नई दिल्ली: Supreme Court ने साइबर अपराध और स्पैम कॉल की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए कॉलर नाम डिस्प्ले सेवा (CNAP) को लागू करने की मांग करने वाली याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “हां, हम समझते हैं कि यह समस्या है। केंद्र को जवाब देना चाहिए।”
यह याचिका बेंगलुरू निवासी गौरीशंकर एस ने दायर की है, जिन्होंने साइबर अपराध और अनचाहे फोन कॉल से नागरिकों, बैंकों और कानून प्रवर्तन अधिकारियों पर पड़ने वाले गंभीर प्रभाव को रेखांकित किया है।
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CNAP सेवा: एक संभावित समाधान
CNAP (कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन) सेवा एक तकनीक है जो कॉल करने वाले का नाम फोन स्क्रीन पर प्रदर्शित करती है। याचिका में कहा गया है कि यह सेवा अनचाही कॉल और साइबर धोखाधड़ी को रोकने का एक प्रभावी तरीका हो सकती है। वर्तमान में, अधिकांश लोग कॉल की पहचान के लिए Truecaller जैसे थर्ड-पार्टी ऐप्स पर निर्भर हैं, जबकि CNAP एक व्यापक और सीधे नेटवर्क-आधारित समाधान प्रदान करता है।
याचिका की मुख्य बातें
- याचिकाकर्ता ने बताया कि केंद्र सरकार के दूरसंचार विभाग और भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने CNAP को साइबर अपराध के खिलाफ एक सक्रिय उपाय के रूप में पहचाना है।
- हालांकि, CNAP के कार्यान्वयन के लिए अब तक कोई ठोस रोडमैप पेश नहीं किया गया है।
- याचिकाकर्ता, जो एक गैर-सरकारी संगठन भी चलाते हैं, ने कहा कि CNAP के प्रभावी कार्यान्वयन से साइबर अपराधों को नियंत्रित किया जा सकता है और नागरिकों को वित्तीय नुकसान से बचाया जा सकता है।
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CNAP का विरोध और चुनौतियां
- सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI), जिसमें जियो, एयरटेल, और वोडाफोन आइडिया जैसे प्रमुख सेवा प्रदाता शामिल हैं, ने CNAP को अनिवार्य बनाने का विरोध किया है।
- COAI का तर्क है कि सभी मोबाइल डिवाइस इस फीचर को सपोर्ट नहीं करते हैं।
- उन्होंने उपभोक्ता की गोपनीयता से संबंधित चिंताओं को भी उठाया है।
Supreme Court की सुनवाई और भविष्य की दिशा
याचिकाकर्ता ने पिछले 2.5 वर्षों के दौरान CNAP के क्रियान्वयन में हुई प्रगति की कमी को लेकर चिंता व्यक्त की है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार से जवाब मांगते हुए कहा है कि यह मामला सार्वजनिक हित से जुड़ा हुआ है और इसमें तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।
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व्यापक प्रभाव
अगर CNAP सेवा लागू होती है, तो यह भारत में साइबर अपराध और स्पैम कॉल के खतरे को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। हालांकि, इसे लागू करने में तकनीकी और गोपनीयता संबंधी चुनौतियों का समाधान करना भी आवश्यक होगा।
अब यह देखना होगा कि केंद्र सरकार और संबंधित एजेंसियां इस मामले में क्या कदम उठाती हैं और सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई का अगला चरण क्या दिशा तय करेगा।
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