New Delhi: सुप्रीम कोर्ट (SC) ने आज (5 नवंबर) 8:1 के बहुमत से फैसला सुनाया कि सभी निजी संपत्तियां ‘समुदाय के भौतिक संसाधनों’ का हिस्सा नहीं बन सकतीं, जिन्हें संविधान के अनुच्छेद 39(बी) के तहत राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों के अनुसार समान रूप से पुनर्वितरित करने के लिए राज्य बाध्य है।
कोर्ट ने कहा कि कुछ निजी संपत्तियां अनुच्छेद 39(बी) के तहत आ सकती हैं, बशर्ते वे भौतिक हों और समुदाय की हों।
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9 न्यायाधीशों की पीठ में भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, बी.वी. नागरत्ना, सुधांशु धूलिया, जे.बी. पारदीवाला, मनोज मिश्रा, राजेश बिंदल, सतीश चंद्र शर्मा और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल थे।
बहुमत की राय मुख्य न्यायाधीश द्वारा लिखी गई थी, जबकि न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना ने आंशिक रूप से सहमति व्यक्त की और न्यायमूर्ति धूलिया ने असहमति जताई।
अनुच्छेद 39(बी) क्या कहता है?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 39(बी) राज्य के नीति निर्देशक तत्वों में से एक है। यह कहता है कि “समुदाय के भौतिक संसाधनों का स्वामित्व और नियंत्रण इस प्रकार वितरित किया जाता है कि आम हित के लिए सर्वोत्तम हो।”
SC के फैसले का क्या महत्व है?
यह निर्णय निजी संपत्ति के अधिकार और राज्य के हस्तक्षेप के बीच संतुलन बनाने का प्रयास करता है। यह निर्णय निजी संपत्ति के अधिकार को मजबूत करता है और साथ ही यह भी सुनिश्चित करता है कि समुदाय के संसाधनों का उपयोग आम जनता के हित में किया जाए।
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