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L&T चेयरमैन S.N. Subrahmanyan के “90 घंटे काम” वाले बयान पर विवाद: कार्य संस्कृति पर नई बहस

लार्सन एंड टूब्रो (एलएंडटी) के चेयरमैन एस.एन. सुब्रह्मण्यन ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया है कि प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए कर्मचारियों को सप्ताह में 90 घंटे और यहां तक ​​कि रविवार को भी काम करना चाहिए।

L&T के चेयरमैन S.N. Subrahmanyan की टिप्पणी पर मचे विवाद ने कार्य संस्कृति और कर्मचारियों के प्रति दृष्टिकोण को लेकर गहन चर्चा छेड़ दी है। चेयरमैन द्वारा दिए गए बयान, जिसमें उन्होंने सप्ताह में 90 घंटे काम करने की वकालत की और “रविवार को काम करने” की इच्छा जताई, ने सोशल मीडिया पर तीव्र आलोचनाएं झेली हैं। उनकी इस टिप्पणी को कुछ लोगों ने प्रेरक बताया, जबकि कई इसे असंवेदनशील और अव्यावहारिक मान रहे हैं।

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कंपनी का पक्ष:

L&T defends Chairman S.N. Subrahmanyan amid criticism

L&T ने अपने चेयरमैन का समर्थन करते हुए कहा कि उनका बयान भारत के विकास और राष्ट्र-निर्माण की महत्वाकांक्षा का प्रतीक है। कंपनी ने कहा:

  • “असाधारण नतीजों के लिए असाधारण प्रयास आवश्यक हैं।”
  • एलएंडटी पिछले आठ दशकों से भारत के बुनियादी ढांचे, उद्योगों और तकनीकी क्षमताओं को आकार देने में योगदान कर रही है।
  • प्रवक्ता ने कहा कि “भारत के दशक” की ओर बढ़ने के लिए समर्पण और सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है।

विवाद के मुख्य बिंदु:

S.N. Subrahmanyan चेयरमैन की टिप्पणी:

उन्होंने कर्मचारियों से कहा कि वे अधिक मेहनत करें और घर पर “समय बर्बाद” न करें।

उन्होंने चीन की कार्य संस्कृति का हवाला देते हुए इसे अमेरिका से अधिक उत्पादक बताया।

आलोचना और प्रतिक्रियाएं:

L&T defends Chairman S.N. Subrahmanyan amid criticism

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस बयान को “अन्यायपूर्ण” और “असंवेदनशील” करार दिया गया।

अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने मानसिक स्वास्थ्य और कार्य-जीवन संतुलन की आवश्यकता पर जोर दिया।

आरपीजी ग्रुप के चेयरमैन हर्ष गोयनका ने मजाकिया लेकिन कटाक्षपूर्ण अंदाज में इस विचार को नकारा।

संदर्भ में तुलना:

इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति द्वारा हाल ही में दिए गए बयान, जिसमें उन्होंने “दिन में 70 घंटे काम” करने का सुझाव दिया था, को भी इस विवाद से जोड़ा गया।

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व्यापक चर्चा:

यह घटना भारतीय कॉर्पोरेट जगत में वर्क-लाइफ बैलेंस और काम के घंटे को लेकर लंबे समय से चली आ रही बहस को फिर से केंद्र में ले आई है।

  • कई विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे बयानों से कर्मचारियों में बर्नआउट की समस्या बढ़ सकती है।
  • वहीं, कुछ इसे बदलते समय में भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए प्रेरणा के रूप में देख रहे हैं।

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