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PM मोदी की ‘मन की बात’ की 10 बड़ी बातें

PM मोदी की ‘मन की बात’ की 10 बड़ी बातें

प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात के जरिए देश को किया संबोधित फोटो (indianexpress)

नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने रविवार (25 अक्टूबर) को ‘मन की बात’ (Mann Ki Baat) कार्यक्रम के जरिये देश को संबोधित किया. कोरोना संकट के बीच आगामी त्योहारी सीजन को ध्यान में रखते हुए पीएम मोदी ने लोगों को संयम बरतने की सलाह दी है. प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात कार्यक्रम की शुरुआत में दशहरा की शुभकामनाएं दीं. उन्होंने कहा कि दशहरे का ये पर्व, असत्य पर सत्य की जीत का पर्व है, लेकिन साथ ही ये एक तरह से संकटों पर धैर्य की जीत का पर्व भी है. कोरोना संकट के बीच उन्होंने कहा कि पहले, दशहरे पर बड़े-बड़े मेले लगते थे, लेकिन इस बार उनका स्वरुप अलग है. “रामलीला का त्योहार भी, उसका बहुत बड़ा आकर्षण था, लेकिन उसमें भी कुछ-न-कुछ पाबंदियां लगी हैं. पहले, नवरात्र पर, गुजरात के गरबा की गूंज हर तरफ़ छाई रहती थी, इस बार, बड़े-बड़े आयोजन सब बंद हैं.”

‘मन की बात’ कार्यक्रम की अहम बातें

  1. प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मन की बात में कहा कि कोरोना के इस संकट काल में, हमें संयम से ही काम लेना है, मर्यादा में ही रहना है. आगे, और भी कई पर्व आने वाले हैं. अभी ईद है, शरद पूर्णिमा, वाल्मीकि जयंती, धनतेरस, दिवाली, भाई दूज, छठी मैया की पूजा है. गुरुनानक देव जी की जयंती है.

  2. जब हम त्योहार की बात करते हैं, तैयारी करते हैं, तो, सबसे पहले मन में यही आता है, कि बाजार कब जाना है? क्या-क्या खरीदारी करनी है?” ख़ासकर, बच्चों में तो इसका विशेष उत्साह रहता है – इस बार, त्योहार पर, नया, क्या मिलने वाला है?”

  3. पीएम मोदी ने कहा कि त्योहारों की ये उमंग और बाजार की चमक, एक-दूसरे से जुड़ी हुई है, लेकिन इस बार जब आप खरीदारी करने जायें तो ‘Vocal for Local’ का अपना संकल्प अवश्य याद रखें. बाजार से सामान खरीदते समय, हमें स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देनी है. त्योहारों के इस हर्षोल्लास के बीच में लॉकडाउन के समय को भी याद करना चाहिए.

  4. लॉकडाउन (Lockdown) में हमने, समाज के उन साथियों को और करीब से जाना है, जिनके बिना, हमारा जीवन बहुत ही मुश्किल हो जाता – सफाई कर्मचारी, घर में काम करने वाले भाई-बहन, स्थानीय सब्जी वाले, दूध वाले, सिक्योरिटी गार्ड.” हमें अपने “Daily Life Heroes” को भूलना नहीं है. अब, अपने पर्वों में, अपनी खुशियों में भी, हमें इनको साथ रखना है. मेरा आग्रह है कि, जैसे भी संभव हो, इन्हें अपनी खुशियों में जरुर शामिल करिये.

  5. आज जब हम Local के लिए Vocal हो रहे हैं, तो दुनिया भी हमारे स्थानीय उत्पादों की फैन हो रही है. हमारे कई स्थानीय उत्पादों में वैश्विक होने की बहुत बड़ी शक्ति है. जैसे एक उदाहरण है – खादी का. लम्बे समय तक खादी, सादगी की पहचान रही है, लेकिन, हमारी खादी आज, पर्यावरण अनुकूल फेबरिक के रूप में जानी जा रही है.

  6. “साथियो, हमें अपने उन जाबाज़ सैनिकों को भी याद रखना है, जो, इन त्योहारों में भी सीमाओं पर डटे हैं. भारत-माता की सेवा और सुरक्षा कर रहें हैं. हमें उनको याद करके ही अपने त्योहार मनाने हैं. हमें घर में एक दीया, भारत माता के इन वीर बेटे-बेटियों के सम्मान में भी जलाना है. मैं, अपने वीर जवानों से भी कहना चाहता हूं कि आप भले ही सीमा पर हैं, लेकिन पूरा देश आपके साथ हैं, आपके लिए कामना कर रहा है.” मैं उन परिवारों के त्याग को भी नमन करता हूं, जिनके बेटे-बेटियाँ आज सरहद पर हैं.

  7. देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि “31 अक्टूबर को भारत की पूर्व-प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी को हमने खो दिया. मैं आदरपूर्वक उनको श्रद्धांजलि देता हूं.”

  8. प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें निरंतर अपनी रचनात्मकता से, प्रेम से, हर पल प्रयासपूर्वक अपने छोटे से छोटे कामों में, ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के खूबसूरत रंगों को सामने लाना है. एकता के नए रंग भरने हैं. मैं, आप सबसे, एक वेबसाइट देखने का आग्रह करता हूं – http://ekbharat.gov.in .इसमें, राष्ट्रीय एकीकरण की हमारी मुहिम को आगे बढ़ाने के कई प्रयास दिखाई देंगे.

  9. दिल्ली के कनॉट प्लेस के खादी स्टोर में इस बार गांधी जयंती पर एक ही दिन में एक करोड़ रुपये से ज्यादा की खरीदारी हुई. इसी तरह कोरोना के समय में खादी के मास्क भी बहुत लोकप्रिय हो रहे हैं. यूपी के बाराबंकी की एक महिला सुमन देवी ने self help group की अपनी साथी महिलाओं के साथ मिलकर खादी मास्क बनाना शुरू किया. धीरे-धीरे उनके साथ अन्य महिलाएँ भी जुड़ती चली गई, अब वे सभी मिलकर हजारों खादी मास्क बना रही हैं.

  10.  प्रधानमंत्री ने कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की जन्म जयंती, 31 अक्टूबर को है. हम सब, ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के तौर पर मनाएंगे. बहुत कम लोग मिलेंगे जिनके व्यक्तित्व में एक साथ कई सारे तत्व मौजूद हों- वैचारिक गहराई, नैतिक साहस, राजनैतिक विलक्षणता, कृषि क्षेत्र का गहरा ज्ञान और राष्ट्रीय एकता के प्रति समर्पण भाव. उन्होंने कहा, “जरा उस लौह-पुरुष की छवि की कल्पना कीजिये जो राजे-रजवाड़ों से बात कर रहे थे, पूज्य बापू के जन-आंदोलन का प्रबंधन कर रहे थे, साथ ही, अंग्रेजों से लड़ाई  भी लड़ रहे थे, और इन सब के बीच भी, उनका sense of humour पूरे रंग में होता था.”

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