Navratri 2025, हिंदू धर्म में अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाने वाला पर्व है। यह पर्व वर्ष में दो बार आता है—चैत्र नवरात्रि (मार्च-अप्रैल) और शारदीय नवरात्रि (सितंबर-अक्टूबर)। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, भक्त उपवास रखते हैं और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।
Navratri 2025 का प्रारंभ 30 मार्च 2025 को होगा और 7 अप्रैल 2025 को समाप्त होगी, जबकि शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर 2025 से प्रारंभ होकर 2 अक्टूबर 2025 तक चलेगी।
इस लेख में Navratri 2025 की पूरी जानकारी, जैसे कि घटस्थापना मुहूर्त, पूजा विधि, देवी के नौ स्वरूप, व्रत नियम, हवन, कन्या पूजन और सांस्कृतिक महत्व पर विस्तार से चर्चा की गई है। यदि आप नवरात्रि का पर्व सही विधि-विधान से मनाना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए उपयोगी रहेगा।
सामग्री की तालिका
1. नवरात्रि 2025 की तिथियां और घटस्थापना मुहूर्त
(क) चैत्र नवरात्रि 2025 तिथियां
- प्रारंभ तिथि: 30 मार्च 2025 (रविवार)
- समापन तिथि: 7 अप्रैल 2025 (सोमवार)
घटस्थापना मुहूर्त:
- प्रातः 6:13 बजे से 10:22 बजे तक (4 घंटे 8 मिनट)
- अभिजित मुहूर्त: दोपहर 12:01 बजे से 12:50 बजे तक (50 मिनट)
(ख) शारदीय नवरात्रि 2025 तिथियां
- प्रारंभ तिथि: 22 सितंबर 2025 (सोमवार)
- समापन तिथि: 2 अक्टूबर 2025 (गुरुवार)
घटस्थापना मुहूर्त:
- प्रातः 6:09 बजे से 8:06 बजे तक (1 घंटा 57 मिनट)
- अभिजित मुहूर्त: दोपहर 11:49 बजे से 12:38 बजे तक (49 मिनट)
2. घटस्थापना (कलश स्थापना) विधि
घटस्थापना Navratri 2025 के सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है। इसे सही मुहूर्त में करना आवश्यक होता है।
घटस्थापना करने की विधि:
- स्नान और शुद्धिकरण: घर व पूजा स्थल की सफाई करें और स्वयं स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- आसन और सामग्री: लाल या पीले वस्त्र बिछाएं और पूजा सामग्री एकत्रित करें।
- जौ बोना: मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं, जो देवी दुर्गा के आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है।
- कलश स्थापना: जल से भरे तांबे/पीतल के कलश पर नारियल रखें और उस पर मौली (कलावा) बांधें।
- स्वस्तिक चिह्न: कलश पर रोली से स्वस्तिक बनाएं।
- दीप प्रज्वलन: अखंड ज्योति जलाएं और देवी का आह्वान करें।
3. नवरात्रि के नौ दिनों की पूजा और देवी के नौ स्वरूप
Navratri 2025 के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है।
दिन | देवी का नाम | स्वरूप और विशेषता |
---|---|---|
प्रथम दिवस | मां शैलपुत्री | पर्वतराज हिमालय की पुत्री, नवरात्रि की शुरुआत का प्रतीक |
द्वितीय दिवस | मां ब्रह्मचारिणी | तपस्विनी देवी, संयम और तपस्या का प्रतीक |
तृतीय दिवस | मां चंद्रघंटा | रौद्र रूप, संकटों से मुक्ति दिलाने वाली |
चतुर्थ दिवस | मां कूष्मांडा | ब्रह्मांड की रचनाकार, ऊर्जा और समृद्धि की देवी |
पंचम दिवस | मां स्कंदमाता | भगवान कार्तिकेय की माता, ज्ञान और शांति का प्रतीक |
षष्ठम दिवस | मां कात्यायनी | महिषासुर मर्दिनी, शक्ति और साहस की देवी |
सप्तम दिवस | मां कालरात्रि | दुष्टों का नाश करने वाली, भय नाशक |
अष्टम दिवस | मां महागौरी | श्वेत वस्त्रधारी, शांति और करुणा की देवी |
नवम दिवस | मां सिद्धिदात्री | सिद्धियों की देवी, मोक्ष प्रदायिनी |
4. नवरात्रि व्रत विधि और नियम
Navratri 2025 के दौरान भक्त उपवास रखते हैं और देवी की आराधना करते हैं।
व्रत के महत्वपूर्ण नियम:
सात्विक भोजन करें: फल, दूध, साबूदाना, सिंघाड़े का आटा, और सेंधा नमक का प्रयोग करें।
नकारात्मक विचारों से बचें: गुस्सा, द्वेष और बुरी संगति से दूर रहें।
मंत्र जाप करें: दुर्गा सप्तशती, देवी कवच, या “ॐ दुं दुर्गायै नमः” मंत्र का जाप करें।
रात में सोने से पहले आरती करें: “जय अम्बे गौरी” और “दुर्गा चालीसा” का पाठ करें।
5. हवन और कन्या पूजन
(क) हवन विधि (अष्टमी / नवमी पर)
Navratri व्रत के दौरान ऊर्जावान और स्वस्थ रहने के 8 आसान तरीके
- गाय के गोबर के उपले जलाएं और उसमें आम की लकड़ी डालें।
- हवन कुंड में घी, कपूर, और हवन सामग्री डालें।
- “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” मंत्र से आहुति दें।
(ख) कन्या पूजन विधि
- 9 कन्याओं को आमंत्रित करें।
- उन्हें भोजन कराएं और पैर धोकर आशीर्वाद लें।
- लाल वस्त्र और दक्षिणा देकर विदा करें।
6. नवरात्रि का सांस्कृतिक महत्व
- गरबा और डांडिया: गुजरात और राजस्थान में विशेष रूप से गरबा और डांडिया रास खेला जाता है।
- रामलीला का आयोजन: उत्तर भारत में इस दौरान रामलीला का मंचन किया जाता है।
- भक्तों द्वारा जगराते और कीर्तन: मंदिरों में विशेष कीर्तन और भजन संध्या का आयोजन होता है।
7. नवरात्रि 2025 क्यों होगी खास?
Navratri 2025 अत्यंत शुभ संयोगों के साथ आ रही है। इस वर्ष देवी की आराधना के लिए विशेष योग बन रहे हैं, जो भक्तों के लिए अधिक फलदायी रहेंगे।
निष्कर्ष
Navratri 2025 केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, भक्ति और सकारात्मकता का समय होता है। इस दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। यदि आप Navratri 2025 को विधिपूर्वक मनाना चाहते हैं, तो इस लेख में दी गई जानकारी आपके लिए बेहद लाभकारी सिद्ध होगी।
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