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Farmers Protest: सरकार को जल्दबाजी भारी पड़ रही है, शरद पवार

शरद पवार ने कहा, 'अगर ऐसा चलता रहा तो ये आंदोलन (Farmers Protest) बस दिल्ली तक सीमित नहीं रहेगा

If the demands are not considered then the farmers protest will not be limited to Delhi
File Photo

New delhi: दिल्ली बॉर्डर पर नए कृषि कानून (New Farm Law) को विरोध कर रहे किसानों के प्रदर्शन (Farmers Protest) का आज 11वां दिन है. सरकार के साथ पांचवे राउंड की बातचीत असफल रहने के बाद किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया है. किसान आंदोलन पर कई राजनेताओं ने चिंता जाहिर की है, वहीं कुछ राजनीतिक दल इसका समर्थन कर रहे हैं. एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार (Sharad Pawar) ने किसान आंदोलन पर कहा कि अगर जल्द से जल्द समाधान नहीं हुआ तो देशभर के किसान पंजाब-हरियाणा के किसानों के साथ आंदोलन में शामिल हो जाएंगे.

शरद पवार ने कहा, देश की खेती और अन्न उत्पादन पर ध्यान दें तो सबसे ज्यादा योगदान हरयाणा और पंजाब के किसानों का है. विशेष तौर पर गेहूं और चावल की खेती से दुनिया के 17-18 देशों को ध्यान पहुचाने का काम इन किसानों ने किया है. अगर पंजाब और हरयाणा के किसान रास्तों पर आ रहे हैं तो इसे बहुत ही गंभीरता से लेना चाहिए.

संसद द्वारा पास किए गए नए कृषि बिल पर शरद पवार ने कहा, ‘बिल को चयन समिति के पास भेजा जाना चाहिए था और उस पर चर्चा की जरूरत थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ और बिल पास कर दिया गया. अब सरकार को वही जल्दबाजी भारी पड़ रही है.’

शरद पवार ने कहा, ‘अगर ऐसा चलता रहा तो ये आंदोलन बस दिल्ली तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि देश के कोने-कोने के लोग किसानों के साथ खड़े होंगे. जब बिल पास किया जा रहा था, हमने सरकार से गुजारिश की थी कि उन्हें जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिए.’

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