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Dhanteras : धनतेरस के दिन बर्तन खरीदना क्यों शुभ माना जाता है? क्यों जलाते हैं हम दीया

दीवाली कोई एक दिन का त्यौहार नहीं हैं बल्कि ये पंचदिवसीय पर्व है जिसकी शुरुआत धनतेरस के साथ ही हो जाती है. पांच दिनों तक चलने वाले इस पर्व में सबसे पहले दिन मनाया जाता है धनतेरस. जो कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि को होता है. इस दिन भगवान धनवंतरि की विशेष तौर पर पूजा होती है. और लोग इस दिन सोने चांदी के अलावा बर्तनों की भी जमकर खरीददारी करते हैंलेकिन आखिर ऐसा क्यों किया जाता हैक्यों इस दिन बर्तन खरीदना शुभता की निशानी मानी जाती है.

इसीलिए खरीदे जाते हैं बर्तन

समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक मास की त्रयोदशी के दिन भगवान धनवंतरि प्रकट हुए थे. जब वो प्रकट हुए तो उनके हाथों में कलश मौजूद था. इसीलिए इस दिन विशेष तौर से बर्तन खरीदने की प्रथा है. इस दिन लोग स्टील, एलुमीनियम के नए बर्तन खरीदकर घर लाते हैं जिसे शुभता की निशानी माना जाता है

13 गुना होती है वृद्धि

शास्त्रों में मान्यता है कि इस दिन खरीदे गए सामान से 13 गुना बढ़ोतरी होती है. यही कारण है कि लोग इस दिन जमकर खरीददारी करते हैं. सिर्फ बर्तन ही नहीं बल्कि धनतेरस के दिन चांदी खरीदना भी काफी शुभ फलदायी माना गया है. इसीलिए लोग इस दिन चांदी के सिक्के या फिर चांदी की लक्ष्मीगणेश की मूर्तियां खरीदकर घर लाते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है कि सिर्फ चांदी ही खरीदी जा सकती है बल्कि सोना, तांबा, कांसा पीतल कोई धातु की वस्तु इस दिन खरीदी जा सकती है. माना जाता है कि धनतेरस के दिन ये चीज़ें खरीदने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और इंसान की किस्मत पलट जाती है

घर की दक्षिण दिशा में जलाएं दीया

यूं तो दीवाली को दीपों का त्यौहार कहा जाता है लेकिन दीए जलाने की प्रथा धनतेरस से ही शुरु हो जाती है. इस दिन घर की दक्षिण दिशा में दीपक जलाने का खासा महत्व होता है. कहते हैं कि एक बार यमदेव से उनके दूतो ने प्रश्न किया था कि क्या अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय है तब यमदेव ने बताया था कि जो मनुष्य धनतेरस के दिन दक्षिण दिशा में दीपक जलाकर रखेगा उसे अकाल मृत्यु का भय कभी नहीं होगा. यही कारण है कि आज भी धनतेरस के दिन लोग दक्षिण दिशा में दीया ज़रुर जलाते हैं. दक्षिण दिशा को यम की दिशा माना जाता है इसीलिए इस दिन यम की पूजा का भी विधान है

In सीरीज के फोन के डिजाइन और विकास के लिए माइक्रोमैक्स ने MediaTek से मिलाया हाथ

माइक्रोमैक्स ‘In’ सीरीज के स्मार्टफोन को 3 नवंबर को लॉन्च होने जा रही है.

माइक्रोमैक्स (Micromax) ने बुधवार को कहा कि उसने अपने स्मार्टफोन ब्रांड ‘इन’ (In) के डिजाइन और विकास के लिए ताइवान की चिपसेट निर्माता मीडियाटेक (MediaTek) के साथ गठजोड़ किया है.

New Delhi- भारत की मोबाइल फोन कंपनी माइक्रोमैक्स (Micromax) ने बुधवार को कहा कि उसने अपने स्मार्टफोन ब्रांड ‘इन’ (In) के डिजाइन और विकास के लिए ताइवान की चिपसेट निर्माता मीडियाटेक (MediaTek) के साथ गठजोड़ किया है.500 करोड़ रुपये निवेश का लक्ष्य

माइक्रोमैक्स ने इस महीने की शुरुआत में अपने नए सब-ब्रांड ‘इन’ की घोषणा की थी और बताया था कि इसके लिए कंपनी अगले 12-18 महीनों में आरएंडडी, मैन्युफैक्चरिंग और मार्केटिंग पर 500 करोड़ रुपये निवेश करेगी.

कंपनी के इस कदम को भारतीय बाजार में उसकी वापसी की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है. उम्मीद है कि नए ब्रांड के तहत उसका पहला उत्पाद नवंबर के पहले सप्ताह में बाजार में आ जाएगा. कंपनी ने बुधवार को एक बयान में कहा कि माइक्रोमैक्स स्मार्टफोन समाधान के लिए मीडियाटेक के साथ गठजोड़ कर रही है

बेंगलुरु में है आर एंड डी केंद्र

माइक्रोमैक्स ने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत उसका बेंगलुरु स्थिति आरएंडडी केंद्र नई ‘इन’ स्मार्टफोन श्रृंखला के लिए डिजाइन और विकास कार्य शुरू करेगा. माइक्रोमैक्स के सह-संस्थापक राहुल शर्मा ने कहा कि भारत में कंपनी की आरएंडडी इकाई नवीनतम तकनीक और मीडिया के अत्याधुनिक जी श्रृंखला वाले हेलियो चिप का इस्तेमाल करेगी.  उन्होंने कहा कि सॉफ्टवेयर विकास हमेशा से भारत की ताकत रहा है, और कंपनी सॉफ्टवेयर डिजाइन में उसी ताकत का फायदा उठाएगी.

3 नवंबर को भारत में होगी Micromax की वापसी

गौरतलब है कि माइक्रोमैक्स ने हाल ही में कहा था कि वह नए ब्रांड ‘In’ के तहत भारतीय स्मार्टफोन बाजार में वापसी करने जा रही है. कंपनी के सीईओ और को-फाउंडर राहुल शर्मा ने एक वीडियो जारी करते हुए मोबाइल मार्केट में वापसी की बात कही थी. कंपनी ‘In’ सीरीज के स्मार्टफोन को 3 नवंबर को लॉन्च होने जा रही है. इसे टीज करने के लिए कंपनी ने हाल ही में नया वीडियो जारी किया है. कंपनी के ट्विटर हैंडल से एक वीडियो शेयर किया गया है जिसमें आओ करें चीनी कम (Aao Karein Cheeni Kum) मैसेज है.

जानिए भारत में केवल कुछ राज्यों में ही क्यों है पब्लिक हेल्थ कानून

भारत के सिर्फ छह राज्य/केंद्रशासित प्रदेश ऐसे हैं, जहां लोक स्वास्थ्य (Public Health) से जुड़े कानून लागू हैं. नौ राज्य ऐसे हैं, जो चाह रहे हैं कि वो भी अपने नागरिकों के स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों को कानूनी तौर पर (Legal Framework) तय करें और स्वास्थ्य संबंधी अधिकारों (Health Rights) और मानकों को तय करें, लेकिन आठ राज्य ऐसे भी हैं, जो इस दिशा में कोई कदम उठाने के लिए तैयार नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक याचिका की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार (Central Government) ने इस तरह की जानकारी दी है, हालांकि बाकी राज्यों का इस जानकारी में ज़िक्र नहीं किया गया है.स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने इस तरह का डेटा सुप्रीम कोर्ट को दिया तो एक जिज्ञासा यही उठती है कि आखिर क्यों सिर्फ छह राज्यों में ही स्वास्थ्य कानून हैं, बाकी में नहीं! दूसरी बात यह भी कि आखिर यह जानकारी देने की ज़रूरत ही क्यों पड़ गई? आइए जानें क्या है पूरी स्थिति.

क्यों उठा यह सवाल?

सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका में कोविड 19 के इलाज से जुड़े पहलुओं के बारे में सवाल खड़े किए गए थे. इस याचिका की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र के नेशनल हेल्थ बिल 2009 की तर्ज़ पर सभी राज्यों में स्वास्थ्य कानून बनाए जाने के लिए केंद्र को निर्देश दिए थे. साथ ही, केंद्र से कहा था कि राज्यों के साथ मीटिंग कर उन्हें इस दिशा में जल्दी प्रेरित किया जाए.छह राज्यों में कैसे हैं हेल्थ कानून?
कोर्ट के निर्देश पर केंद्र ने जो जवाब दिया, उसके मुताबिक आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, गोवा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और असम राज्य ऐसे हैं, जहां लोक स्वास्थ्य को लेकर कानूनी फ्रेमवर्क है. हालांकि इनकी स्थिति पर चर्चा ज़रूर की जाना चाहिए क्योंकि मध्य प्रदेश में इस बारे में जो कानून है, वो 1949 का है यानी देश के संविधान के बनने से और मध्य प्रदेश की स्थापना से भी पहले का.

न्यूज़18 इलस्ट्रेशन

दूसरी तरफ, आंध्र प्रदेश में यह कानून 1939 से लागू हुआ था, जिसे समय समय पर संशोधित किया जाता रहा है. गोवा में पब्लिक हेल्थ एक्ट 1985 में बना था और उत्तर प्रदेश में तो इसी साल जब कोरोना वायरस महामारी के रूप में फैला, तभी स्वास्थ्य संबंधी कानूनी प्रक्रिया पूरी हुई.

अन्य राज्यों के हालात?
कर्नाटक, पंजाब, सिक्किम, ओडिशा, मणिपुर, झारखंड, मेघालय, महाराष्ट्र और दादर नागर हवेली व दमन दीव जल्द ही स्वास्थ्य संबंधी कानून लागू करने की तैयारी कर रहे हैं, ऐसा केंद्र सरकार के शपथ पत्र में दावा किया गया है. दूसरी ओर, पश्चिम बंगाल, चंडीगढ़, जम्मू व कश्मीर, उत्तराखंड, मिज़ोरम, नागलैंड, हरियाणा और अंडमान निकोबार द्वीप समूह जैसे राज्यों/यूटी का इस बारे में कोई प्लान नहीं है.

हालांकि, नागालैंड और हरियाणा कह चुके हैं कि वो केंद्र सरकार के एक्ट को ही राज्य में लागू करने जा रहे हैं. लेकिन केंद्र सरकार का शपथ पत्र इस विषय पर बाकी राज्यों की स्थिति साफ नहीं करता.

क्या कारण हैं?
सिर्फ छह राज्यों में हेल्थ लॉ होने के पीछे बड़ा कारण तो यही है कि स्वास्थ्य राज्य के अधिकार क्षेत्र का विषय है इसलिए उसे ही एक व्यवस्था बनानी होती है. इसमें केंद्र को खास दखल नहीं होता. इसके बावजूद केंद्र सरकार ने 1955 और 1987 में दो बार कोशिश की थी कि सभी राज्य अपने स्तर पर एक आदर्श पब्लिक हेल्थ एक्ट का कॉंसेप्ट तैयार करें.

लेकिन, केंद्र के ये दोनों ही प्रयास नाकाम साबित हुए. इस बारे में राज्य सरकारों के रुचि न लेने के चलते साल 2009 में केंद्र ने ही नेशनल हेल्थ बिल के तहत एक मानक व्यवस्था देने का रवैया अपनाया.

अंतत: यह समझना चाहिए कि स्वास्थ्य समानता और न्याय की दिशा में हेल्थकेयर सेवाओं से जुड़े कानूनी प्रावधान होना ज़रूरी है. इस विषय पर द प्रिंट की रिपोर्ट में यह भी साफ कहा गया है कि कई फैसलों में सुप्रीम कोर्ट साफ कह चुका है कि संविधान के आर्टिकल 21 के तहत हेल्थकेयर मूलभूत अधिकार है.

कोविड 19 को लेकर चर्चा में स्वास्थ्य कानूनों के मुद्दे पर याचिका दायर करने वाले सचिन जैन के हवाले से लिखा गया है कि केंद्र ने यह तो बताया कि महामारी के लिए उसने डिसास्टर मैनेजमेंट एक्ट, 2005 के प्रावधानों का सहारा लिया, लेकिन कोर्ट को यह नहीं बताया गया कि किस तरह. बहरहाल, कोर्ट की कार्यवाही और पूरे देश की स्थितियों के बाद यह साफ हो जाता है कि राज्यों में हेल्थ लॉ की कमी कितनी खली है और इसे अनदेखा किया जाना कितना महंगा पड़ा.

Facebook: मैसेंजर का क्रॉस मैसेजिंग फीचर भारत में लॉन्च ।

बदल गए Messenger और Instagram में चैट का तरीका

इंस्टाग्राम डायरेक्ट मैसेज और फेसबुक मैसेंजर के मर्ज होने के बाद अब एक ही प्लेटफॉर्म से दूसरे प्लेटफॉर्म पर मौजूद लोगों से कनेक्ट किया जा सकता है. कंपनी ने पिछले महीने इसे लॉन्च किया था. अब भारतीय यूज़र्स को भी इसका अपडेट मिल रहा है.

Facebook : अक्सर अपने यूजर्स के लिए नए फीचर्स लॉन्च करता रहता है. हाल ही में फेसबुक ने मैसेंजर को इंस्टाग्राम के डायरेक्टर मैसेज (DM) सर्विस के साथ मर्ज किया है. यूजर्स इंस्टाग्राम से मैसेंजर पर मैसेज भेज सकते हैं और मैसेंजर से इंस्टाग्राम पर, इसे क्रॉस मैसेजिंग कहते हैं. फेसबुक ने इन सब अपडेट का ऐलान ब्लॉग पोस्ट के जरिए किया था. यह नया फीचर आते ही सोशल मीडिया पर लोगों ने अपने चैटिंग एक्सपीरियंस भी शेयर करने शुरू कर दिए. क्रॉस मैसेजिंग फीचर एंड्रॉइड और iOS वर्जन में उपलब्ध होगा. यूजर्स को इसके लिए ऐप स्टोर्स से ऐप अपडेट करना पड़ सकता है.इस तरह कर सकते हैं यूज

इन्स्टाग्राम से मैसेंजर कॉन्टैक्ट्स को मैसेज भेजने के लिए एंड्रॉइड और iOS यूजर्स को सबसे पहले गूगल प्ले स्टोर और ऐप्पल स्टोर पर जाकर इंस्टाग्राम का लेटेस्ट ऐप डाउनलोड या अपडेट करना होगा. ठीक इस तरह मैसेंजर से इंस्टाग्राम कॉन्टैक्ट्स को मैसेज भेजने के लिए भी यूजर्स को लेटेस्ट मैसेंजर ऐप डाउनलोड या अपडेट करना होगा. इंस्टाग्राम अपडेट के बाद मैसेंजर प्लेटफॉर्म के अधिकांश फीचर्स और UI एक जैसे होंगे. प्लेटफॉर्म के डायरेक्ट मैसेज पर नई विशेषताओं में चैटबॉक्स का रंग बदलना, इमोजी के साथ रिएक्शन, सेल्फी स्टिकर बनाना आदि शामिल है.

अगर शुरुआती सेटअप में यूजर फेसबुक के साथ प्रोफाइल सिंक करना चाहे, तो मैसेंजर उसका इंस्टाग्राम नाम और प्रोफाइल फोटो लेगा. दोनों प्लेटफॉर्म पर यूजरनेम एक जैसा रहेगा. इंस्टाग्राम से फेसबुक मैसेंजर पर चैट के लिए यूजर को उस व्यक्ति का नाम सर्च करना होगा. इससे यूजर्स को यह जानने में मदद मिलेगी कि यह कॉन्टैक्ट मैसेंजर से है या इंस्टाग्राम से. हालांकि फ़िलहाल एंड टू एंड एनक्रिप्शन के बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं है क्योंकि इंस्टाग्राम पर यह सुविधा अभी नहीं है. इसके अलावा अपडेट से नए ऐप में पुरानी चैट नहीं आती है.

अगर क्रॉस मैसेजिंग फीचर के लिए यूजर जाना चाहते हैं, तो इन्स्टाग्राम के दाएं तरफ सबसे ऊपर की तरफ इन्स्टाग्राम में मैसेंजर ऐप का आइकन आ जाएगा. यह भी ध्यान देने वाली बात है कि यूजर्स ‘Not Now’ ऑप्शन से दोनों मैसेजिंग ऐप को मर्ज करने से बच सकते हैं. फेसबुक ने इस अपडेट के बारे में एक महीने पहले बताया था.

Health: एचआईवी एड्स होने पर घबराएं नहीं, ऐसे रखें मरीज का ख्याल

अगर सही समय पर एचआईवी संक्रमण (HIV Infection) का पता न चले और उचित इलाज नहीं किया जाए, तो व्यक्ति में एड्स (AIDS) का खतरा बढ़ जाता है. एड्स, एचआईवी का आखिरी चरण है और इस चरण में व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली इतनी कमजोर हो जाती है कि उन्हें कोई भी संक्रमण आसानी से हो जाता है. myUpchar के अनुसार एचआईवी एक वायरल संक्रमण है, जो ह्यूमन इम्युनोडिफि​शिएंसी वायरस की वजह से होता है. एचआईवी के शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे हो सकते हैं, जो कि कुछ समय में अपने आप ठीक हो जाते हैं. इसलिए ज्यादातर लोगों को पता नहीं चलता है कि वे एचआईवी संक्रमित हैं और वायरस शरीर में बढ़ता जाता है.

वायरस के आखिरी चरण में व्यक्ति को धुंधला दिखना, वजन कम होना, सूखी खांसी और सांस फूलने जैसी परेशानी होती है. ये इंफेक्शन व्यक्ति के शरीर में तरल पदार्थों जैसे खून, वीर्य, ब्रेस्ट मिल्क इत्यादि के संपर्क में आने से फैलता है. एचआईवी का सबसे आम कारण बिना कंडोम के सेक्स करना है. इससे संक्रमित होने पर व्यक्ति को कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

अच्छी नींद और व्यायाम

एचआईवी पीड़ित लोग कमजोर होते हैं और उनका वजन भी कम हो जाता है. ऐसे में उनके लिए रोजाना व्यायाम करना जरूरी है, ताकि मांसपेशियां और हड्डियां मजबूत हो सकें. उन्हें ऐसा व्यायाम करना चाहिए, जिससे उन्हें शारीरिक तनाव न होने पाए. इसके अलावा दिन में कम ये कम 8 घंटे की नींद जरूरी है, क्योंकि ज्यादा आराम से शरीर की संक्रमण से लड़ने की क्षमता में बढ़ोतरी होती है.

मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य

एचआईवी संक्रमित व्यक्ति को अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरूरी है, क्योंकि ज्यादा चिंता और तनाव स्थिति को खराब कर सकती हैं. कई लोगों में एचआईवी का निदान होने के बाद उन्हें मानसिक तौर पर सदमा लग सकता है, ऐसे में मरीज का खास ख्याल रखने की जरूरत होती है. भावनात्मक रूप से भी उन्हें स्वस्थ रहने के लिए दोस्तों और परिवार वालों से बात करते रहना चाहिए. अकेलापन होने से वे डिप्रेशन यानी अवसाद का शिकार हो सकते हैं.

खानपान का रखें ध्यान

ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करें, जो आपको स्वस्थ रखने में मदद करें. दिन में दो या तीन बार खाने की बजाए, थोड़ी-थोड़ी देर में लेकिन कम मात्रा में खाएं.

साफ-सफाई का ध्यान रखें

एचआईवी पीड़ितों में रोग प्रतिरोध क्षमता कमजोर हो जाती है, यही वजह है कि उनमें संक्रमण का जोखिम बढ़ जाता है. ऐसे में स्वच्छता बनाए रखें. बार-बार हाथ धोएं और बीमार लोगों से दूरी बनाएं.

नियमित जांच जरूरी

एचआईवी का निदान होने के बाद डॉक्टर के पास नियमित रूप से चेकअप कराने जाएं. कोई भी दवा लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श लें, क्योंकि अपने आप किसी दवा के सेवन से साइड इफेक्ट का खतरा हो सकता है.

नशे से रहें दूर

एचआईवी पीड़ित की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है, ऐसे में किसी तरह का नशा उनके लिए खतरनाक हो सकता है. शराब या ड्रग्स लेने से उपचार में बाधा आ सकती है और व्यक्ति को चक्कर आने व बेहोशी की समस्या हो सकती है. इसके अलावा सिगरेट पीने वाले लोगों दिल का दौरा या स्ट्रोक का खतरा बना रहता है.

सेफ सेक्स

एचआईवी व्यक्ति सेक्स नहीं कर सकते, यह धारणा गलत पूरी तरह से गलत है. ऐसे लोगों को सेक्स करते समय कंडोम का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए. इससे आपके साथी को संक्रमण का खतरा नहीं होगा. एचआईवी का निदान होने पर यौन संचारित रोगों के लिए अपनी जांच जरूर कराएं.

Source myUpchar.com

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Jammu Kashmir: नए नियमों से हर देशवासी को जमीन खरीदने की आजादी,

सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुसार, जम्मूकश्मीर के 12 कानूनों को संपूर्ण रूप से निरस्त कर दिया गया है। उमर अब्दुल्ला ने केंद्र की ओर से जम्मूकश्मीर के लिए अधिसूचित नए भूमि कानूनों कोछलऔरविश्वास का हननकरार दिया।

जम्मू. पिछले साल जम्मूकश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद मंगलवार को सरकार ने एकबार फिर बड़ा फैसला लिया। केंद्र सरकार ने कानून संशोधन करते हुए अब राज्य में आम भारतीयों को भी जमीन खरीदने की अनुमति दे दी। सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन के अनुसार, जम्मूकश्मीर में अब जमीन खरीदन के लिए स्थानीय प्रमाणपत्र की कोई जरूरत नहीं होगी। हालांकि सरकार द्वारा जारी किए गए निर्देश के मुताबिक, अब केंद्र शासित प्रदेश में कोई भी व्यक्ति जमीन खरीद सकता है और वहां बस सकता है। हालांकि, अभी खेती की जमीन को लेकर रोक जारी रहेगी। सरकार ने इसे तुरंत प्रभाव से लागू करने की घोषणा की है।

सरकार द्वारा जम्मूकश्मीर के कानून में किए गए इस बदलाव का कई सियासी दल विरोध कर रहे हैं। उमर अब्दुल्ला ने केंद्र की ओर से जम्मूकश्मीर के लिए अधिसूचित नए भूमि कानूनों कोछलऔरविश्वास का हननकरार दिया। सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुसार, जम्मूकश्मीर के 12 कानूनों को संपूर्ण रूप से निरस्त कर दिया गया है। जिन कानूनों को पूरे तौर पर निरस्त किया जा रहा है, उनमें जम्मूकश्मीर एलियेनेशन ऑफ लैंड एक्ट, जम्मू और कश्मीर बिग लैंडेड इस्टेट्स एबोलिशन एक्ट, जम्मू एंड कश्मीर कॉमन लैंड्स (रेगूलेशन) एक्ट, 1956, जम्मू एवं कश्मीर कंसोलिडेशन ऑफ होलडिंग्स एक्ट, 1962 आदि शामिल है।

जम्मूकश्मीर में भूमि खरीदने को लेकर पहले अलग व्यवस्था थी। यहां सिर्फ वही लोग भूमि खरीद पाते थे जिनके पास राज्य का मूल निवास प्रमाण पत्र हो। इस कानून के तहत देश के अन्य राज्यों के लोग जम्मूकश्मीर में भूमि नहीं खरीद पाते थे। हालांकि मकान, दुकान या कारोबार के लिए पट्टा व्यवस्था यहां लागू थी।

क्या कहते हैं नए नियम

सरकार द्वारा लागू किए गए नए कानून के अनुसार, अब जम्मूकस्मीर में देश के किसी भई हिस्से का नागरिक मकान, दुकान और कारोबार के लिए जमीन खरीद सकता है। अब इस जम्मूकश्मीर में जमीन खरीदने के लिए मूल निवास प्रमाण होना जरूरी नहीं हैं। हालांकि सरकार ने खेती की जमीन की बाहरी व्यक्ति को बिक्री पर रोक जारी रखी है।  लेकिन खेती वाली जमीन किसी गैरखेतीहर को ट्रांसफर की जास सकेगी। इस जमीन का उपयोग कुछ गैरकृषि कार्यों में किया जा सकेगा, जिनमें एजुकेशन संस्थान, हेल्थ केयर सेंटर बनाना शामिल है। नए नियमों के अनुसार, खेती वाली भूमि की बिक्री किसी भी ऐसे व्यक्ति को नहीं हो सकेगी जो किसान नहीं है, जबतक सरकार की अनुमति होगी।

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