छोटी Diwali, जिसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है, पर दीये जलाने की परंपरा सदियों पुरानी है। यह सिर्फ एक रस्म नहीं है, बल्कि इसमें गहरा सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व छिपा हुआ है।
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छोटी Diwali पर दीये जलाने का महत्व
अंधकार पर प्रकाश की जीत: प्राचीन काल से ही दीये को अंधकार को दूर करने और प्रकाश लाने का प्रतीक माना जाता रहा है। छोटी दिवाली पर दीये जलाकर हम बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक मनाते हैं।
यमराज का पूजन: मान्यता है कि इस दिन यमराज का पूजन किया जाता है। दीये जलाकर हम यमराज को प्रसन्न करते हैं और उनके क्रोध को शांत करते हैं।
स्वास्थ्य और समृद्धि: दीये जलाने से वातावरण शुद्ध होता है और हानिकारक कीटाणुओं का नाश होता है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है और समृद्धि लाता है।
नकारात्मक ऊर्जा का नाश: दीये की ज्वाला नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने में मदद करती है। यह हमारे घर और जीवन में शांति और समृद्धि लाती है।
सांस्कृतिक पहचान: दीये जलाने की परंपरा हमारी सांस्कृतिक पहचान का एक अभिन्न हिस्सा है। यह हमें अपनी संस्कृति और परंपराओं से जोड़ता है।
समुदायिक भावना: कई समुदायों में छोटी दिवाली के दिन मोहल्ले या गांव में सामूहिक रूप से दीये जलाए जाते हैं। इससे समुदाय में एकता और भाईचारा बढ़ता है।
कहां और कैसे जलाएं दीये
घर के मुख्य द्वार पर: घर के मुख्य द्वार पर दीया जलाने से नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश नहीं कर पाती।
पूजा स्थल पर: पूजा स्थल पर दीया जलाने से धार्मिक भावनाएं प्रबल होती हैं और देवताओं का आशीर्वाद मिलता है।
चौमुखी दीया: छोटी Diwali पर चौमुखी दीया जलाने का विशेष महत्व होता है। यह चारों दिशाओं में प्रकाश फैलाता है और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।
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छोटी Diwali पर दीये जलाना केवल एक रस्म नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन में प्रकाश, सकारात्मकता और समृद्धि लाने का एक माध्यम है। यह हमें अपनी संस्कृति और परंपराओं से जोड़ता है और हमारे अंदर आध्यात्मिक जागृति लाता है।