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तुर्की, यूनानी द्वीप में भूकंप: मरने वालों की संख्या बढ़कर 26 हुई

(डिसक्लेमर:यह आर्टिकल एजेंसी फीड से ऑटोअपलोड हुआ है)

इजमिर (तुर्की), 31 अक्टूबर (एपी) तुर्की के तट और यूनान के सामोस द्वीप के बीच इजियन सागर में आए शक्तिशाली भूकंप के कारण मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर कम से कम 26 हो गई है और 800 से अधिक लोग घायल हुए हैं। शुक्रवार दोपहर को आए भूकंप के कारण तुर्की के तीसरे सबसे बड़े शहर इजमिर में इमारतें ढह गईं और इजमिर जिले के सेफेरिहिसार एवं सामोस में छोटी सुनामी भी आई। इसके बाद भी भूकंप बाद के सैकड़ों झटके आए। बचाव दल भूकंप में जीवित बचे लोगों की तलाश कर रहे हैं। तुर्की के आपदा एवं आपातकालीन प्रबंधन विभाग ने बताया कि इजमिर में कम से कम 24 लोगों की मौत हो गई, जिनमें से एक बुजुर्ग महिला की मौत डूबने के कारण हुई। स्वास्थ्य प्राधिकारियों ने बताया कि सामोस में एक दीवार ढहने के कारण फंसी दो किशोरियों की मौत हो गई। द्वीप में कम से कम 19 लोग घायल हुए हैं। भूकंप में 800 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। विभाग ने बताया कि भूकंप का केन्द्र एजियन सागर में 16.5 किलोमीटर नीचे था। भूकंप की तीव्रता 6.6 दर्ज की गई। यूरोपीय- मूध्यसागर भूकंप विज्ञान केन्द्र ने कहा कि शुरुआत में भूकंप की तीव्रता 6.9 थी और इसका केन्द्र यूनान के उत्तर-उत्तरपूर्व में सामोस द्वीप में था। प्राधिकारियों ने इजमिर निवासियों को सचेत किया है कि वे क्षतिग्रस्त इमारतों में अभी नहीं लौटें, क्योंकि भूकंप बाद से झटकों के कारण ये इमारतें ढह सकती हैं। इजमिर में 3,000 से अधिक राहत कर्मियों और राहत सामग्री को भेजा गया है। यूनान और तुर्की के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बीच दोनों देशों के अधिकारियों ने इस मुश्किल समय में एकजुटता दिखाते हुए संदेश जारी किए तथा यूनान और तुर्की के राष्ट्रपतियों ने फोन पर बातचीत की। एपी सिम्मी शाहिदशाहिद

Armenia-Azarbejan War : 5 दिन में ‘कब्‍जा’ करना चाहता था अजरबैजान, आर्मीनिया के पलटवार से पस्‍त

येरेवान

नगोर्नो-काराबाख पर कब्‍जे के लिए अजरबैजान ने तुर्की के साथ मिलकर एक बड़ी रणनीति बनाई थी। अजरबैजान को उम्‍मीद थी कि वह तुर्की और इजरायली हथियारों के बल पर अचानक से हमला करके 5 दिन में नगोर्नो-काराबाख के बड़े इलाके पर कब्‍जा कर लेगा। हालांकि ऐसा हुआ नहीं और आर्मीनिया की सेना ने इतना तगड़ा पलटवार किया कि यह युद्ध अब दूसरे महीने में प्रवेश कर गया है। यही नहीं इस जंग में अजरबैजान सरकार को उसके अनुमान से ज्‍यादा सैनिकों और पैसे का नुकसान उठाना पड़ा है।

काकेकश इलाके में तैनात एक पश्चिमी सैन्‍य अधिकारी ने एशिया टाइम्‍स से बातचीत में कहा, ‘सभी संकेत बताते हैं कि अजरबैजान की असली योजना अचानक से भीषण हमला करके 3 से 5 दिन तक युद्ध लड़ने की थी ताकि आर्मीनिया को सेना को पीछे ढकेला जा सके।’ इस आक्रामक सैन्‍य कार्रवाई की शुरुआत 27 सितंबर को हुई थी और अब यह दूसरे महीने में प्रवेश कर गई है। यही नहीं रूसी राष्‍ट्रपति के मुताबिक इस लड़ाई में अब तक 5 हजार लोग मारे गए हैं।

अजरबैजान के 5 दिन तक युद्ध लड़ने के समयसीमा की पुष्टि मास्‍को में तैनात एक यूरोपीय सैन्‍य अधिकारी ने भी की। उन्‍होंने कहा कि तुर्की ने आर्मीनिया से लड़ने के लिए 1 हजार सीरियाई आतंकवादियों की भर्ती की थी। इन आतंकवादियों को अचानक से हमला करना था और उन्‍हें उन जगहों पर तैनात किया गया था जहां पर कराबाख की सेना कमजोर थी। सैन्‍य अधिकारी ने कहा कि अजरबैजान ने आर्मीनिया की सेना को बहुत कम आंका जिसके पास पहाड़ों पर लड़ने का भौगोलिक फायदा था।

अजरबैजान ने यह आक्रामक सैन्‍य कार्रवाई ऐसे समय पर की जब अमेरिका में राष्‍ट्रपति चुनाव प्रचार चल रहा था। अजरबैजान को उम्‍मीद थी कि आर्मीनिया के पास जब तक अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर सहायता आएगी तब‍ तक वह अपने मंसूबों में कामयाब हो चुका होगा। उसने यह भी सोचा था एक बार उसका नगोर्नो-काराबाख के जिन इलाकों पर कब्‍जा हो जाएगा, वहीं पर वह संघर्ष विराम कर लेगा। इससे कब्‍जा की हुई जमीन उसके हिस्‍से में आ जाएगी।

इस युद्ध में रूस ने भी उदासीन रवैया अपनाया। अजरबैजान को लगा कि वह इजरायल और तुर्की के घातक हथियारों के बल पर नगोर्नो-काराबाख के काफी इलाके पर कब्‍जा कर लेगा। हालांकि उसे आर्मीनिया की सेना के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। अजरबैजान ने अपना सारा जोर पिछले कुछ दिनों में शुशी शहर पर लगाया है जिसे प्रतीकात्‍मक रूप से बेहद अहम माना जाता है। आर्मीनिया की सेना के पलटवार का असर यह रहा कि अब दोनों ही देशों के विदेश मंत्री सीजफायर पर बात कर रहे हैं।

अमेरिका में COVID-19 महामारी की शुरुआत के बाद से अब तक की सबसे बड़ी दैनिक वृद्धि दर्ज, एक दिन में 90 हजार से ज्यादा मामले।

न्यूयॉर्क: अमेरिका ने COVID-19 महामारी की शुरुआत के बाद से अब तक की सबसे बड़ी दैनिक वृद्धि दर्ज की है। यहां एक दिन में 90 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, देश में मामलों की संख्या 80 लाख से 90 लाख होने में यानि कि 10 लाख नए मामले सामने आने में केवल 14 दिन का समय लगा है।

इन दिनों अमेरिका में मामलों और मौतों की संख्या आसमान छू रही है। यूएस सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक यहां गुरुवार को 90,155 नए मामले और 1,055 मौतें दर्ज हुईं। इस हफ्ते में 4 बार COVID-19 मामलों की संख्या 80 हजार से अधिक रही। गुरुवार को यहां के 9 राज्यों इलिनोइस, इंडियाना, मेन, मिशिगन, मिनेसोटा, न्यू मेक्सिको, नॉर्थ कैरोलाइना, नॉर्थ डकोटा और ओहायो में अब तक की सर्वाधिक दैनिक वृद्धि दर्ज की गई।

COVID-19 ट्रैकिंग प्रोजेक्ट के मुताबिक, अमेरिका में इस हफ्ते 5 लाख से ज्यादा संक्रमणों के रिकॉर्ड होने की जानकारी दी। वहीं देश में कोविड रोगियों के अस्पताल में भर्ती होने की संख्या इस महीने की शुरूआत की औसत संख्या 30 हजार से बढ़कर 43 हजार रही।

‘यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन’ के पूर्व कमिश्नर स्कॉट गॉटलिब ने गुरुवार को एक साक्षात्कार के दौरान कहा, “इस COVID-19 महामारी के सबसे कठिन दिन अगले दो महीने हैं। हम हमारे सुरक्षा उपायों को नहीं छोड़ सकते हैं।” इतना ही नहीं उन्होंने चेतावनी दी है कि अमेरिका अगले कुछ हफ्तों में या शायद इसी हफ्ते से रोजाना 1 लाख मामलों की संख्या को पार करेगा।

Supreme Court Judgement: सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसला में बच्चे का अधिकार सर्वोपरि रखते हुए मां को दी कस्टडी

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सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई में अपने विशेषाधिकार का प्रयोग किया और अनुच्चेद-142 का इस्तेमाल करते हुए कहा कि बच्चे का हित सर्वोपरि है। दरअसल एक मामले में बच्चे के पिता बेंगलूर में रहते हैं और मां सिंगापुर में नौकरी करती हैं। सुप्रीम कोर्ट को तय करना था कि बच्चे की कस्टडी बेंगलूर में पिता के पास रहे या फिर उसे सिंगापुर में मां की कस्टडी में दिया जाए? सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को तय करने के लिए उसे सिंगापुर में मां की कस्टडी में भेजने को कहा लेकिन साथ ही कहा कि पिता अपने बच्चे से विडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बात करेंगे और उन्हें विजिटिंग अधिकार भी दिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ता महिला से कहा कि वह कोर्ट में अंडरटेकिंग दें कि वह कोर्ट द्वारा तय शर्त का पालन करेंगी।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि विडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिये बच्चे ने संकेत दिया कि वह अपनी मां के साथ सिंगापुर में रहना चाहता है लेकिन साथ ही वह अपने पिता से भी अटैच है। याचिकाकर्ता महिला सिंगापुर में रहती हैं और वहां कंपनी में काम करती हैं। इस मामले में बच्चे की उम्र 7 साल है और बच्चे का हित सर्वोपरि है।

‘बच्चे के पिता का विजिटिंग राइट्स भी जरूरी’

सुप्रीम कोर्ट इसे देखते हुए अनुच्छेद-142 का इस्तेमाल करती है और केस की पेंडेंसी के दौरान बच्चे के हित और बेहतरी को देख रही है। बताया गया है कि कोविड 19 से सिंगापुर फ्री हो चुका है और वह वहां क्लास अटैंड और ऑनलाइन पढ़ाई कर सकेगा। इस मामले में संतुलन कायम रखना होगा और बच्चे के पिता का विजिटिंग राइट्स भी जरूरी है। मामले में पैरेंट्स के बीच के टकराव की स्थिति में बच्चे के मन में सुरक्षा की भावना रहे इसके लिए संतुलन जरूरी है और बच्चे के हित को सर्वोपरि सुनिश्चित करना अनिवार्य है ताकि दोनों पैरेंट्स की उपस्थिति में बच्चे का विकास हो सके। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारा मत है कि बच्चे को सिंगापुर ले जाने की इजाजत है जहां उसकी मां रहती हैं और नौकरी करती हैं।

मां के साथ रहेगा बच्चा

सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा कि हम हाई कोर्ट के उस आदेश को खारिज करते हैं जिसमें हाई कोर्ट ने बच्चे की मां को बेंगलूर से बाहर बच्चे को ले जाने की इजाजत नहीं दी थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि बच्चे की मां को इजाजत है कि वह बच्चे को सिंगापुर ले जा सकती है जहां वह रहती हैं। बच्चे की मां (याचिकाकर्ता) बच्चे का वहां के स्कूल में दाखिला कराएंगी और बच्चे को ले जाने का इंतजाम करेंगी। बच्चे के पिता 48 घंटे के दौरान बच्चे के पासपोर्ट याचिकाकर्ता को सौंपेंगे।

पिता को विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बात करने की मिली इजाजत

बच्चे के पिता को इजाजत होगी कि वह विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये शनिवार और रविवार को अपने बच्चे के एक घंटे बात कर सकेंगे और बाकी के पांच दिन पांच से 10 मिनट बात करेंगे। जब वह छुट्टी में सिंगापुर जाएंगे तो आधी छुट्टी के दौरान 10 बजे सुबह से शाम छह बजे तक बच्चे से मिल सकेंगे। बच्चे को उसकी मां साल में दो बार बेंगलूर लेकर आएंगी और इस दौरान पिता को मिलने की इजाजत होगी। साथ ही गर्मी की छुट्टियों में अगले साल 2021 में जब बच्चे को लेकर उसकी मां बेंगलूर लेकर आएंगी तो पिता उस दौरान उससे मिल सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने इन शर्तों के बारे में याचिकाकर्ता महिला को अंडरटेकिंग देने को कहा। अदालत ने कहा कि जब तक केस पेंडिंग है तब तक ये आदेश प्रभावी रहेगा।

बच्चे की कस्टडी के लिए शुरू हुई लड़ाई

पेश मामले में याचिकाकर्ता महिला की शादी 2009 में हुई थी। पति बेंगलूर में रहते हैं। 2013 में बच्चे का जन्म हुआ। बाद में पति-पत्नी के बीच वैवाहिक विवाद हुआ और इसके बाद दोनों 2016 से अलग रहने लगे। इसी बीच पत्नी ने बेंगलूर की अदालत में तलाक की अर्जी दाखिल की और वह पेंडिंग है। साथ ही उन्होंने डीवी एक्ट के तहत भी केस दायर किया जो पेंडिंग है। 2017 से वह सिंगापुर में नौकरी कर रही है। जुलाई 2017 में महिला ने बच्चे का पासपोर्ट मांगा और इसके लिए अर्जी दाखिल की। पति ने इसका विरोध किया। साथ ही बच्चे की कस्टडी को लेकर दोनों में कानूनी लड़ाई शुरू हुई।

महिला ने खटखटाया था सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा

बेंगलूर की फैमिली कोर्ट ने 4 जनवरी 2018 को पासपोर्ट की मांग वाली महिला की अर्जी खारिज कर दी और पति की उस अर्जी को स्वीकार कर लिया जिसमें कहा गया था कि महिला बेंगलूर से बाहर बच्चे को न ले जाएं। यानी बेंगलूर से बाहर बच्चे को ले जाने पर कोर्ट ने मनाही कर दी। महिला ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी और बेंगलूर से बाहर बच्चे को ले जाने पर रोक के फैसले को बरकरार रखा। फिर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।

Narendra Modi: एकता के नए पैमाने गढ़ रहा है भारत

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने शनिवार को राष्ट्रीय एकता दिवस के मौके पर कहा कि देश अब एकता के नए पैमाने गढ़ रहा है। पीएम ने सरदार पटेल (Sardar Patel) के संकल्पों को दोहराते हुए जम्मू-कश्मीर के नए विकास पथ के साथ ही पूर्वोत्तर भारत में शांति बहाली का जिक्र किया।

देश के पहले गृह मंत्री सरदार बल्‍लभ भाई पटेल की 145वीं जयंती पर ‘स्‍टैच्यू ऑफ यूनिटी’ पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा, ‘आज, जम्मू-कश्मीर विकास के नए पथ पर है। अब चाहे पूर्वोत्तर भारत में शांति बहाली की प्रक्रिया हो या फिर वहां विकास के लिए उठाए जा रहे कदम। देश एकता के नए पैमाने तय कर रहा है।’

सरदार पटेल को याद करते हुए पीएम ने कहा, ‘उन्होंने देश की विभिन्नता के जरिए भारत को वर्तमान स्वरूप दिया। आजादी के बाद कई देसी राज्यों का विलय कर स्वतंत्र और सशक्त भारत की बुनियाद रखी। आज पूरा देश लौह पुरुष को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है। आज एक बार फिर से पूरा देश सरदार पटेल के बतलाए रास्ते पर देश की तरक्की की प्रतिज्ञा को दोहरा रहा है।’देश की विविधता को उसकी ताकत और अस्तित्व बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश एकजुट है तो असाधारण हैं, लेकिन भारत की ये एकता और ये ताकत दूसरों को खटकती भी रहती है। उन्होंने देशवासियों से अपील करते हुए कहा,‘हमारी इस विविधता को ही कुछ लोग हमारी कमजोरी बनाना चाहते हैं। ऐसी ताकतों को पहचानना जरूरी है, सतर्क रहने की जरूरत है।’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद का समर्थन करने वाले लोगों को आड़े हाथों लिया है। प्रधानमंत्री ने सीधे तौर पर फ्रांस की घटनाओं का जिक्र तो नहीं किया मगर कहा कि ‘जिस तरह कुछ लोग आतंकवाद के समर्थन में खुलकर सामने आ गए हैं, वो आज वैश्विक चिंता का विषय है।’ उन्‍होंने कहा कि दुनिया के ‘सभी देशों की सरकारों को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की बहुत ज्यादा जरूरत है।’ पीएम मोदी ने कहा कि ‘आतंकवाद-हिंसा से कभी भी, किसी का कल्याण नहीं हो सकता।’

पुलवामा हमले का जिक्र करते हुए पीएम ने विपक्षियों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जब हमारे देश के जवान शहीद हुए थे उस वक्त भी कुछ लोग राजनीति में लगे हुए थे। चीन का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा, ‘आत्मनिर्भर देश ही अपनी प्रगति के साथ साथ अपनी सुरक्षा के लिए भी आश्वस्त रह सकता है। इसलिए, आज देश रक्षा के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बनने की ओर बढ़ रहा है। आज भारत की भूमि पर नज़र गड़ाने वालों को मुंहतोड़ जवाब मिल रहा है।’

Mumbai: लवीना लोध के आरोपों को महेश-मुकेश भट्ट ने बताया झूठा, किया बड़ा खुलासा

मुंबई. फिल्म निर्माता महेश भट्ट (Mahesh Bhatt) और उनके भाई मुकेश भट्ट (Mukesh Bhatt) ने एक्ट्रेस लवीना लोध (Luviena Lodh) द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को गलत बताया है. दोनों भाईयों ने एक्ट्रेस के खिलाफ एक करोड़ रुपए का मानहानि केस दर्ज कराने के बाद एक स्टेटमेंट जारी किया है, जिसमें लवीना लोध को लेकर कुछ चौकाने वाले खुलासे किए हैं. उन्होंने लवीना के सभी आरोपों को गलत बताया है साथ ही ये कहा है कि लवीना का ये दावा झूठा है कि वह हमारी बहू हैं.

भट्ट परिवार का कहना है कि लवीना लोध ने उनके फ्लैट पर कब्जा कर रखा है और उसे खाली करवाने की कार्रवाई करने के बाद लवीना ने यह कदम उठाया है. महेश भट्ट (Mahesh Bhatt) और उनके भाई मुकेश भट्ट (Mukesh Bhatt) द्वारा जो स्टेटमेंट जारी किया गया है, उसमें कहा गया है कि मि. लोध और उनके पति सुमित सबरवाल के बीच साल 2016 से वैवाहिक विवाद चल रहा है और सुमित हमारी कंपनी विशेष फिल्म्स में काम करता है. हाल ही में उनके खिलाफ एक फ्लैट को खाली करने के लिए कार्रवाई की गई थी, जिस पर उन्होंने (लवीना) कब्जा कर रखा है. इस कार्रवाई के बाद ही एक रणनीति के तहत एक्ट्रेस ने हमारे खिलाफ और हमारे परिवार के सदस्यों को व्यक्तिगत रुप से निशाना बनाया है.

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