Shardiya Navratri 2024: भारत में कई त्योहार मनाए जाते हैं और हर त्योहार की एक महान ऐतिहासिक पृष्ठभूमि होती है। नवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण और प्रतीक्षित हिंदू त्योहारों में से एक है। देवी माँ दुर्गा को समर्पित नौ दिवसीय त्योहार। नवरात्रि का अर्थ है ‘नौ विशेष रातें’, इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान शक्ति/देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। और ‘रात्रि’ शब्द सिद्धि का प्रतीक है। दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है। साल में चार बार नवरात्रि आती है। पौष, चैत्र, आषाढ़, आश्विन प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है।
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Shardiya Navratri के पीछे की कहानी
लंका युद्ध में ब्रह्माजी ने रावण का वध करने और देवी को प्रसन्न करने के लिए श्रीराम से चंडी देवी की पूजा करने को कहा और विधि के अनुसार चंडी पूजन और हवन के लिए 108 दुर्लभ फलियों का भी प्रावधान किया। दूसरी ओर, रावण ने अमरत्व प्राप्त करने के लिए चंडी पाठ शुरू किया। इंद्र देव ने पवन देव के माध्यम से यह बात श्रीराम तक पहुंचाई और परामर्श दिया कि चंडी पाठ यथासंभव पूर्ण कराया जाए।
इधर रावण की मायावी शक्ति से पूजा स्थल से नीलकमल गायब हो गया, जिससे श्री राम की पूजा में विघ्न आ जाता। श्री राम का संकल्प टूट गया। डर था कि कहीं देवी-मां नाराज न हो जाएं।
दुर्लभ नीलकमल की व्यवस्था असंभव थी, तभी श्रीराम को याद आया कि उन्हें कमल-नयन नौकावंग लोचन भी कहा जाता है। तो क्यों न अपनी एक आंख मां की पूजा में समर्पित कर दी जाए और जब भगवान राम बाण लेकर अपनी एक आंख निकालने को तैयार हुए तो देवी प्रकट हो गईं और उनका हाथ पकड़कर कहने लगीं, ”मैं प्रसन्न हूं और विजयश्री का आशीर्वाद दिया।’’
वहीं रावण के चंडी पाठ में यज्ञ कर रहे ब्राह्मणों की सेवा में ब्राह्मण बालक का रूप धर कर हनुमानजी सेवा में जुट गए। निःस्वार्थ सेवा देखकर ब्राह्मणों ने हनुमानजी से वर माँगने को कहा। इस पर हनुमान ने विनम्रतापूर्वक कहा- प्रभु, आप प्रसन्न हैं तो जिस मंत्र से यज्ञ कर रहे हैं, उसका एक अक्षर मेरे कहने से बदल दीजिए। ब्राह्मण इस रहस्य को समझ नहीं सके और तथास्तु कह दिया। मंत्र में जयादेवी… भूर्तिहरिणी में ‘ह’ के स्थान पर ‘क’ उच्चारित करें, यही मेरी इच्छा है।
भूर्तिहरिणी यानी कि प्राणियों की पीड़ा हरने वाली और ‘करिणी’ का अर्थ हो गया प्राणियों को पीड़ित करने वाली, जिससे देवी रुष्ट हो गईं और रावण का सर्वनाश करवा दिया। हनुमानजी महाराज ने श्लोक में ‘ह’ की जगह ‘क’ करवाकर रावण के यज्ञ की दिशा ही बदल दी।
Shardiya Navratri के पीछे की दूसरी कहानी
Shardiya Navratri से जुड़ी एक अन्य किंवदंती के अनुसार, देवी दुर्गा ने भैंसे जैसे शैतान यानी महिषासुर का वध किया था। महिषासुर की पूजा से प्रसन्न होकर देवताओं ने उसे अजेय होने का वर दिया था।
उस आशीर्वाद को प्राप्त करने के बाद, महिषासुर ने उसका दुरुपयोग करना शुरू कर दिया और नरक को स्वर्ग के द्वार तक बढ़ा दिया। महिषासुर ने सूर्य, चंद्रमा, इंद्र, अग्नि, वायु, यम, वरुण और अन्य देवताओं का अधिकार छीन लिया और स्वर्ग का मालिक बन गया।
महिषासुर के भय से देवी-देवताओं को पृथ्वी पर विचरण करना पड़ा। तब महिषासुर के दुःख से क्रोधित होकर देवताओं ने दुर्गा की स्मृति की रचना की। महिषासुर का वध करने के लिए देवताओं ने अपने सभी अस्त्र-शस्त्र दुर्गा को समर्पित कर दिए थे, जिससे वे मजबूत हुईं। नौ दिनों तक उन्होंने महिषासुर से युद्ध किया और अंत में महिषासुर का वध कर दिया और माता दुर्गा महिषासुरमर्दिनी कहलाईं।
Shardiya Navratri पूजा कैसे करें
Shardiya Navratri पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाती है। नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाएगी। वसंत ऋतु की शुरुआत और शरद ऋतु की शुरुआत, जलवायु और सूर्य के प्रभाव का महत्वपूर्ण संगम माना जाता है। ये दो समय माँ दुर्गा की पूजा के लिए पवित्र अवसर माने जाते हैं। नौ दिनों को तीन-तीन दिनों के तीन सेटों में विभाजित किया गया है और प्रत्येक दिन देवी के तीन अलग-अलग गुणों की पूजा की जाती है।
Shardiya Navratri दिन 1 से 3 तक
Shardiya Navratri के पहले तीन दिन देवी दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित किए गए हैं। यह पूजा उनकी ऊर्जा और शक्ति के लिए की जाती है। हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूप को समर्पित है। त्योहार के पहले दिन बेटियों की पूजा की जाती है। दूसरे दिन स्त्री की पूजा की जाती है। तीसरे दिन जो स्त्री वयस्कता की अवस्था में पहुंच गई हो उसकी पूजा की जाती है। देवी की पूजा दुर्गा या काली के रूप में की जाती है, लाल कपड़े पहने और शेर पर सवार एक योद्धा देवी के रूप में।
Shardiya Navratri दिन 4 से 6
व्यक्ति सभी भौतिक सुख-सुविधाओं, आध्यात्मिक धन और समृद्धि को प्राप्त करने के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा करता है। धन और समृद्धि की देवी सोने के वस्त्र धारण करती हैं। नवरात्रि का चौथा, पाँचवाँ और छठा दिन समृद्धि और शांति की देवी – देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित है।
Shardiya Navratri दिन 7 से 9
Shardiya Navratri के आखिरी तीन दिनों में सातवें दिन कला और ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है और आठ दिनों में एक ‘यज्ञ’ किया जाता है।
Shardiya Navratri का 9वां दिन
नौवां दिन नवरात्रि उत्सव का आखिरी दिन होता है। इसे महानवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन कन्या की पूजा की जाती है।
Shardiya Navratri 2024 पूजा विधि एवं कलश स्थापना शुभ मुहूर्त
Shardiya Navratri 3 अक्टूबर 2024 से शुरू हो रही है और 11 अक्टूबर 2024 को समाप्त होगी। इसमें नौ दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा से हर कठिनाई दूर हो जाती है। इस साल नवरात्रि नौ दिन की नहीं बल्कि आठ दिन की है।
Shardiya Navratri पर कलश स्थापना के लिए शुभ मुहुर्त
3 अक्टूबर 2024 को सुबह 06:19 बजे से 07:35 मिनट तक कलश स्थापना के आधार पर घरों के लिए नवरात्रि का शुभ समय उपलब्ध रहेगा।
इस दौरान अधिरोपण करना उत्तम रहेगा। वसंत नवरात्रि में कई शुभ अवसर आते हैं। हिंदू नववर्ष की शुरुआत नवरात्रि के दिन से होती है। इस दिन रविवार है और साथ ही योग भी बन रहा है। इस दिन जो स्वामी होता है वही वर्ष का राजा होता है इसलिए इस वर्ष का राजा सूर्य है।
हिंदू धर्मग्रंथों में किसी भी पूजा से पहले गणेश जी की पूजा का प्रावधान बताया गया है। मां की पूजा में कलश से जुड़ी एक मान्यता के अनुसार कलश को भगवान शिव का प्रतिरूप माना जाता है। इसलिए सबसे पहले कलश की पूजा की जाती है। कलश स्थापना से पहले पूजा स्थल को गंगा जल से शुद्ध कर लेना चाहिए। पूजा के लिए सभी देवताओं को आमंत्रित किया जाता है।
मसूर की दाल, सुपारी, हल्दी, धान से कलश बनाया जाता है और पांच प्रकार के पत्तों से कलश को सजाया जाता है। इस कलश के नीचे रेत की वेदी बनाकर कलश स्थापित किया जाता है। जौ बोने की इस विधि से अन्नपूर्णा देवी की पूजा की जाती है। मां दुर्गा की प्रतिमा के मध्य में रोली, चावल, सिन्दूर, माला, फूल, चुनरी, साड़ी, आभूषण और सुहाग से मां की प्रतिमा बनानी चाहिए।
साथ ही माता को सुबह के समय फल और मिष्ठान्न तथा रात्रि के समय दूध का सेवन करना चाहिए और पूरे दिन हलवा पूर्ण का भोग लगाना चाहिए। इस दिन से ‘दुर्गा सप्तशती’ या ‘दुर्गा चालीसा’ का पाठ प्रारंभ किया जाता है। पूजा के समय अखंड दीपक जलाया जाता है, जो व्रत के पारण तक जलता रहना चाहिए।
कलश स्थापना, गणेश जी और मां दुर्गा की आरती के बाद नौ दिनों का व्रत शुरू किया जाता है। कलश स्थापना के दिन नवरात्रि की प्रथम देवी मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा की जाती है। इस दिन और शाम को सभी भक्त व्रत रखते हैं; मां दुर्गा का पाठ और भक्ति करके अपना व्रत खोलते हैं।
वैसे तो नवरात्रि के आरंभ से ही शुभ समय की शुरुआत हो जाती है इसलिए यदि कोई व्यक्ति शुभ समय में स्थापना नहीं कर पाता है तो वह पूरे दिन किसी भी समय कलश स्थापना कर सकता है, इससे कोई अनिष्ट नहीं होता है। नवरात्रि पूजन से घर में सुख-समृद्धि आती है।
दिन तारीख माँ का नाम
- नवरात्रि दिवस 1, प्रतिपदा 03 अक्टूबर 2024 शैलपुत्री
- नवरात्रि दिन 2, द्वितीया 04 अक्टूबर 2024 ब्रह्मचारिणी
- नवरात्रि दिन 3, तृतीया 05 अक्टूबर 2024 चंद्रघंटा
- नवरात्रि दिन 4, चतुर्थी 06 अक्टूबर 2024 कुष्मांडा
- नवरात्रि दिन 5, पंचमी 07 अक्टूबर 2024 स्कंदमाता
- नवरात्रि दिन 6, शेषी 08 अक्टूबर 2024 कात्यानी
- नवरात्रि दिन 7, सप्तमी 09 अक्टूबर 2024 कालरात्रि
- नवरात्रि दिन 8, अष्टमी 10 अक्टूबर 2024 महागौरी
- नवरात्रि दिन 9, नवमी 11 अक्टूबर 2024 सिद्धिदात्री
- विजय दशमी (दशहरा) 12 अक्टूबर 2024 दुर्गा विसर्जन
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