Newsnowव्यापारAsian Markets में भारी गिरावट, अमेरिकी वायदा बाजार भी लुढ़का

Asian Markets में भारी गिरावट, अमेरिकी वायदा बाजार भी लुढ़का

जापान का Nikkei सूचकांक 2.1% गिरा, जबकि हांगकांग का Hang Seng 1.8% नीचे बंद हुआ। दक्षिण कोरिया का KOSPI और भारत का Sensex तथा Nifty भी गिरावट के साथ बंद हुए। बाजार विश्लेषकों का कहना है कि यह गिरावट मुख्य रूप से अमेरिकी टैरिफ नीति के चलते निवेशकों में बढ़ी चिंता का परिणाम है।

Donald Trump द्वारा घोषित नए टैरिफ्स का असर वैश्विक बाजारों में साफ़ देखा जा रहा है। सोमवार को Asian Markets में भारी गिरावट दर्ज की गई, वहीं अमेरिकी वायदा बाजार (futures market) भी लाल निशान में चला गया। निवेशकों के बीच अनिश्चितता और डर का माहौल बना हुआ है, जिससे बाजारों में उथल-पुथल तेज़ हो गई है।

यह भी पढ़ें: वैश्विक बाजारों में मेगा टैरिफ का झटका: Trump बोले – “दवा काम कर रही है”

जापान का Nikkei सूचकांक 2.1% गिरा, जबकि हांगकांग का Hang Seng 1.8% नीचे बंद हुआ। दक्षिण कोरिया का KOSPI और भारत का Sensex तथा Nifty भी गिरावट के साथ बंद हुए। बाजार विश्लेषकों का कहना है कि यह गिरावट मुख्य रूप से अमेरिकी टैरिफ नीति के चलते निवेशकों में बढ़ी चिंता का परिणाम है।

उधर, अमेरिकी वायदा बाजार में भी गिरावट दर्ज की गई। Dow Jones Futures, Nasdaq Futures और S&P 500 Futures में लगभग 1% की गिरावट देखी गई, जिससे यह संकेत मिलता है कि अमेरिकी बाजार भी दबाव में रह सकते हैं।

Asian Markets पर ट्रंप के टैरिफ का असर

Impact of Trump's tariffs on Asian markets
Asian Markets

ट्रंप प्रशासन द्वारा घोषित टैरिफ चीन, मेक्सिको, भारत और अन्य प्रमुख व्यापारिक भागीदारों पर लागू किए गए हैं। इसका मकसद अमेरिकी व्यापार घाटा कम करना और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना है, लेकिन इससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर असर पड़ा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि टैरिफ की यह नीति लंबे समय तक जारी रही, तो इससे वैश्विक मंदी (Global Recession) की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। निवेशक फिलहाल “रिस्क-ऑफ” मोड में चले गए हैं और सुरक्षित विकल्पों जैसे सोना और बॉन्ड्स की ओर रुख कर रहे हैं।

इस मौजूदा आर्थिक परिदृश्य ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अमेरिका की टैरिफ नीति का प्रभाव सिर्फ घरेलू नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी व्यापक रूप से महसूस किया जा रहा है। आगे की दिशा अब यह तय करेगी कि बाकी देश इस नीति के खिलाफ कैसा कदम उठाते हैं और क्या कोई व्यापारिक समझौता सामने आता है।

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