Diabetes न केवल रक्त शर्करा को प्रभावित करता है, बल्कि यह हड्डियों और जोड़ों को भी कमजोर कर सकता है। इसका असर निम्नलिखित तरीकों से होता है:
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Diabetes का हड्डियों पर प्रभाव
- हड्डियों का घनत्व कम होना: लंबे समय तक उच्च रक्त शर्करा से हड्डियों की संरचना प्रभावित होती है, जिससे वे कमजोर हो जाती हैं और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है।
- कैल्शियम अवशोषण में कमी: मधुमेह शरीर में कैल्शियम के अवशोषण को प्रभावित कर सकता है, जिससे हड्डियों की मजबूती कम हो जाती है।
- फ्रैक्चर का जोखिम: हड्डियों की नाज़ुकता बढ़ने से डायबिटीज़ रोगियों में मामूली चोट भी फ्रैक्चर का कारण बन सकती है।
Diabetes का जोड़ों पर प्रभाव
- ऑस्टियोआर्थराइटिस: उच्च शुगर स्तर से शरीर में सूजन (inflammation) बढ़ती है, जिससे जोड़ जल्दी घिसने लगते हैं और दर्द तथा जकड़न की समस्या होती है।
- चारकोट जॉइंट: यह स्थिति विशेष रूप से पैरों में होती है, जहाँ नसों की क्षति (Diabetic Neuropathy) के कारण जोड़ कमजोर होकर विकृत हो जाते हैं।
- डुप्यूट्रेंस कॉन्ट्रैक्चर: इसमें हाथों की उंगलियां मुड़ने लगती हैं और उनकी गति सीमित हो जाती है।
- गठिया का खतरा: डायबिटीज़ से प्रतिरक्षा प्रणाली पर प्रभाव पड़ता है, जिससे ऑटोइम्यून गठिया (Autoimmune Arthritis) का जोखिम बढ़ सकता है।
मांसपेशियों और टिशू पर प्रभाव
- टेंडिनोपैथी: हाई ब्लड शुगर से टेंडन (मांसपेशियों को हड्डियों से जोड़ने वाला ऊतक) कमजोर हो सकते हैं, जिससे दर्द और सूजन होती है।
- जोड़ों में अकड़न: डायबिटीज़ से कोलेजन में बदलाव आ सकता है, जिससे ऊतकों की लचीलापन कम होता है और व्यक्ति को चलने-फिरने में कठिनाई हो सकती है।
बचाव और उपाय
- ब्लड शुगर को नियंत्रित रखना
- कैल्शियम और विटामिन D युक्त आहार लेना
- नियमित व्यायाम और वज़न प्रबंधन
- हड्डियों की मजबूती के लिए सप्लीमेंट्स और दवाओं का सेवन (डॉक्टर की सलाह पर)