डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) ने शनिवार को देश में बनी ATAGS होवित्जर तोप का ट्रायल किया। इस तोप की रेंज 48 किलोमीटर है। इस समय सेना को 1800 ऑर्टिलरी गन की जरूरत है। DRDO के मुताबिक, यह तोप इस जरूरत को पूरा कर सकती है। इसके बाद विदेश से तोपें मंगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
ATAGS के फील्ड ट्रायल के दौरान DRDO के साइंटिस्ट और प्रोजेक्ट के डायरेक्टर शैलेंद्र वी गढ़े ने बताया कि यह गन सिस्टम अब तक भारत की सबसे बड़ी ताकत रही बोफोर्स समेत दुनिया की किसी भी तोप से बेहतर है। इसमें काफी तेज माना जाने वाला इजरायल का गन सिस्टम ATHOS भी शामिल है। हम इस तोप का परीक्षण चीन सीमा के पास सिक्किम और पाकिस्तान सीमा के पास पोखरण में कर चुके हैं। वहां इससे दो हजार से ज्यादा गोले दागे गए थे। कोई भी देश इस तकनीक के साथ मार करने वाली ऐसी तोप नहीं बना सका है।
दुश्मन से दूर रहकर उसे तबाह करेगी
गढ़े ने बताया कि जंग की हालत में यह तोप कैसे दुश्मनों पर बढ़त दिलाएगी। उन्होंने कहा कि यह तोप 48 किलोमीटर तक मार करती है। इस मामले में यह सबसे आगे है। दुनिया में किसी तोप की फायरिंग रेंज इतनी नहीं है। इस वजह से युद्ध की स्थिति में यह तोप दुश्मन हमले से बची रहेगी।
दूरी ज्यादा होने की वजह से दुश्मन हम तक नहीं पहुंच पाएंगे, लेकिन हम उन्हें 48 किलोमीटर दूर से निशाना बना सकते हैं। इससे वे हमारा मुकाबला नहीं कर पाएंगे। हम उनकी रेंज से आठ किलोमीटर दूर रह सकते हैं।
बोफोर्स समेत किसी भी तोप से भी बेहतर
यह तोप एक मिनट में पांच राउंड फायर कर सकती हैं। दूसरी तोपों से इतनी देर में सिर्फ तीन फायर हो सकते हैं। इसकी रेंज सबसे ज्यादा 48 किलोमीटर है। बोफोर्स से सिर्फ 32 किलोमीटर तक फायर किया जा सकता है। इसे तेजी से कहीं भी ले जाया जा सकता है। यह बहुत भरोसेमंद और मजबूत है। इसे मेंटेनेंस की जरूरत भी नहीं पड़ती।
भारतीय सेना लगभग 1600 तोपें अभी खरीदने पर विचार कर रही है। इसके लिए इजरायल से 400 ATHOS तोपें तुरंत मंगाने का विकल्प भी रखा है।
भविष्य के लिहाज से बनाई गई तोप
इजरायल की ATHOS और फ्रांस की नेक्सटर तोप से ATAGS कितनी बेहतर है। इस पर शैलेंद्र ने कहा यदि आप ATHOS और नेक्सटर गन की क्वालिटी जरूरतों को देखते हैं तो पाएंगे ये बहुत ज्यादा हैं। ये आज के समय के मुताबिक नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि भविष्य में 2027 से 2030 तक का समय देखते हैं तो यह उसी का जवाब है। अब भारत को विदेश से तोपें मंगाने की बिल्कुल जरूरत नहीं है। मुझे लगता है कि भारत ने वर्ल्ड क्लास ऑर्टिलरी सिस्टम बनाने की क्षमता हासिल कर ली है।