नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को AAP सरकार के राजस्व विभाग के डिप्टी कमिश्नर (DC) को निर्देश दिया कि जैसे ही पुलिस द्वारा जमाखोरों और कालाबाजारी करने वालों से दवा (Remdesivir) जब्त की जाती है वे तुरंत COVID-19 के उपचार में इस्तेमाल करने के लिए रिहाई के आदेश जारी करें।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और रेखा पल्ली की खंडपीठ ने यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी किया कि जब्त की गई दवा मामले की संपत्ति के रूप में नहीं रहती, अपनी प्रभावशीलता को नहीं खोती है और जरूरतमंद रोगियों को दिलाई जा सकती है।
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अदालत ने कहा कि एक बार जब्ती किए जाने के बाद, जांच अधिकारी (IO) तुरंत डीसी (DC) को इस बारे में सूचित करे।
पीठ ने कहा कि आईओ (IO) यह भी पता लगाएगा कि जब्त की गई दवा वास्तविक है और सुनिश्चित करें कि जब तक अस्पताल या Covid स्वास्थ्य केंद्र के लिए इसे जारी नहीं किया जाता है, तब तक इसकी प्रभावशीलता बनाए रखने के लिए इसे प्रशीतित वातावरण (refrigerated environmen) में रखा जाए।
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छापे के दौरान पुलिस द्वारा जब्त किए गए ऑक्सीजन सिलेंडर के उपयोग के संबंध में अदालत द्वारा एक समान निर्देश जारी किया गया था।
दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (DSLSA) के सदस्य-सचिव कंवल जीत अरोड़ा के कहने के बाद यह आदेश आया, उन्होंने कहा कि जब्त की गई दवाओं और ऑक्सीजन सिलेंडरों को केस प्रॉपर्टी के रूप में रखने की बजाय, वर्तमान स्थिति को देखते हुए अस्पतालों को इस्तेमाल के लिए दी जानी चाहिए जब इसी की कमी है।
दिल्ली सरकार ने अदालत को बताया कि 27 अप्रैल को, दिल्ली पुलिस ने Remdesivir की लगभग 279 शीशियों को जब्त कर लिया था।
पीठ ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि Remdesivir या ऑक्सीजन सिलेंडरों (Oxygen Cylinder) को मरीजों या उनके परिचारकों से जब्त नहीं किया जाना चाहिए, जिन्होंने इसे काला बाजार में खरीद लिया हो, क्योंकि हो सकता है कि उन्होंने ऐसा कोई कदम मजबूरी या ज़रूरत की वजह से उठाया हो।
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राष्ट्रीय राजधानी इस समय Remdesivir, ऑक्सीजन सिलेंडरों, बेड और कई अन्य दवाओं की कमी से जूझ रही है।