से नौसेना में महिला अधिकारियों को समुद्री ड्यूटी नहीं दी जा सकती। इतना ही नहीं एससी का कहना है कि महिलाएं पुरुष अधिकारियों के समान दक्षता के साथ sail (नौकायन) कर सकती हैं और इसमें कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।
नौसेना ने पूरे मामले में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है क्योंकि मामला विचाराधीन है। मगर सूत्रों ने कहा कि ‘कोई भेदभाव या लैंगिक भेदभाव नहीं’ हुआ है चूंकि दोनों कैंडेट्स का रेलिगेशन (डिमोशन) हुआ था। एक सूत्र ने कहा, “यह महिला कैडेट के खिलाफ दूसरी अनुशासनात्मक कार्रवाई है। उसे पिछले साल एक रिटेन एग्जाम में अनुचित साधनों का प्रयोग करते पाया गया था। नियमों के अनुसार, उसे एक टर्म में दो रेलिगेशंस के चलते बाहर कर दिया गया है।”
AFT की बेंच ने महिला कैडेट की वकील की बातों में कुछ दम पाया है। इसलिए उनकी तरफ से मांगी गई अंतरिम राहत को ‘आंशिक रूप से मंजूर’ किया है। AFT ने कहा, “इस वक्त हम इससे सहमत नहीं कि आवेदक को सेवा में बहाल किया जाना चाहिए, हम निर्देश देते हैं कि आवेदक को ट्रेनिंग नौसैनिक की ड्यूटी से हटाने का कोई आदेश, यदि हो, तो वह अंतिम फैसला होने तक रोके रखा जाए।”