सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी जिसमें Sambhal की शाही जामा मस्जिद समिति को सफेदी का खर्च वहन करने का निर्देश दिया गया था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने शाही जामा मस्जिद के बाहरी हिस्से की सफेदी का काम करवाया था और मस्जिद समिति को इस काम का खर्च वहन करने के लिए कहा गया था। मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट में गया और कोर्ट ने एएसआई के पक्ष में फैसला सुनाया।
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यह मामला तब चर्चा में आया जब कुछ संगठनों और व्यक्तियों ने मस्जिद की सफेदी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था, उनका कहना था कि ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण इस धार्मिक स्थल का बाहरी स्वरूप बदलना उचित नहीं है। उन्होंने सफेदी को एक धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से देखा था और यह तर्क दिया था कि इसे संरक्षित किया जाना चाहिए, ताकि इसके ऐतिहासिक मूल्य में कोई कमी न आए।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कहा कि मस्जिद समिति को ही इस कार्य को अंजाम देने का अधिकार और जिम्मेदारी है। अदालत ने मस्जिद के प्रबंधन में हस्तक्षेप करने की आवश्यकता को नकारते हुए यह भी कहा कि यह विवाद स्थानीय स्तर पर सुलझाया जा सकता है।
Sambhal हिंसा
Sambhal शाही जामा मस्जिद की सफेदी का निर्देश मस्जिद के इतिहास पर कानूनी विवाद के बीच दिया गया था, एक याचिका के बाद जिसमें दावा किया गया था कि मस्जिद एक प्राचीन हिंदू मंदिर पर बनाई गई थी। पिछले साल 24 नवंबर को उत्तर प्रदेश के संभल में बड़े दंगे भड़क उठे थे, जब अदालत ने मस्जिद का एएसआई सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था। अदालत के आदेश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान दंगे भड़के। हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई और पुलिस कर्मियों सहित कई लोग घायल हो गए।
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12 मार्च को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एएसआई को एक सप्ताह के भीतर मस्जिद की बाहरी दीवारों की सफेदी पूरी करने का निर्देश दिया, साथ ही एएसआई की सर्वेक्षण रिपोर्ट के बारे में शाही जामा मस्जिद प्रबंधन समिति द्वारा उठाई गई आपत्तियों की भी समीक्षा की।
एएसआई सर्वेक्षण रिपोर्ट के खिलाफ शाही जामा मस्जिद प्रबंधन समिति द्वारा उठाई गई आपत्तियों पर सुनवाई करते हुए, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 12 मार्च को एएसआई को एक सप्ताह के भीतर मस्जिद की बाहरी दीवार की सफेदी करने और उसे पूरा करने का निर्देश दिया था। मस्जिद समिति ने विवादित ढांचे के बाहर सफेदी, अतिरिक्त रोशनी और सजावटी लाइट लगाने की भी अनुमति मांगी थी।
न्यायालय के आदेश के बाद, एएसआई की टीमों ने 13 मार्च को माप और आकलन किया, जिसके बाद जीर्णोद्धार कार्य चल रहा था और कुछ दिन पहले यह काम पूरा हो गया।
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