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जानिए Shri Kunj Bihari आरती का महत्व

Shri Kunj Bihari आरती, श्री कृष्ण भक्तों के लिए यह आरती अमृत के सागर के समान है। इसे गाने से वातावरण में सकारात्मकता आती है। भगवान कृष्ण के रूप की स्तुति करने वाली यह आरती मानसिक शांति भी प्रदान करती है।

आरती Kunj Bihari भगवान श्री कृष्ण की सबसे प्रसिद्ध आरती में से एक है। यह कृष्ण जन्माष्टमी या श्री कृष्ण जयंती दिवस सहित भगवान कृष्ण से संबंधित अधिकांश शुभ अवसरों पर बहुत धूमधाम से गाया जाता है। यह इतना लोकप्रिय है कि इसे घरों और विभिन्न कृष्ण मंदिरों में नियमित रूप से गाया जाता है।

बिहारी भगवान कृष्ण के हजार नामों में से एक है और कुंज वृंदावन की हरी-भरी घाटियों का प्रतिनिधित्व करता है। कुंज बिहारी का अर्थ है जो कुंज नामक गली में रहता है, परमपिता भगवान श्री कृष्ण।

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कुंज बिहारी की आरती भगवान कृष्ण को समर्पित है। इसे रोजाना पढ़ने से व्यक्ति के कई दुख-दर्द दूर हो सकते हैं। आज इस लेख में हम आपको इस आरती के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देंगे। आइए पहले पढ़ते हैं बांके बिहारी जी की पूरी आरती।

Lord Krishna Mantra Meaning and Benefits
Lord Krishna

आरती Kunj Bihari की

आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

गले में बैजंती माला,
बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला,
नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली,
राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली
भ्रमर सी अलक,
कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

कनकमय मोर मुकुट बिलसै,
देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै ।
बजे मुरचंग,
मधुर मिरदंग,
ग्वालिन संग,
अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

जहां ते प्रकट भई गंगा,
सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा
बसी शिव सीस,
जटा के बीच,
हरै अघ कीच,
चरन छवि श्रीबनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

चमकती उज्ज्वल तट रेनू,
बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद,
चांदनी चंद,
कटत भव फंद,
टेर सुन दीन दुखारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

Shri Kunj Bihari आरती का महत्व

Know the importance of Shri Kunj Bihari Aarti

कृष्ण भक्तों के लिए यह आरती अमृत के सागर के समान है। इसे गाने से वातावरण में सकारात्मकता आती है। भगवान कृष्ण के रूप की स्तुति करने वाली यह आरती मानसिक शांति भी प्रदान करती है। इस आरती को करने से व्यक्ति की दरिद्रता भी समाप्त होती है और उसे सामाजिक स्तर पर मान सम्मान की भी प्राप्ति होती है। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन लोग भगवान कृष्ण की इस आरती को गाकर नृत्य करते हैं। वहीं कृष्ण मंदिरों में नियमित रूप से इस आरती का पाठ किया जाता है।

इस आरती में बिहारी शब्द का प्रयोग किया जाता है, जो भगवान कृष्ण के अनेक नामों में से एक है। बिहारी का अर्थ है यात्रा करना और कुंज का अर्थ है हरे भरे जंगल। इसलिए कुंज बिहारी का अर्थ है वृंदावन के वन-वनों में भ्रमण करने वाला।

  • Kunj Bihari की आरती प्रेम और विवाह में सफलता लाती है

जो लोग अपने साथी को प्रेम संबंधों और दिल से प्यार करते हैं और अपने प्यार को शादी में बांधना चाहते हैं, उन्हें भगवान कृष्ण की पूजा करनी चाहिए और कुंज बिहारी जी की आरती करनी चाहिए। इस आरती के पाठ से वैवाहिक जीवन में भी सकारात्मक बदलाव आते हैं। वहीं यह आरती गर्भवती महिलाओं के लिए शुभ मानी जाती है क्योंकि इसके उच्चारण से गर्भ में पल रहे बच्चे में अच्छे गुण आते हैं।

  • इस आरती को सुबह और शाम दोनों समय करने से पारिवारिक जीवन की परेशानियां दूर होती हैं।
  • यह आरती मन में स्थिरता लाती है।
  • इस आरती को करने से अन्य देवी-देवता भी प्रसन्न होते हैं।
  • इस आरती का पाठ करने से आर्थिक परेशानियों से भी मुक्ति मिलती है।
  • आरती के पाठ से आपके आसपास नकारात्मक ऊर्जा नहीं आती है।
  • इस आरती का पाठ करने से प्रेम जीवन में सफलता मिलती है।
  • इस आरती को आत्मविश्वास बढ़ाने वाला भी माना जाता है।
  • इस आरती को करने से सांसारिक बंधनों से भी मुक्ति मिलती है।
Know the importance of Shri Kunj Bihari Aarti
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भगवान कृष्ण को Kunj Bihari क्यों कहा जाता है?

‘कुंज’ का अर्थ है आर्बर, यानी पेड़ों से घिरा एक बगीचा और ‘बिहारी’ का अर्थ है यात्रा करने वाला। इसलिए कुंज बिहारी का अर्थ है वृंदावन के वन-वनों में भ्रमण करने वाला।

आरती Kunj Bihari की, किस अवसर पर पढ़ी जाती है?

आरती Kunj Bihari की, श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की कृष्ण जन्माष्टमी और भगवान कृष्ण से जुड़े कई कार्यक्रमों पर प्रस्तुत किया जाता है। इसके अलावा, कई हिंदू प्रतिदिन अपने घरों में इस भजन को गाते हैं।

आरती कुंज बिहारी की पाठ करने का सबसे अच्छा समय क्या है?

कोई भी आरती या भजन दिन में दो बार किया जा सकता है, खासकर सुबह और शाम।

कुंज बिहारी को किस अन्य नाम से भी जाना जाता है?

भगवान कृष्ण या Kunj Bihari को अच्युत, बांके बिहारी, दीनबंधु, गोपाल, माधव, मुरारी, नंगोपाल, नंदलाल, केशव, घनश्याम, गिरिधारी, गोविंदा और कई अन्य लोकप्रिय नामों से भी जाना जाता है।

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