होम मंत्र-जाप Lord Ganesha: 15 मंत्र, आरती और चालीसा

Lord Ganesha: 15 मंत्र, आरती और चालीसा

Lord Ganesha तीन गुणों अर्थात् बुद्धि, सिद्धि और रिद्धि के अवतार हैं जिन्हें क्रमशः ज्ञान, आध्यात्मिकता और समृद्धि के रूप में जाना जाता है।

Lord Ganesha हिंदू धर्म में सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं। भगवान गणेश को गणपति और विनायक के नाम से भी जाना जाता है। भगवान गणेश भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र और भगवान कार्तिकेय के भाई हैं।

भगवान गणेश तीन गुणों अर्थात् बुद्धि, सिद्धि और रिद्धि के अवतार हैं जिन्हें क्रमशः ज्ञान, आध्यात्मिकता और समृद्धि के रूप में जाना जाता है। अन्य दो गुणों को देवी के रूप में माना जाता है। अधिकांश कला कृतियों में गणेश को दो पत्नियों के साथ दिखाया गया है जिन्हें रिद्धि और सिद्धि नाम दिया गया है। ऐसा माना जाता है कि रिद्धि और सिद्धि भगवान ब्रह्मा की बेटियां थीं जिन्होंने स्वयं भगवान गणेश का विवाह समारोह आयोजित किया था।

शिव पुराण के अनुसार, Lord Ganesha के दो पुत्र थे, जिनका नाम शुभ और लाभ रखा गया। शुभ और लाभ क्रमशः शुभ और लाभ के प्रतीक हैं। शुभ देवी रिद्धि के पुत्र थे और लाभ देवी सिद्धि के पुत्र थे।

lord ganesha statue aarti and chalisa
Lord Ganesha

Lord Ganesha की प्रतिमा

Lord Ganesha को हाथी के सिर वाले मानव शरीर के साथ चित्रित किया गया है। आमतौर पर उन्हें चार हाथों से चित्रित किया जाता है। भगवान गणेश के ऊपरी हाथों में से एक में पानी का प्रतीक शंख है। Lord Ganesha के दूसरे हाथ में सुंदरता का प्रतीक कमल है। भगवान गणेश के निचले हाथों में से एक अभय मुद्रा में दिखाया गया है जबकि दूसरे निचले हाथ में मोदक से भरा कटोरा है। भगवान गणेश की सवारी एक पहाड़ी चूहा है।

महत्वपूर्ण त्यौहार

Lord Ganesha की जयंती को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है।

Lord Ganesha के अवतार

मुदुगल पुराण के अनुसार Lord Ganesha के 8 अवतार हैं जो सबसे महत्वपूर्ण हैं और जिन्हें अष्ट विनायक के नाम से जाना जाता है। भगवान गणेश की भी 32 विभिन्न रूपों में पूजा की जाती है।

शक्तिशाली गणेश मंत्र

Lord Ganesha ज्ञान, सफलता और सिद्धि के स्वामी हैं। गणपति का आह्वान करने के लिए कई मंत्रों का जाप किया जा सकता है। इन मंत्रों को सिद्धि मंत्र के रूप में भी जाना जाता है। गणेश मंत्र ऊर्जा और भगवान गणेश की शक्ति से भरे हुए हैं। सच्ची भक्ति के साथ जाप करने से ये मंत्र आपको बाधाओं को दूर करते हुए सकारात्मक परिणाम दे सकते हैं।

Lord Ganesha
  1. वक्रतुंडा गणेश मंत्र

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥

Vakratunda Maha-Kaaya Surya-Kotti Samaprabha
Nirvighnam Kuru Me Deva Sarva-Kaaryeshu Sarvadaa ||

  1. गणेश गायत्री मंत्र

ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥

Aum Ekadantaya Viddhamahe, Vakratundaya Dhimahi,
Tanno Danti Prachodayat॥

  1. मूल गणपति मंत्र

ॐ गं गणपतये नमः |

Om Gam Ganapataye Namaha |

  1. ॐ गणध्याक्षय नमः

ॐ गजाननाय नमः।

Aum Gajānanāya Namaḥ।

  1. ॐ गजाननाय नमः।

ॐ गजाननाय नमः।
Aum Gajānanāya Namaḥ।

  1. ॐ विघ्ननाशाय नमः।

ॐ विघ्ननाशाय नमः।
Om Vighnanashaya Namah।

  1. ॐ लम्बोदराय नमः।

ॐ लम्बोदराय नमः।
Om Lambodaraya Namah।

  1. ॐ सुमुखाय नमः।

ॐ सुमुखाय नमः।
Om Sumukhaya Namah |

  1. ॐ गजकर्णकाय नमः।

ॐ गजकर्णकाय नमः।
Om Gajakarnakaya Namah।

  1. ॐ विकटाय नमः।

ॐ विकटाय नमः।
Om Biktaya Namah |

  1. ॐ विनायकाय नमः।

ॐ विनायकाय नमः।
Om Vinayakaya Naham |

  1. रिन हर्ता मंत्र

ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्॥
Om Ganesh Rinnam Chhindhi Varenyam Hoong Namaah Phutt

  1. ॐ नमो सिद्धि

ॐ नमो सिद्धि विनायकाय सर्व कार्य कर्त्रे सर्व विघ्न प्रशमनाय सर्व राज्य वश्यकरणाय सर्वजन सर्वस्त्री पुरुष आकर्षणाय श्रीं ॐ स्वाहा ॥

Om Namo Siddhi Vinayakaya Sarva kaarya kartrey Sarva vighna prashamnay Sarvarjaya Vashyakarnaya Sarvajan Sarvastree Purush Aakarshanaya Shreeng Om Swaha.

  1. शक्तिविनायक मंत्र

ॐ ह्रींग ग्रीङ्ग ह्रींग।
Om Hreeng Greeng Hreeng

  1. गणेश मूल मंत्र

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा॥
एकदन्ताय विद्‌महे ।
वक्रतुण्डाय धीमहि ।
तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

Om Shreem Hreem Kleem Glaum Gam Ganapataye Vara Varad Sarvajan janmay Vashamanaye Swaha Tatpurushaye Vidmahe Vakratundaye Dhimahi Tanno Danti Prachodyat Om Shantih Shantih Shanthi

Lord Ganesha

॥ श्री गणेशजी की आरती ॥

जय गणेश देव सभी भक्ति आरतियों में सबसे लोकप्रिय और आकर्षक आरतियों में से एक है। आरती गजवदन विनायक की भगवान गणेश की एक और लोकप्रिय आरती है।

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥

एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी।

माथे पे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।

बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥

हार चढ़ै, फूल चढ़ै और चढ़ै मेवा।

लड्डुअन को भोग लगे, संत करे सेवा ॥

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥

दीनन की लाज राखो, शंभु सुतवारी।

कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी ॥

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥

Lord Ganesha

॥ आरती गजबदन विनायक की ॥

आरती गजबदन विनायक की। सुर-मुनि-पूजित गणनायक की॥

आरती गजबदन विनायक की। सुर-मुनि-पूजित गणनायक की॥

आरती गजबदन विनायक की॥

एकदन्त शशिभाल गजानन,विघ्नविनाशक शुभगुण कानन।

शिवसुत वन्द्यमान-चतुरानन,दुःखविनाशक सुखदायक की॥

आरती गजबदन विनायक की॥

ऋद्धि-सिद्धि-स्वामी समर्थ अति,विमल बुद्धि दाता सुविमल-मति।

अघ-वन-दहन अमल अबिगत गति,विद्या-विनय-विभव-दायककी॥

आरती गजबदन विनायक की॥

पिङ्गलनयन, विशाल शुण्डधर,धूम्रवर्ण शुचि वज्रांकुश-कर।

लम्बोदर बाधा-विपत्ति-हर,सुर-वन्दित सब विधि लायक की॥

आरती गजबदन विनायक की॥

श्री गणेश चालीसा

श्री गणेश चालीसा भगवान गणेश की महिमा के लिए एक भक्ति गीत है। यह अवधी भाषा में लिखी गई एक कविता है। गणेश चालीसा ने हिंदुओं के बीच भारी लोकप्रियता हासिल की है। बहुत से लोग इसे प्रतिदिन प्रार्थना के रूप में पढ़ते हैं।

॥ दोहा ॥

जय गणपति सदगुण सदन,कविवर बदन कृपाल।

विघ्न हरण मंगल करण,जय जय गिरिजालाल॥

॥ चौपाई ॥

जय जय जय गणपति गणराजू।मंगल भरण करण शुभः काजू॥

जै गजबदन सदन सुखदाता।विश्व विनायका बुद्धि विधाता॥

वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना।तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥

राजत मणि मुक्तन उर माला।स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥

पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं।मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥

सुन्दर पीताम्बर तन साजित।चरण पादुका मुनि मन राजित॥

धनि शिव सुवन षडानन भ्राता।गौरी लालन विश्व-विख्याता॥

ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे।मुषक वाहन सोहत द्वारे॥

कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी।अति शुची पावन मंगलकारी॥

एक समय गिरिराज कुमारी।पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी॥

भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा।तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा॥

अतिथि जानी के गौरी सुखारी।बहुविधि सेवा करी तुम्हारी॥

अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा।मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥

मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला।बिना गर्भ धारण यहि काला॥

गणनायक गुण ज्ञान निधाना।पूजित प्रथम रूप भगवाना॥

अस कही अन्तर्धान रूप हवै।पालना पर बालक स्वरूप हवै॥

बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना।लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना॥

सकल मगन, सुखमंगल गावहिं।नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं॥

शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं।सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं॥

लखि अति आनन्द मंगल साजा।देखन भी आये शनि राजा॥

निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं।बालक, देखन चाहत नाहीं॥

गिरिजा कछु मन भेद बढायो।उत्सव मोर, न शनि तुही भायो॥

कहत लगे शनि, मन सकुचाई।का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई॥

नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ।शनि सों बालक देखन कहयऊ॥

पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा।बालक सिर उड़ि गयो अकाशा॥

गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी।सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी॥

हाहाकार मच्यौ कैलाशा।शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा॥

तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो।काटी चक्र सो गज सिर लाये॥

बालक के धड़ ऊपर धारयो।प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो॥

नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे।प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे॥

बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा।पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा॥

चले षडानन, भरमि भुलाई।रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई॥

चरण मातु-पितु के धर लीन्हें।तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥

धनि गणेश कही शिव हिये हरषे।नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥

तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई।शेष सहसमुख सके न गाई॥

मैं मतिहीन मलीन दुखारी।करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी॥

भजत रामसुन्दर प्रभुदासा।जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा॥

अब प्रभु दया दीना पर कीजै।अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै॥

॥ दोहा ॥

श्री गणेश यह चालीसा,पाठ करै कर ध्यान।

नित नव मंगल गृह बसै,लहे जगत सन्मान॥

सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश,ऋषि पंचमी दिनेश।

पूरण चालीसा भयो,मंगल मूर्ती गणेश॥

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