spot_img
NewsnowदेशNoida Water Logging: नोएडा शहर के कई इलाको में भरा पानी, लोगो...

Noida Water Logging: नोएडा शहर के कई इलाको में भरा पानी, लोगो को हो रही परेशानी

नोएडा प्राधिकरण और अन्य हितधारकों द्वारा बुनियादी ढांचे को उन्नत करने, जल निकासी प्रणालियों को बनाए रखने और जन जागरूकता को बढ़ावा देने के प्रयास सही दिशा में उठाए गए कदम हैं।

Noida, जो कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) का एक प्रमुख शहर है, अपनी तेजी से शहरीकरण और विकास के लिए जाना जाता है। लेकिन विकास के साथ चुनौतियाँ भी आती हैं, और उनमें से एक मुख्य समस्या जो इसके निवासियों का सामना करना पड़ता है, वह है जलभराव। इस वर्ष, यह समस्या और अधिक बढ़ गई है, जिससे दैनिक जीवन में भारी विघटन हो रहा है और शहर के बुनियादी ढांचे की कमियों को उजागर किया जा रहा है।

Noida में जलभराव के कारण

  1. खराब जल निकासी प्रणाली: Noida में जलभराव का मुख्य कारण इसकी अपर्याप्त जल निकासी प्रणाली है। शहर का तेजी से विस्तार हो रहा है, लेकिन जल निकासी बुनियादी ढांचे का उचित उन्नयन नहीं हुआ है। कई क्षेत्रों में उचित स्टॉर्मवॉटर ड्रेन्स नहीं हैं और मौजूदा ड्रेन्स अक्सर मलबे से भरे होते हैं, जिससे उनकी क्षमता कम हो जाती है।
  2. अविवेकी शहरीकरण: Noida के त्वरित शहरीकरण ने अव्यवस्थित निर्माण गतिविधियों को जन्म दिया है। प्राकृतिक जल निकायों और हरे भरे क्षेत्रों पर अतिक्रमण ने वर्षा जल के प्राकृतिक प्रवाह को अवरुद्ध कर दिया है, जिससे जलभराव की समस्या और बढ़ गई है।
  3. भारी वर्षा: मानसून के मौसम में Noida में भारी बारिश होती है, जिसे मौजूदा बुनियादी ढांचा संभालने में असमर्थ होता है। अचानक और तीव्र बारिश जल निकासी प्रणाली को अभिभूत कर देती है, जिससे शहर के विभिन्न हिस्सों में पानी जमा हो जाता है।
  4. रखरखाव की कमी: ड्रेन्स और सीवेज सिस्टम का नियमित रखरखाव अक्सर उपेक्षित होता है। सिल्ट, प्लास्टिक और अन्य कचरे के पदार्थ जमा हो जाते हैं, जिससे पानी का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है। समय-समय पर सफाई के बिना, ये अवरोध मानसून के मौसम में और भी गंभीर हो जाते हैं।
Noida Water Logging Water filled in many areas of Noida city, people are facing problems

निवासियों पर प्रभाव

  1. दैनिक आवागमन: जलभराव दैनिक आवागमन में भारी विघटन उत्पन्न करता है। पानी में डूबी सड़कों के कारण यातायात जाम, यात्रा समय में वृद्धि और ईंधन की खपत में वृद्धि होती है। विशेष रूप से दोपहिया वाहन चालकों को पानी से भरी सड़कों पर नेविगेट करने में काफी कठिनाई होती है।
  2. स्वास्थ्य खतरे: स्थिर पानी मच्छरों के लिए प्रजनन स्थल बन जाता है, जिससे डेंगू और मलेरिया जैसी वेक्टर जनित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, दूषित पानी पेट के संक्रमण और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
  3. संपत्ति क्षति: जलभराव से घरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को व्यापक नुकसान हो सकता है। बेसमेंट और ग्राउंड फ्लोर विशेष रूप से संवेदनशील होते हैं, जिससे निवासियों और व्यवसायों के लिए आर्थिक नुकसान होता है।
  4. सेवाओं में विघटन: आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं सहित आवश्यक सेवाएं गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती हैं। जलमग्न सड़कों के कारण एम्बुलेंस और अन्य आपातकालीन वाहनों में देरी हो जाती है, जिससे जीवन को खतरा हो सकता है।
  5. आर्थिक प्रभाव: बार-बार जलभराव से स्थानीय व्यवसाय, विशेष रूप से छोटे विक्रेता और दुकान मालिक प्रभावित होते हैं। कम फुट ट्रैफिक और दुकानों तक पहुंचने में असमर्थता से महत्वपूर्ण आर्थिक नुकसान होता है।

प्रभावित क्षेत्र

Noida के कई सेक्टर अपनी भौगोलिक और बुनियादी ढांचे की विशेषताओं के कारण जलभराव के प्रति अधिक संवेदनशील हैं। कुछ सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में शामिल हैं:

  • सेक्टर 18: अपनी व्यावसायिक महत्व के लिए जाना जाने वाला सेक्टर 18, गंभीर जलभराव का सामना करता है, जिससे व्यवसाय और खरीदारी करने वालों दोनों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
  • सेक्टर 62: एक महत्वपूर्ण आईटी हब, सेक्टर 62 में महत्वपूर्ण विघटन होता है, जिससे कई कंपनियों का संचालन प्रभावित होता है।
  • सेक्टर 78: सेक्टर 78 के आवासीय क्षेत्र बार-बार जलभराव का सामना करते हैं, जिससे हजारों परिवारों को असुविधा होती है।
  • ग्रेटर Noida वेस्ट: बिना उपयुक्त बुनियादी ढांचे में सुधार के तेजी से विकास ने इस क्षेत्र को जलभराव के प्रति अत्यधिक संवेदनशील बना दिया है।

जलभराव को कम करने के प्रयास

  1. बुनियादी ढांचे का उन्नयन: Noida प्राधिकरण ने शहर की जल निकासी प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए कई परियोजनाएं शुरू की हैं। नए ड्रेन्स का निर्माण किया जा रहा है और मौजूदा ड्रेन्स को उच्च जल क्षमता संभालने के लिए उन्नत किया जा रहा है।
  2. नियमित रखरखाव: ड्रेन्स की नियमित सफाई और सिल्टिंग सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। मानसून के मौसम में विशेष टीमें तैनात की जाती हैं ताकि अवरोधों को तुरंत दूर किया जा सके।
  3. जन जागरूकता: निवासियों को ड्रेन्स में कचरा नहीं डालने के महत्व के बारे में शिक्षित करने के लिए अभियानों का आयोजन किया जा रहा है। बढ़ती जागरूकता ड्रेन्स के अवरुद्ध होने की घटनाओं को काफी हद तक कम कर सकती है।
  4. ग्रीन इनिशिएटिव्स: प्राकृतिक जल निकायों और हरे भरे क्षेत्रों के संरक्षण और पुनर्स्थापना को प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि वर्षा जल का प्रबंधन अधिक प्रभावी ढंग से किया जा सके। वर्षा उद्यान और पर्मीयाबल फुटपाथ बनाने जैसी पहलें भी अपनाई जा रही हैं।
  5. तकनीकी समाधान: Noida: स्मार्ट सिटी टेक्नोलॉजी, जिसमें ड्रेन्स सिस्टम की रियल-टाइम मॉनिटरिंग और प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स शामिल हैं, का उपयोग जलभराव को अधिक कुशलता से प्रबंधित करने के लिए किया जा रहा है।
Noida Water Logging Water filled in many areas of Noida city, people are facing problems

Delhi Weather: दिल्ली-एनसीआर में सुबह से छाए बादल, मौसम विभाग ने बारिश को लेकर दिया ताजा अपडेट

जलभराव का समाधान करने में चुनौतियाँ

  1. फंडिंग और संसाधन: बुनियादी ढांचे को उन्नत करने के लिए बड़े निवेश की आवश्यकता होती है। सीमित फंडिंग और संसाधन बड़े पैमाने पर परियोजनाओं को लागू करने में एक चुनौती प्रस्तुत करते हैं।
  2. एजेंसियों के बीच समन्वय: जलभराव का प्रभावी प्रबंधन विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय की आवश्यकता होती है, जिसमें Noida प्राधिकरण, नगर निगम और लोक निर्माण विभाग शामिल हैं। समन्वय की कमी से देरी और अक्षमताएं हो सकती हैं।
  3. निवासियों का सहयोग: यह सुनिश्चित करना कि निवासी ड्रेन्स में कचरा न डालें, निरंतर जन जागरूकता प्रयासों और समुदाय के सहयोग की आवश्यकता होती है।
  4. जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते अनियमित मौसम पैटर्न एक अतिरिक्त चुनौती प्रस्तुत करते हैं। जल निकासी बुनियादी ढांचे को चरम मौसम घटनाओं को संभालने के लिए लचीला होना चाहिए।

निष्कर्ष

Noida में जलभराव एक बहुआयामी समस्या है, जिसके लिए व्यापक और समन्वित दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। हालांकि शहर का तेजी से विकास कई लाभ लाया है, लेकिन इसने महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की कमियों को भी उजागर किया है। इन कमियों को दूर करने के लिए तत्काल उपायों के साथ-साथ दीर्घकालिक रणनीतियों की आवश्यकता है ताकि सतत शहरी विकास सुनिश्चित हो सके।

Noida प्राधिकरण और अन्य हितधारकों द्वारा बुनियादी ढांचे को उन्नत करने, जल निकासी प्रणालियों को बनाए रखने और जन जागरूकता को बढ़ावा देने के प्रयास सही दिशा में उठाए गए कदम हैं। हालांकि, जलभराव के प्रभाव को कम करने के लिए निरंतर प्रयास और निवेश आवश्यक हैं। समुदाय के सहयोग के साथ-साथ नवीन और लचीले बुनियादी ढांचे के समाधान नोएडा को सतत शहरी विकास का एक मॉडल बनाने में मदद कर सकते हैं, जो भारी बारिश और तेजी से शहरीकरण की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम है।

अन्य ख़बरों के लिए यहाँ क्लिक करें

spot_img

सम्बंधित लेख