डिजिटल प्लेटफॉर्म पर डेब्यू करने जा रही हैं सानिया मिर्जा, ‘एमटीवी निषेध अलोन टुगेदर’ सीरीज में आएंगी नज़र।
टेनिस की मशहूर खिलाड़ी सानिया मिर्जा ‘एमटीवी निषेध अलोन टूगेदर’ के साथ डिजिटल प्लेटफॉर्म पर डेब्यू करने जा रही हैं। उन्होंने कहा है कि इस शो का उद्देश्य तपेदिक (टीबी) के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। सानिया फिक्शन सीरीज में भूमिका निभाएंगी। टीवी शो ‘एमटीवी निषेध’ का प्रीमियर इस साल जनवरी में हुआ था, जिसका मकसद टीबी के बारे में जागरूकता बढ़ाने का और उचित दवा लेने के महत्व के बारे में बताने का था।
सानिया ने कहा, “टीबी हमारे देश की सबसे पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। टीबी के आधे मामले तो 30 वर्ष से कम उम्र वाले लोगों के हैं। इस बीमारी से निपटने और धारणा में बदलाव लाने की तुरंत जरूरत है।”
उन्होंने आगे कहा, ” ‘एमटीवी निषेध अलोन टुगेदर’ अनोखे और असरदार तरीके से बताती है कि आज का युवा ऐसे मुद्दों के बारे में अधिक जागरूक, संवेदनशील और सचेत है जो हमारे देश को नुकसान पहुंचा रहे हैं। टीबी से लगातार खतरा है और महामारी के कारण तो यह और बढ़ गया है। ऐसे में टीबी पर अंकुश लगाने की लड़ाई पहले से कहीं अधिक कठिन हो गई है और इसीने मुझे इस प्रोजेक्ट से जुड़ने के लिए प्रेरित किया है। मुझे उम्मीद है कि यह सकारात्मक परिवर्तन लाएगी।”
यह शो एक युवा जोड़े विक्की और मेघा (सैयद रजा अहमद और प्रिया चौहान द्वारा अभिनीत) की चुनौतियों के बारे में हैं। इस शो में सानिया को लॉकडाउन के दौरान युवा जोड़ों के सामने आई चुनौतियों पर चर्चा करते हुए देखा जाएगा। शो में अक्षय नलवाडे और अश्विन मुशरान भी हैं।
अमृत और बीमारियों से बचने के लिए Ayurveda का ज्ञान Lord Dhanvantari ने दिया है संसार को।
आज 12 नवंबर से पांच दिनों का दीपोत्सव पर्व शुरू हो गया है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, शरद पूर्णिमा को चंद्रमा, कार्तिक द्वादशी को कामधेनु गाय, त्रयोदशी को धन्वंतरि, चतुर्दशी को मां काली और अमावस्या को लक्ष्मी माता समुद्र से उत्पन्न हुई थीं। कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को धन्वंतरि के प्रकट होने से धनतेरस मनाया जाता है। कहा जाता है कि समुद्र मंथन के समय धन्वंतरि (Lord Dhanvantari) ने संसार को अमृत दिया था।
भगवान धन्वंतरि देवताओं के वैद्य अश्विनी कुमारों का ही अवतार हैं। प्राकट्य के समय धन्वंतरि के चार हाथों में अमृत कलश, औषधि, शंख और चक्र थे। प्रकट होते ही उन्होंने आयुर्वेद का परिचय कराया। आयुर्वेद के संबंध में कहा जाता है कि सर्वप्रथम ब्रह्मा ने एक लाख श्लोक वाले आयुर्वेद (Ayurveda) की रचना की जिसे अश्विनी कुमारों ने सीखा और इंद्र को सिखाया। इंद्र ने इससे धन्वंतरि को कुशल बनाया।
धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि (Lord Dhanvantari) की पूजा करने से न केवल स्वास्थ्य लाभ मिलता है, बल्कि कई रोगों से भी छुटकारा पाया जा सकता है। इस दिन मन से भगवान की पूजा करें तो आयुर्वेद का लाभ मिल सकता है। कहा जाता है कि जिस व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो गई है और दवा का असर नहीं हो पाता है, तो धन्वंतरि की विधिवत पूजा से लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
धनत्रयोदशी में धन शब्द को धन-संपत्ति और धन्वंतरि दोनों से ही जोड़कर देखा जाता है। उत्पत्ति के वक्त भगवान धन्वंतरि के हाथों में कलश होने के कारण ही उनके प्राकट्य दिवस के मौके पर बर्तन खरीदने की परंपरा की शुरुआत हुई। इस दिन कुबेर की पूजा होने से सोने-चांदी के आभूषण भी खरीदे जाते हैं। दीपावली की रात लक्ष्मी-गणेश की पूजा के लिए लोग उनकी मूर्तियां भी धनतेरस पर घर ले आते हैं।