NewsnowमनोरंजनAmitabh Bachchan बने 'घिबली' के फैन, शेयर की झलक!

Amitabh Bachchan बने ‘घिबली’ के फैन, शेयर की झलक!

जैसे-जैसे विश्व सिनेमा के प्रति रुचि बढ़ रही है, Amitabh Bachchan का घिबली की सराहना करना यह दर्शाता है कि कहानियां साझा करने, मनाने और संजोने के लिए होती हैं।

भारतीय सिनेमा के दिग्गज अभिनेता Amitabh Bachchan ने हाल ही में जापानी एनीमेशन स्टूडियो स्टूडियो घिबली की जादुई दुनिया के प्रति अपनी प्रशंसा व्यक्त की। यह स्टूडियो अपनी अद्भुत एनिमेशन और दिल छू लेने वाली कहानियों के लिए जाना जाता है। दशकों से अपने प्रभावशाली अभिनय और गहरी आवाज़ से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने वाले बच्चन ने सोशल मीडिया पर घिबली फिल्मों के प्रति अपने नए प्रेम को साझा किया।

अपने प्रशंसकों के लिए यह एक रोमांचक और अप्रत्याशित खुलासा था जब बच्चन ने स्टूडियो घिबली की कलाकारी और आकर्षण से भरी कुछ तस्वीरें साझा कीं। उन्होंने इस एनीमेशन स्टूडियो की सह-स्थापना करने वाले महान फिल्म निर्माता हायाओ मियाज़ाकी की अनूठी कहानी कहने की शैली की जमकर प्रशंसा की।

एक दिग्गज और घिबली की जादुई दुनिया

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Amitabh Bachchan का स्टूडियो घिबली का प्रशंसक बनना कई लोगों के लिए सुखद आश्चर्य था। यह दिग्गज अभिनेता हमेशा से विभिन्न शैलियों और संस्कृतियों की सिनेमा कला की सराहना करते रहे हैं। उनकी सोशल मीडिया पोस्ट्स में स्पिरिटेड अवे, माय नेबर टोटोरो, प्रिंसेस मोनोनोके और हाउल्स मूविंग कैसल जैसी लोकप्रिय घिबली फिल्मों की झलक देखने को मिली।

बच्चन ने इन तस्वीरों के साथ एक भावनात्मक संदेश भी साझा किया, जिसमें उन्होंने घिबली फिल्मों की सुंदरता और उनके गहरे अर्थों की प्रशंसा की। उन्होंने बताया कि ये फिल्में भाषा और संस्कृति की सीमाओं से परे जाकर प्रेम, साहस, प्रकृति और आत्म-खोज जैसे सार्वभौमिक विषयों को दर्शाती हैं। उनकी यह भावना दुनिया भर के प्रशंसकों के दिलों को छू गई।

स्टूडियो घिबली का जादू

1985 में हायाओ मियाज़ाकी, इसाओ ताकाहाता और तोशियो सुज़ुकी द्वारा स्थापित स्टूडियो घिबली ने अपने अनूठे और गहरे अर्थ वाली कहानियों से एनीमेशन की परिभाषा बदल दी। इनकी फिल्में अपने समृद्ध भावनात्मक तत्वों, बचपन की मासूमियत, पर्यावरणीय संदेशों और रोजमर्रा की जिंदगी में छिपे जादू को दर्शाने के लिए मशहूर हैं।

इनकी सबसे प्रसिद्ध फिल्म स्पिरिटेड अवे को 2003 में ऑस्कर पुरस्कार मिला था और यह एनीमेशन सिनेमा की एक ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जाती है। माय नेबर टोटोरो बचपन के मासूमियत भरे रोमांच का प्रतीक बन चुकी है, जबकि प्रिंसेस मोनोनोके मानव और प्रकृति के जटिल संबंधों पर आधारित है।

Amitabh Bachchan और घिबली की कहानियों का संबंध

Amitabh Bachchan जैसे कलाकार, जिनकी फिल्में गहरे भावनात्मक और प्रभावशाली कथानकों से भरी होती हैं, के लिए स्टूडियो घिबली से जुड़ाव होना स्वाभाविक है। घिबली फिल्मों की तरह ही, बच्चन के करियर में भी अनगिनत अद्भुत कहानियां और यादगार किरदार देखने को मिलते हैं।

स्टूडियो घिबली की खासियत उनकी फिल्मों के मुख्य पात्रों की गहराई और उनके आत्म-परिवर्तन की यात्रा में है। यही तत्व Amitabh Bachchan की फिल्मों में भी देखने को मिलता है। 1970 के दशक के ‘एंग्री यंग मैन’ से लेकर आज के अनुभवी और संवेदनशील किरदारों तक, उनका करियर भी घिबली के नायकों की तरह अनेक बदलावों से गुजरा है।

साथ ही, घिबली की फिल्मों में समृद्ध कल्पना और गहरी कहानियों का मेल दिखता है, जो बच्चन के साहित्य और सिनेमा के प्रति प्रेम से मेल खाता है। मियाज़ाकी की फिल्मों की काव्यात्मक सुंदरता और भावनात्मक गहराई निश्चित रूप से बच्चन को प्रभावित कर गई है।

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सोशल मीडिया पर प्रशंसकों की प्रतिक्रियाएँ

Amitabh Bachchan द्वारा स्टूडियो घिबली की प्रशंसा करने की खबर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। प्रशंसक इस बात से उत्साहित थे कि भारतीय सिनेमा के दिग्गज अभिनेता जापानी एनीमेशन की कला को सराह रहे हैं। कई प्रशंसकों ने ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर बच्चन को अन्य घिबली फिल्मों की सिफारिश भी की।

कुछ प्रशंसकों ने यह भी उम्मीद जताई कि Amitabh Bachchan किसी घिबली फिल्म के हिंदी डबिंग में अपनी आवाज़ देंगे, क्योंकि उनकी गहरी और प्रभावशाली आवाज़ किसी भी पात्र को जीवंत बना सकती है। कुछ लोग तो बॉलीवुड और घिबली के सहयोग की कल्पना करने लगे, जहां भारतीय सिनेमा की भव्यता और मियाज़ाकी के जादुई यथार्थवाद का मिलन हो।

स्टूडियो घिबली की सार्वभौमिक अपील

स्टूडियो घिबली की सबसे बड़ी खासियत यह है कि उनकी फिल्में केवल बच्चों के लिए नहीं होतीं, बल्कि हर उम्र के दर्शकों को प्रभावित करती हैं। इन फिल्मों में गहरी भावनात्मक परतें होती हैं, जो अस्तित्व के सवालों, प्रकृति की सुंदरता, और मानवीय संवेदनाओं को खूबसूरती से दर्शाती हैं।

घिबली की मजबूत महिला पात्र, पारिवारिक संबंधों पर जोर और स्वप्निल किंतु वास्तविक कहानियाँ इसे एक अनूठा और प्रिय एनीमेशन ब्रांड बनाती हैं। Amitabh Bachchan की इन फिल्मों में रुचि यह दर्शाती है कि अच्छी कहानियां भाषा और संस्कृति की सीमाओं को पार कर सकती हैं।

Amitabh Bachchan और उनकी कहानी कहने की कला

अपने करियर के दौरान, Amitabh Bachchan ने भारतीय सिनेमा की सबसे यादगार फिल्मों में काम किया है। उनकी अभिनय क्षमता और कहानी को जीवंत बनाने की कला ने उन्हें एक किंवदंती बना दिया है। अब उनका स्टूडियो घिबली की फिल्मों में रुचि लेना उनकी बेहतरीन कहानियों के प्रति प्रेम को और मजबूत करता है।

उनकी सोशल मीडिया पोस्ट न केवल उनके प्रशंसकों को घिबली की जादुई दुनिया से परिचित करा रही है, बल्कि यह भी दिखाती है कि सिनेमा एक सार्वभौमिक भाषा है। चाहे वह लाइव-एक्शन फिल्में हों या हाथ से बनी एनीमेशन कृतियाँ, बेहतरीन कहानियां हमेशा दिलों को छूती हैं।

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आगे क्या? क्या Amitabh Bachchan जापानी सिनेमा में और रुचि लेंगे?

Amitabh Bachchan का सिनेमा के प्रति गहरा प्रेम देखकर यह संभव है कि वह घिबली के अलावा अन्य जापानी फिल्मों को भी खोजें। जापान में अकीरा कुरोसावा की ऐतिहासिक फिल्में और मकोतो शिंकाई एवं मामोरु होसोडा जैसे निर्देशकों की आधुनिक कृतियाँ भी सिनेमा प्रेमियों के लिए खजाना हैं।

प्रशंसक यह जानने के लिए उत्साहित हैं कि क्या बच्चन आगे और भी जापानी फिल्मों की चर्चा करेंगे। शायद वह अपनी अगली पोस्ट में विश्व सिनेमा की कुछ और उत्कृष्ट कृतियों को सामने लाएंगे और एक नए दर्शक वर्ग को प्रेरित करेंगे।

एक कालजयी सितारा और अमर कहानियाँ

Amitabh Bachchan का स्टूडियो घिबली के प्रति प्रेम यह दर्शाता है कि सिनेमा की महानता सीमाओं से परे है। यह देखना अद्भुत है कि भारतीय सिनेमा का एक महानायक जापानी एनीमेशन की कला से प्रभावित हो रहा है। उनका यह सम्मान हमें याद दिलाता है कि अच्छी कहानियां, चाहे वे किसी भी भाषा या माध्यम में हों, हमेशा दिलों को जोड़ने की शक्ति रखती हैं।

जैसे-जैसे विश्व सिनेमा के प्रति रुचि बढ़ रही है, Amitabh Bachchan का घिबली की सराहना करना यह दर्शाता है कि कहानियां साझा करने, मनाने और संजोने के लिए होती हैं। चाहे वह मुंबई की व्यस्त गलियाँ हों या मियाज़ाकी की जादुई दुनिया, सिनेमा का जादू हम सभी को जोड़ता है।

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