Rice Pangenome: रोगों और जलवायु झटकों से लड़ने वाली नई किस्मों की कुंजी

हाल ही में वैज्ञानिकों ने चावल का एक व्यापक Pangenome विकसित किया है, जिसमें 145 चावल की किस्मों—129 जंगली और 16 खेती योग्य—का जीनोम अनुक्रमित किया गया है। इस अध्ययन ने 3.87 बिलियन बेस पेयर की नई जीनोम अनुक्रमण की खोज की, जो पहले ज्ञात नहीं थी। इनमें से लगभग 20% जीन केवल जंगली चावल में पाए गए, जो रोग प्रतिरोध और पर्यावरणीय अनुकूलन से जुड़े हैं।
भारत में Biotechnology प्रौद्योगिकी की संभावनाएँ और भविष्य
इस पैन्जीनोम संसाधन के माध्यम से, वैज्ञानिक अब जलवायु-लचीले, उच्च उपज वाले और रोग-सहिष्णु चावल की किस्में विकसित कर सकते हैं। यह नवाचार विशेष रूप से भारत जैसे देशों के लिए महत्वपूर्ण है, जहां जलवायु परिवर्तन और बढ़ती जनसंख्या खाद्य सुरक्षा के लिए चुनौती पेश कर रही है।
वैज्ञानिकों ने एशियाई चावल का पहला ‘Pangenome’ बनाया

भारत ने इस दिशा में दो जीनोम-संपादित चावल की किस्में—’डीआरआर धान 100 (कमला)’ और ‘पूसा डीएसटी चावल 1’—विकसित की हैं। ये किस्में जल की कम खपत, उच्च उपज, और सूखा व लवणता सहिष्णुता जैसी विशेषताओं से युक्त हैं। इनका विकास भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और उसके संबद्ध संस्थानों द्वारा किया गया है।
इन प्रयासों से यह स्पष्ट है कि Rice Pangenome और जीनोम-संपादन तकनीकों के माध्यम से, हम आने वाले समय में जलवायु परिवर्तन और रोगों के प्रति अधिक लचीली चावल की किस्में विकसित कर सकते हैं, जो वैश्विक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायक होंगी।