आपकी किडनियां खामोश योद्धा होती हैं। ये हर दिन लगभग 50 गैलन खून को छानती हैं, शरीर से ज़हरीले तत्वों को बाहर निकालती हैं, तरल पदार्थों का संतुलन बनाए रखती हैं और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करती हैं। लेकिन जब ये काम करना बंद कर देती हैं, तब ज़रूरत पड़ती है Dialysis की — एक जीवनरक्षक प्रक्रिया जो तब काम में आती है जब आपकी किडनियां जवाब दे देती हैं।
सामग्री की तालिका
इस लेख में जानिए:
- डायलिसिस क्या होता है
- यह कब ज़रूरी हो जाता है
- इसे कितने समय तक करना पड़ता है
- क्या यह स्थायी समाधान है
- और डायलिसिस पर जीवन कैसा होता है
चलिए जानते हैं डायलिसिस की पूरी हकीकत — क्योंकि जागरूकता किसी की जान बचा सकती है, शायद आपकी भी।
Dialysis क्या है?
डायलिसिस एक मेडिकल प्रक्रिया है जो तब की जाती है जब आपकी किडनियां अपना काम करना बंद कर देती हैं। इसका मुख्य काम खून से ज़हरीले पदार्थों, अतिरिक्त पानी और अपशिष्टों को निकालना होता है।
डायलिसिस के दो मुख्य प्रकार हैं:
- हीमोडायलिसिस – इसमें एक मशीन खून को शरीर के बाहर छानती है और साफ खून वापस शरीर में डालती है।
- पेरिटोनियल डायलिसिस – इसमें पेट की झिल्ली (पेरिटोनियम) का उपयोग करके खून को शरीर के अंदर ही छाना जाता है।
दोनों प्रक्रियाओं का उद्देश्य एक ही होता है — जब आपकी किडनी काम न करे, तब शरीर को जीवित रखना।
डायलिसिस कब ज़रूरी होता है?
Dialysis तब ज़रूरी होता है जब क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) अंतिम चरण (स्टेज 5) पर पहुंच जाती है — यानी जब किडनियां सिर्फ 10-15% तक काम कर रही होती हैं।
इस स्तर पर किडनियां:
- अपशिष्ट पदार्थों को बाहर नहीं निकाल पातीं
- शरीर के तरल और इलेक्ट्रोलाइट संतुलन को नहीं बनाए रख पातीं
- ब्लड प्रेशर कंट्रोल नहीं कर पातीं
डायलिसिस की ज़रूरत दर्शाने वाले लक्षण:
- लगातार मतली और उल्टी
- हाथ-पैरों में सूजन
- सांस लेने में तकलीफ
- अत्यधिक थकावट
- भ्रम या ध्यान केंद्रित करने में परेशानी
- रक्त में क्रिएटिनिन और यूरिया का उच्च स्तर
- फेफड़ों में पानी भरना
डॉक्टर सिर्फ टेस्ट रिपोर्ट पर नहीं, बल्कि आपकी स्थिति और लक्षणों के आधार पर Dialysis की सलाह देते हैं।
किडनी फेल होने के कारण (जो डायलिसिस तक ले जाते हैं)
जानना ज़रूरी है कि किडनी क्यों फेल होती है, ताकि समय रहते इसे रोका जा सके:
- डायबिटीज (टाइप 1 और 2) – सबसे बड़ा कारण
- हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन) – किडनी की रक्तवाहिनियों को नुकसान पहुंचाता है
- ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस – किडनी के फिल्टर में सूजन
- पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज – जेनेटिक बीमारी, जिसमें किडनी में गांठें बन जाती हैं
- ऑटोइम्यून बीमारियां – जैसे ल्यूपस
- बार-बार किडनी में संक्रमण या रुकावट
जब किडनी को हुआ नुकसान स्थायी हो जाए, तब डायलिसिस ही एकमात्र विकल्प रह जाता है।
डायलिसिस कितने समय तक करना पड़ता है?
इस सवाल का जवाब कई बातों पर निर्भर करता है।
1. अस्थायी Dialysis
कुछ मामलों में डायलिसिस कुछ दिनों या हफ्तों के लिए ही ज़रूरी होता है, जब किडनी को अस्थायी नुकसान पहुंचा हो, जैसे:
- डिहाइड्रेशन
- गंभीर संक्रमण
- दवा का साइड इफेक्ट
- ऑपरेशन के बाद की जटिलताएं
इस स्थिति में किडनियां ठीक हो जाती हैं और डायलिसिस बंद किया जा सकता है।
2. दीर्घकालिक डायलिसिस (स्थायी)
ज्यादातर मामलों में जब CKD स्टेज 5 पर पहुंच जाता है, तब किडनी का नुकसान स्थायी होता है। ऐसी स्थिति में Dialysis को लंबे समय तक या जीवनभर करना पड़ता है।
- हीमोडायलिसिस: सप्ताह में 3 बार, हर बार 3–5 घंटे
- पेरिटोनियल डायलिसिस: रोज़ाना घर पर, या तो दिन में 4-5 बार या रात भर मशीन से
3. जब तक ट्रांसप्लांट न हो
यदि मरीज किडनी ट्रांसप्लांट की प्रतीक्षा कर रहा है, तब तक डायलिसिस एक अस्थायी समाधान होता है। ट्रांसप्लांट मिलने तक यह कई महीनों से वर्षों तक जारी रह सकता है।
क्या डायलिसिस को रोका जा सकता है?
हां, लेकिन यह इस पर निर्भर करता है कि किडनी को कितना और किस प्रकार का नुकसान हुआ है।
- यदि कारण अस्थायी और ठीक होने वाला है, तो डायलिसिस रोका जा सकता है
- यदि बीमारी अंतिम चरण पर है, तो बिना ट्रांसप्लांट के Dialysis जीवनभर करना होगा
यदि डायलिसिस बंद किया जाए और किडनियां पूरी तरह फेल हो चुकी हों, तो व्यक्ति कुछ ही दिनों या हफ्तों में मृत्यु को प्राप्त हो सकता है।
डायलिसिस पर जीवन कैसा होता है?
यह आसान नहीं होता, लेकिन सम्भव है। सही देखभाल और समर्थन के साथ लोग सामान्य जीवन जी सकते हैं।
समय की मांग:
- हीमोडायलिसिस: हफ्ते में तीन बार अस्पताल जाना
- पेरिटोनियल Dialysis: घर पर नियमित समय पर करना
खानपान और द्रव सीमा:
- पोटैशियम, सोडियम और फॉस्फोरस की सीमित मात्रा
- पानी और तरल पदार्थ का सीमित सेवन
- केला, संतरा, आलू, दूध आदि पर नियंत्रण
दवाएं:
- ब्लड प्रेशर नियंत्रक
- फॉस्फेट बाइंडर्स
- एनीमिया के लिए दवाएं
- विटामिन D की खुराक
थकावट और मानसिक स्थिति:
- हर डायलिसिस के बाद कमजोरी
- मानसिक तनाव, चिंता, अवसाद
- काउंसलिंग और सपोर्ट ग्रुप से राहत मिलती है
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क्या किडनी ट्रांसप्लांट बेहतर विकल्प है?
बिलकुल, अगर संभव हो तो ट्रांसप्लांट Dialysis से बेहतर विकल्प है:
- जीवन की गुणवत्ता बेहतर
- कम खानपान प्रतिबंध
- अधिक ऊर्जा और आज़ादी
- डायलिसिस की ज़रूरत नहीं रहती
हालांकि, हर कोई ट्रांसप्लांट के लिए योग्य नहीं होता — उम्र, स्वास्थ्य और डोनर की उपलब्धता पर निर्भर करता है। साथ ही, ट्रांसप्लांट के बाद इम्यूनो सप्रेसेंट दवाएं जीवनभर लेनी पड़ती हैं।
डायलिसिस से बचाव कैसे करें?
अगर आपकी किडनी की बीमारी शुरुआती स्तर पर है, तो इन उपायों से Dialysis को टाला जा सकता है:
डायबिटीज और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करें
ये दोनों किडनी के सबसे बड़े दुश्मन हैं।
किडनी को नुकसान पहुंचाने वाली दवाओं से बचें
जैसे ज्यादा पेन किलर (इबुप्रोफेन आदि), कुछ एंटीबायोटिक्स।
संतुलित आहार लें
कम सोडियम, कम प्रोटीन और कम प्रोसेस्ड फूड।
पर्याप्त पानी पिएं
जब तक डॉक्टर कुछ और न कहें, शरीर में पानी की कमी न होने दें।
नियमित जांच कराएं
यूरीन और खून की जांच से किडनी की हालत पर नज़र रखी जा सकती है।
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निष्कर्ष: डायलिसिस अंत नहीं, एक नई शुरुआत है
Dialysis की ज़रूरत सुनकर डर लगना स्वाभाविक है — लेकिन यह एक नया जीवन देने वाली प्रक्रिया है। बहुत से लोग डायलिसिस पर भी स्वस्थ, खुशहाल और सक्रिय जीवन जीते हैं।
चाहे यह कुछ दिनों की बात हो या जीवनभर की, डायलिसिस यह सुनिश्चित करता है कि आप जिंदा रहें, स्वस्थ रहें, और अपनों के साथ समय बिता सकें। यदि ट्रांसप्लांट संभव है, तो यह और भी बेहतर है। और अगर नहीं भी है, तब भी Dialysis के ज़रिये जीवन को पूरी गरिमा और संकल्प के साथ जिया जा सकता है।
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