संयुक्त राष्ट्र: India ने महिलाओं, शांति और सुरक्षा पर UNSC की बैठक के दौरान पाकिस्तान के “शरारती उकसावे” और “राजनीतिक दुष्प्रचार” की निंदा करते हुए कहा कि देश में अल्पसंख्यक समुदायों, विशेष रूप से हिंदुओं, सिखों और ईसाइयों की महिलाओं की स्थिति दयनीय बनी हुई है।
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संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पी हरीश ने शुक्रवार को यूएनएससी में कहा, “यह घृणित है, लेकिन पूरी तरह से अनुमान लगाने योग्य है कि एक प्रतिनिधिमंडल ने गलत सूचना और भ्रामक जानकारी फैलाने की अपनी आजमाई हुई रणनीति के आधार पर शरारती उकसावे में लिप्त होने का विकल्प चुना है। हरीश ने ‘बदलते परिवेश में शांति स्थापित करने वाली महिलाएं’ विषय पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की खुली बहस में भारत का वक्तव्य दिया।
India ने कश्मीर मुद्दे को उछालने के लिए पाकिस्तान की निंदा की
बहस में कश्मीर के मुद्दे को फिर से उछालने वाले पाकिस्तान को जवाब देने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए हरीश ने कहा, “इस महत्वपूर्ण वार्षिक बहस में इस तरह के राजनीतिक प्रचार में शामिल होना पूरी तरह से गलत है।”
उन्होंने कहा, “हम अच्छी तरह जानते हैं कि उस देश में अल्पसंख्यक समुदायों, खासकर हिंदू, सिख और ईसाईयों की महिलाओं की स्थिति दयनीय बनी हुई है।” हरीश ने कहा कि पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों के अनुसार, इन अल्पसंख्यक समुदायों की अनुमानित एक हजार महिलाएं हर साल “अपहरण, जबरन धर्म परिवर्तन और जबरन विवाह” की शिकार होती हैं। खैर, मैं और भी बातें कर सकता हूं, लेकिन मैं यहीं समाप्त करूंगा।”
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बहस में, भारत ने महिला, शांति और सुरक्षा (डब्ल्यूपीएस) एजेंडे के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि की। हरीश ने जोर देकर कहा कि स्थायी शांति के लिए राजनीति, शासन, संस्था-निर्माण, कानून का शासन, सुरक्षा क्षेत्र और आर्थिक सुधार सहित निर्णय लेने के सभी स्तरों पर महिलाओं की पूर्ण, समान, सार्थक और सुरक्षित भागीदारी की आवश्यकता होती है। कहने की ज़रूरत नहीं कि आम जनता और ख़ास तौर पर महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक भलाई स्थायी शांति के लिए ज़रूरी है।
शांति में India का योगदान
डब्ल्यूपीएस एजेंडे को लागू करने में महत्वपूर्ण प्रगति पर प्रकाश डालते हुए हरीश ने कहा कि पांचवें सबसे बड़े सैन्य योगदानकर्ता के तौर पर भारत ने 2007 में लाइबेरिया में पहली बार महिला पुलिस इकाई तैनात की थी, जिसने संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना में एक मिसाल कायम की। उन्होंने कहा, “उनके काम को लाइबेरिया और संयुक्त राष्ट्र में काफ़ी सराहना मिली।
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उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि तेज़ी से बदलती दुनिया में, “हमें ऑनलाइन खतरों और गलत सूचनाओं से बचते हुए महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए नई तकनीकों का इस्तेमाल करना चाहिए। “हमने लैंगिक भेदभाव को कम करने, वित्तीय समावेशन को बढ़ाने और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए डिजिटल तकनीकों का लाभ उठाया है, ख़ास तौर पर ग्रामीण भारत में। हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इन उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए मज़बूत तंत्र विकसित करने का आह्वान करते हैं।”
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