Navratri का अर्थ है “नौ रातें,” और यह वर्ष में दो बार मनाई जाती है—चैत्र Navratri (वसंत ऋतु) और शारदीय Navratri (शरद ऋतु)। इन नौ दिनों में देवी दुर्गा की कृपा विशेष रूप से सक्रिय मानी जाती है, जिससे साधकों को मानसिक, शारीरिक और आत्मिक शुद्धि का अवसर मिलता है।
सामग्री की तालिका
इस दौरान कुछ गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया जाता है, जैसे नाखून काटना, बाल कटवाना या शेविंग करना। इसका मुख्य कारण यह माना जाता है कि Navratri केवल बाहरी नहीं, बल्कि आंतरिक शुद्धि और संयम का पर्व है।
Navratri में नाखून काटने और बाल कटवाने की मनाही क्यों?
इसके पीछे कई धार्मिक और वैज्ञानिक कारण हैं:
1. ऊर्जा और आध्यात्मिक शुद्धता बनाए रखना
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, Navratri के दौरान हमारे शरीर में ऊर्जा (प्राण शक्ति) उच्च स्तर पर होती है। ऐसा माना जाता है कि नाखून काटने या बाल कटवाने से यह सकारात्मक ऊर्जा कम हो सकती है।
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2. तामसिक और राजसिक कार्यों से बचाव
हिंदू दर्शन के अनुसार सभी कार्यों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है:
- सात्त्विक (शुद्ध, आध्यात्मिक, पुण्यदायक)
- राजसिक (इच्छाओं और भौतिक सुखों से प्रेरित)
- तामसिक (आलस्य, नकारात्मकता और अज्ञानता से भरे)
नाखून काटना और बाल कटवाना राजसिक और तामसिक गतिविधियों में आता है, जिसे Navratri के दौरान त्यागने की सलाह दी जाती है ताकि सात्त्विक जीवनशैली अपनाई जा सके।
3. चंद्रमा और शरीर की ऊर्जा पर प्रभाव
Navratri का गहरा संबंध चंद्रमा के चक्र से होता है। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, नाखून और बाल काटने से शरीर की ऊर्जा प्रणाली चंद्रमा के प्रभाव से असंतुलित हो सकती है।
4. पुराने समय की स्वच्छता और व्यावहारिकता
पुराने समय में बाल और नाखून काटने के लिए धारदार उपकरणों का उपयोग किया जाता था, जिससे छोटे घाव या संक्रमण का खतरा रहता था। चूंकि Navratri में लोग उपवास और पूजा में लगे रहते थे, इसलिए चोट या संक्रमण से बचने के लिए इन गतिविधियों को वर्जित माना गया।
तो फिर Navratri में बच्चों का मुंडन क्यों कराया जाता है?
जहाँ Navratri में नाखून और बाल काटने की मनाही होती है, वहीं कई परिवार इस समय बच्चों का मुंडन संस्कार (पहली बार सिर के बाल उतरवाना) कराते हैं। यह विरोधाभासी लग सकता है, लेकिन इसके पीछे गहरी आध्यात्मिक और वैज्ञानिक मान्यताएँ हैं।
1. मुंडन एक पवित्र संस्कार है
सामान्य बाल कटवाने के विपरीत, मुंडन सिर्फ एक सफाई प्रक्रिया नहीं, बल्कि हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में से एक महत्वपूर्ण संस्कार है। यह अशुभ कर्मों के प्रभाव से मुक्ति और नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। चूंकि Navratri शुभ समय होता है, इसलिए इस दौरान मुंडन करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है।
2. बच्चे की आध्यात्मिक शुद्धि
मान्यता है कि जन्म लेने के बाद बच्चे के शरीर में पिछले जन्म के कुछ दोष (संस्कार) शेष रह सकते हैं। मुंडन से इन दोषों की शुद्धि होती है और बच्चा नए जीवन में देवी-देवताओं के आशीर्वाद के साथ प्रवेश करता है।
3. देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए
Navratri में देवी दुर्गा की पूजा की जाती है, जो माँ स्वरूप हैं और अपने भक्तों को सुरक्षा प्रदान करती हैं। इस दौरान मुंडन कराने से माना जाता है कि बच्चा उनकी विशेष कृपा और संरक्षण में आ जाता है, जिससे उसका जीवन मंगलमय और सुरक्षित होता है।
4. ज्योतिषीय और ग्रहों का प्रभाव
हिंदू धर्म में किसी भी संस्कार को करने से पहले ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति को ध्यान में रखा जाता है। Navratri के दौरान ग्रहों की स्थिति अत्यधिक शुभ मानी जाती है, इसलिए बच्चे का मुंडन इस समय कराना बेहद लाभकारी होता है।
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5. वैज्ञानिक और स्वास्थ्य लाभ
मुंडन संस्कार के पीछे आध्यात्मिक कारणों के साथ-साथ वैज्ञानिक कारण भी हैं:
- नए बाल अधिक मजबूत और घने उगते हैं
- सिर की सफाई और त्वचा की सुरक्षा होती है
- बालों से जुड़ी बीमारियों और संक्रमण का खतरा कम होता है
- बच्चे के सिर में रक्त संचार बढ़ता है, जिससे मानसिक विकास में सहायता मिलती है
इन परंपराओं के पीछे छिपा गहरा संदेश
नाखून काटने और बाल कटवाने की मनाही तथा मुंडन कराने की परंपरा हमें एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक संदेश देती है— नियत (इंटेशन) का महत्व।
- नाखून और बाल काटना व्यक्तिगत सौंदर्य (ग्रोमिंग) का कार्य है, जो भौतिक सुख से प्रेरित होता है।
- जबकि मुंडन एक धार्मिक संस्कार है, जो आध्यात्मिक शुद्धि और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
इससे यह स्पष्ट होता है कि यदि कोई कार्य आध्यात्मिक दृष्टिकोण से किया जाए, तो वह शुभ होता है। लेकिन यदि वह केवल भौतिक सुख के लिए किया जाए, तो उसे वर्जित माना जाता है।
निष्कर्ष: परंपराओं को समझकर अपनाएँ
Navratri आध्यात्मिक जागरूकता, अनुशासन और आत्मशुद्धि का पर्व है। इन दिनों की गई हर परंपरा का कोई न कोई धार्मिक, वैज्ञानिक और दार्शनिक कारण अवश्य होता है।
जहाँ नाखून और बाल काटना भौतिकता का प्रतीक मानकर वर्जित किया गया है, वहीं मुंडन को एक पवित्र संस्कार के रूप में स्वीकार किया गया है।
Navratri 2025 के इस शुभ अवसर पर हम इन परंपराओं को समझें और श्रद्धा के साथ देवी दुर्गा की आराधना करें। आइए, हम अपने जीवन में शुद्धता, भक्ति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करें।
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