कृत्रिम मिठास बढ़ाने वाले एजेंट (Artificial Sweeteners) ऐसे पदार्थ होते हैं जो खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों में मिठास बढ़ाने के लिए उपयोग किए जाते हैं। ये प्राकृतिक शर्करा के विकल्प के रूप में कार्य करते हैं और आमतौर पर कैलोरी में कम या कैलोरी मुक्त होते हैं।
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क्यों उपयोग किए जाते हैं Artificial Sweeteners?
- कैलोरी कम: मधुमेह, मोटापा और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से बचने के लिए लोग कम कैलोरी वाले विकल्पों की तलाश करते हैं।
- दांतों की सड़न: प्राकृतिक शर्करा की तुलना में कृत्रिम मिठास दांतों की सड़न का कारण कम बनते हैं।
- स्वाद: ये खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों को मीठा स्वाद देते हैं, जिससे उनकी स्वीकार्यता बढ़ती है।
प्रमुख Artificial Sweetening
- एस्पार्टेम (Aspartame): यह सबसे व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले कृत्रिम मिठास में से एक है और लगभग 200 गुना अधिक मीठा होता है।
- सुक्रालोज (Sucralose): यह चीनी का एक संशोधित रूप है और लगभग 600 गुना अधिक मीठा होता है।
- ऐसेसल्फेम-के (Acesulfame-K): यह कैलोरी मुक्त है और गर्मी प्रतिरोधी है।
- सैक्रिन (Saccharin): यह सबसे पुराने कृत्रिम मिठास में से एक है और चीनी से लगभग 300 गुना अधिक मीठा होता है।
Artificial Sweetening के फायदे
- वजन नियंत्रण: कम कैलोरी होने के कारण वजन घटाने में मदद कर सकते हैं।
- मधुमेह: रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।
- दांतों की सड़न: प्राकृतिक शर्करा की तुलना में दांतों की सड़न का कारण कम बनते हैं।
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Artificial Sweetening के नुकसान
- स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं: कुछ अध्ययनों ने कृत्रिम मिठास को मधुमेह, मोटापा और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से जोड़ा है।
- स्वाद: कुछ लोगों को कृत्रिम मिठास का स्वाद पसंद नहीं आता है।
- व्यसन: कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि कृत्रिम मिठास मीठे स्वाद के प्रति लालसा बढ़ा सकते हैं।