नगोर्नो-काराबाख पर कब्जे के लिए अजरबैजान ने तुर्की के साथ मिलकर एक बड़ी रणनीति बनाई थी। अजरबैजान को उम्मीद थी कि वह तुर्की और इजरायली हथियारों के बल पर अचानक से हमला करके 5 दिन में नगोर्नो-काराबाख के बड़े इलाके पर कब्जा कर लेगा। हालांकि ऐसा हुआ नहीं और आर्मीनिया की सेना ने इतना तगड़ा पलटवार किया कि यह युद्ध अब दूसरे महीने में प्रवेश कर गया है। यही नहीं इस जंग में अजरबैजान सरकार को उसके अनुमान से ज्यादा सैनिकों और पैसे का नुकसान उठाना पड़ा है।
काकेकश इलाके में तैनात एक पश्चिमी सैन्य अधिकारी ने एशिया टाइम्स से बातचीत में कहा, ‘सभी संकेत बताते हैं कि अजरबैजान की असली योजना अचानक से भीषण हमला करके 3 से 5 दिन तक युद्ध लड़ने की थी ताकि आर्मीनिया को सेना को पीछे ढकेला जा सके।’ इस आक्रामक सैन्य कार्रवाई की शुरुआत 27 सितंबर को हुई थी और अब यह दूसरे महीने में प्रवेश कर गई है। यही नहीं रूसी राष्ट्रपति के मुताबिक इस लड़ाई में अब तक 5 हजार लोग मारे गए हैं।
अजरबैजान के 5 दिन तक युद्ध लड़ने के समयसीमा की पुष्टि मास्को में तैनात एक यूरोपीय सैन्य अधिकारी ने भी की। उन्होंने कहा कि तुर्की ने आर्मीनिया से लड़ने के लिए 1 हजार सीरियाई आतंकवादियों की भर्ती की थी। इन आतंकवादियों को अचानक से हमला करना था और उन्हें उन जगहों पर तैनात किया गया था जहां पर कराबाख की सेना कमजोर थी। सैन्य अधिकारी ने कहा कि अजरबैजान ने आर्मीनिया की सेना को बहुत कम आंका जिसके पास पहाड़ों पर लड़ने का भौगोलिक फायदा था।
अजरबैजान ने यह आक्रामक सैन्य कार्रवाई ऐसे समय पर की जब अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव प्रचार चल रहा था। अजरबैजान को उम्मीद थी कि आर्मीनिया के पास जब तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहायता आएगी तब तक वह अपने मंसूबों में कामयाब हो चुका होगा। उसने यह भी सोचा था एक बार उसका नगोर्नो-काराबाख के जिन इलाकों पर कब्जा हो जाएगा, वहीं पर वह संघर्ष विराम कर लेगा। इससे कब्जा की हुई जमीन उसके हिस्से में आ जाएगी।
इस युद्ध में रूस ने भी उदासीन रवैया अपनाया। अजरबैजान को लगा कि वह इजरायल और तुर्की के घातक हथियारों के बल पर नगोर्नो-काराबाख के काफी इलाके पर कब्जा कर लेगा। हालांकि उसे आर्मीनिया की सेना के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। अजरबैजान ने अपना सारा जोर पिछले कुछ दिनों में शुशी शहर पर लगाया है जिसे प्रतीकात्मक रूप से बेहद अहम माना जाता है। आर्मीनिया की सेना के पलटवार का असर यह रहा कि अब दोनों ही देशों के विदेश मंत्री सीजफायर पर बात कर रहे हैं।