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Newsnowसंस्कृतिVivah Panchami 2025: जानिए इस साल कब मनाया जायेगा

Vivah Panchami 2025: जानिए इस साल कब मनाया जायेगा

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, विवाह पंचमी न केवल भगवान राम और देवी सीता के दिव्य विवाह का दिन है, बल्कि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामायण के अवधी संस्करण के पूरा होने का भी प्रतीक है।

Vivah Panchami 2025: विवाह पंचमी मार्गशीर्ष (अगहन) महीने के शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन मनाई जाती है जो भगवान राम और देवी सीता की शादी की सालगिरह का प्रतीक है। यह दिन हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि धार्मिक अनुष्ठान करने और राम और सीता के दिव्य विवाह समारोह का पालन करने से वैवाहिक चुनौतियों को कम करने और विवाहित जीवन में सद्भाव लाने में मदद मिल सकती है।

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Vivah Panchami 2025 की तारीख:

Vivah Panchami 2025: Know when it will be celebrated

साल 2025 में Vivah Panchami गुरुवार, 27 नवंबर 2025 को मनाई जाएगी।

महत्त्व:

  • यह दिन भगवान राम और माता सीता के विवाह की पावन स्मृति को समर्पित है, जैसा कि रामायण में वर्णित है।
  • यह पर्व विशेष रूप से अयोध्या (उत्तर प्रदेश) और जनकपुर (नेपाल) में धूमधाम से मनाया जाता है, जो क्रमशः भगवान राम और माता सीता के जन्मस्थल हैं।
  • इस दिन भक्त भगवान राम और सीता के विवाह प्रसंग का मंचन (राम-सीता विवाह लीला) करते हैं, भजन-कीर्तन गाते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।

पर्व के मुख्य अनुष्ठान:

  1. रामायण पाठ: कई स्थानों पर रामचरितमानस का पाठ किया जाता है।
  2. विवाह लीला: भगवान राम और माता सीता के विवाह का भव्य आयोजन किया जाता है।
  3. पूजा और भजन: भगवान राम और माता सीता की पूजा की जाती है, और भक्त भजनों के माध्यम से अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।
  4. मंदिरों में सजावट: अयोध्या और जनकपुर सहित कई स्थानों पर मंदिरों को भव्य रूप से सजाया जाता है।

लोकप्रिय स्थल:

  • अयोध्या, उत्तर प्रदेश: यहां राम और सीता की पूजा बड़े स्तर पर की जाती है।
  • जनकपुर, नेपाल: यह पर्व यहां बेहद खास होता है क्योंकि यह माता सीता का जन्मस्थान है।

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Vivah Panchami का धार्मिक महत्व

Vivah Panchami 2024: Know when Vivah Panchami will be celebrated this year

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, Vivah Panchami न केवल भगवान राम और देवी सीता के दिव्य विवाह का दिन है, बल्कि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामायण के अवधी संस्करण के पूरा होने का भी प्रतीक है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान राम और देवी सीता की पूजा करने और तुलसीदास के रामचरितमानस के पवित्र छंदों का पाठ करने से भक्तों को उनकी हार्दिक इच्छाएं और आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं।

पूजा विधि

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  • दिन की शुरुआत सुबह जल्दी स्नान करके करें और नए कपड़े पहनें।
  • एक सजी हुई वेदी तैयार करें और उस पर साफ कपड़ा बिछाएं।
  • वेदी पर भगवान राम और देवी सीता की मूर्तियां रखें, उन्हें दूल्हे और दुल्हन की तरह सजाएं।
  • श्रद्धापूर्वक उनकी पूजा करते हुए फल, फूल और अन्य पूजा सामग्री अर्पित करें।

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