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दिल्ली में खराब AQI: Air Pollution से बढ़ता अवसाद

Air Pollution सिर्फ श्वसन से जुड़ी बीमारियों तक सीमित नहीं है; यह एक व्यापक स्वास्थ्य संकट है जो मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालता है।

दिल्ली, जो अक्सर घने प्रदूषण की चादर में लिपटी रहती है, लगातार अत्यधिक खराब एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) से जूझ रही है। यह प्रदूषण न केवल हमारे फेफड़ों को बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डाल रहा है। आम तौर पर प्रदूषण का फेफड़ों, हृदय और श्वसन तंत्र पर प्रभाव देखा गया है, लेकिन अब यह भी साफ हो गया है कि प्रदूषण का मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर हो सकता है।

नई रिसर्च से पता चलता है कि प्रदूषण के कारण लोग लगातार बेचैनी, तनाव और मानसिक अस्थिरता का सामना कर रहे हैं। इस लेख में जानते हैं कि कैसे खराब AQI हमारे मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है और हम खुद को इससे कैसे बचा सकते हैं।

दिल्ली के Air Pollution संकट का दायरा

दिल्ली का AQI स्तर अक्सर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय किए गए सुरक्षित स्तर से कहीं अधिक होता है। यहां के Air Pollution में PM2.5 और PM10 जैसे महीन कण मौजूद हैं, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा हैं। ये कण इतने छोटे होते हैं कि ये न केवल फेफड़ों में बल्कि रक्तप्रवाह के जरिए मस्तिष्क तक भी पहुँच सकते हैं। हालांकि, इस प्रदूषण का फोकस आम तौर पर फेफड़े और सांस से जुड़ी समस्याओं तक ही सीमित है, लेकिन इसका मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव भी कम गंभीर नहीं है।

Bad AQI in Delhi Air pollution increasing depression

Air Pollution और मानसिक स्वास्थ्य का वैज्ञानिक संबंध

हाल के शोध बताते हैं कि Air Pollution के उच्च स्तर से लगातार संपर्क में रहना न्यूरोइनफ्लेमेशन (मस्तिष्क की सूजन) को जन्म दे सकता है। यह न्यूरोइनफ्लेमेशन मस्तिष्क के कई न्यूरोट्रांसमीटर को प्रभावित करता है, जो हमारे मूड और व्यवहार को नियंत्रित करते हैं। इसके कारण एंग्जायटी, डिप्रेशन और मानसिक अस्थिरता जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

प्रदूषण से मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालने वाले मुख्य कारण

  1. Air Pollution में तनाव का बढ़ना
    शरीर प्रदूषण को तनाव के रूप में पहचानता है, जिससे लगातार प्रदूषण के संपर्क में रहने पर कॉर्टिसोल हार्मोन रिलीज़ होता है। यह तनाव का मुख्य कारण बनता है, जो धीरे-धीरे एंग्जायटी का रूप ले सकता है।
  2. नींद की गुणवत्ता पर असर
    प्रदूषण के कारण साँस लेने में कठिनाई होती है, जिससे नींद प्रभावित होती है। नींद की कमी से मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ सकता है, खासकर अवसाद जैसी समस्याओं में वृद्धि हो सकती है।
  3. निराशा और असहायता की भावना
    प्रदूषण से होने वाली मानसिक समस्याओं में निराशा की भावना भी शामिल है। लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने से लोग असहाय और निराश महसूस करने लगते हैं, जो मानसिक अवसाद का कारण बन सकता है।
  4. बच्चों और किशोरों पर प्रभाव
    बच्चों पर प्रदूषण का प्रभाव विशेष रूप से चिंताजनक है। जिन बच्चों का पालन-पोषण प्रदूषित इलाकों में होता है, उनमें भावनात्मक अस्थिरता और व्यवहारगत समस्याओं का खतरा अधिक रहता है। इसका असर आगे चलकर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।
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मानसिक स्वास्थ्य पर खराब AQI के प्रभावों से बचने के उपाय

  1. घर में एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें
    एयर प्यूरीफायर का उपयोग कर घर में प्रदूषक तत्वों को कम किया जा सकता है, जिससे वातावरण सुरक्षित बनता है।
  2. माइंडफुलनेस और मेडिटेशन का अभ्यास करें
    मेडिटेशन और गहरी सांस लेने जैसे व्यायाम मानसिक तनाव को कम करने में सहायक हो सकते हैं और मूड को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।
  3. एंटीऑक्सीडेंट युक्त खाद्य पदार्थ खाएं
    एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे बेरीज, नट्स और हरी पत्तेदार सब्जियाँ शरीर और मस्तिष्क में सूजन को कम करने में सहायक होते हैं।
  4. मास्क का उपयोग और प्रदूषण के समय बाहर निकलने से बचें
    PM2.5 कणों को फ़िल्टर करने वाले मास्क पहनें और जब AQI का स्तर बहुत अधिक हो, तब बाहर जाने से बचें।
  5. नियमित व्यायाम करें (घर के अंदर)
    व्यायाम मस्तिष्क में सेरोटोनिन और डोपामिन जैसे हार्मोन रिलीज़ करता है, जो अवसाद और चिंता के लक्षणों को कम करने में सहायक होते हैं।

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समग्र रूप से समस्या से निपटने के लिए आवश्यक नीतिगत बदलाव

Air Pollution: इस समस्या का हल केवल व्यक्तिगत उपायों में ही नहीं, बल्कि सरकार और समाज के सामूहिक प्रयास में भी है। इसके लिए कुछ सुझाव हैं:

  • कड़े उत्सर्जन मानकों की आवश्यकता
    वाहनों और उद्योगों के उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए कड़े नियमों की आवश्यकता है।
  • सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना
    मानसिक स्वास्थ्य पर प्रदूषण के प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाई जानी चाहिए, ताकि लोग इसके प्रति सतर्क रहें।
  • हरे-भरे शहरी क्षेत्र बनाना
    प्रदूषण को कम करने के लिए शहरों में हरियाली को बढ़ावा देना चाहिए, जिससे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं।
  • मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ बनाना
    प्रदूषित क्षेत्रों में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता बढ़ानी चाहिए, जिससे लोगों को समय पर मदद मिल सके।
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निष्कर्ष

Air Pollution सिर्फ श्वसन से जुड़ी बीमारियों तक सीमित नहीं है; यह एक व्यापक स्वास्थ्य संकट है जो मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालता है। खराब AQI और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बीच का संबंध स्पष्ट है। अतः प्रदूषण से होने वाली मानसिक समस्याओं से निपटने के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों स्तर पर प्रयास करने की आवश्यकता है।

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